5 Mar 2013

Failed administrators eyeing to be PM of India

असफल प्रशासनिक गुलाटीबाजों से सावधान


जाँचे, परखें फिर बटन दबाएँ

यूपी के विधानसभा चुनाव के समय अखिलेश में बहुत पोटेंशियल देखा जा रहा था| आज अखिलेश के नेतृत्व में यूपी बदहाल बदहवास है| एक अच्छे प्रशासक में जो योग्यता, कौशल, गुण होने चाहिए उसका अखिलेश में सर्वथा अभाव है| एक प्रशासक के तौर पर अखिलेश फेल हुए हैं| अखिलेश युवा तो थे, पोटेंशियल भी दिख रहा था किन्तु यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश की प्रशासनिक क्षमताओं की परख नहीं हुई थी और उत्तर प्रदेशवासियों की इसी भूल का नतीजा आज पूरा उत्तर प्रदेश भुगत रहा है और दिनो-दिन जलता ही जा रहा है और शायद बहुत जल्द उत्तर प्रदेशवासियों के लिए एक ही सवारी छोड़ेंगे अखिलेश जी भूखहाली और बदहाली के शिकार लोगों हेतु अखिलेश जी की पार्टी का चुनाव चिन्ह "साइकिल"।

वैसे ठीक इसी प्रकार दो महान लोग और हैं जो अपनी पार्टी के लोगों द्वारा तथा स्वघोषित युवा हैं तथा जो किसी प्रदेश का नहीं वरन पूरे देश के प्रशासन की बागडोर को अपने हाथों मे लेने को लालायित हैं।

ऐसे ही एक अभी तक अविवाहित युवा हैं राहुल गांधी जी.....

इन महोदय के नाम से गांधी शब्द को केवल हटा दिया जाये तो खुद इनके पार्टी के कार्यकर्ता ही इनको लात मार कर समंदर मे फेंक आयें। इन महोदय को केवल नौटंकी सूझती है। गरीबों के घर जा कर खाएँगे और सोचते हैं की इसी से इनकी गरीबी दूर हो जाएगी। आज तक बिना देखे एक भाषण तक नहीं पढ़ सके तथा अपने सांसद के कार्यकाल मे एक भी सवाल नहीं कर पाये तथा इनका संसदीय क्षेत्र आज भी वैसे ही है जैसे की आजादी के पहले था..........जनसंख्या ही बढ़ी सहूलियतें नहीं.......आज भी वहाँ लोग फाँका ही मार कर सोने को मजबूर हैं तथा साक्षरता के बारे मे तो पूछ भी मत लीजिएगा।

दूसरे उम्मीदवार हैं एक स्वघोषित एक मात्र हरिश्चंद्र विवाहित युवा अरविंद केजरीवाल जी जो सपत्नीक इन्कम टैक्स डिपार्टमेन्ट मे थे। 

शायद ये खाना नसीब होता है एक आम आदमी 
पूरे कार्यकाल के दौरान इन युगल जोड़े का कहीं भी ट्रांसफर नहीं हुआ। इन लोगों ने जहां ज्वाइन किया वहीं टीके रहे। इन महोदय ने तो इस्तीफा दिया वो भी केस के डर से क्यूंकी शैक्षणिक छुट्टी पर निकले लेकिन इस्तीफा देना जरूरी नहीं समझा था। लेकिन इन महोदय की पत्नी आज भी उसी कुर्सी पर बैठती हैं जहां नौकरी ज्वाइन करने के पहले दिन बैठी थीं। ये महोदय सदा खुद पर उठे सवालों के घेरे से दूर रहने का यथासंभव प्रयत्न करते हैं। ये महोदय आज तक ये बताना जरूरी नहीं समझते हैं की अपने कार्यकाल के दौरान इनहोने कितने घोटालों के ऊपर से धुलें साफ की या ऐसा कौन सा सरहनीय कार्य कर दिया की आज दुकान लगा कर ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटने लगे। आज भी इनकी नौटंकी अनवरत चालू है। फिर चाहे वो इल्जाम लगाना हो और साबित करने के मौके पर भाग खड़े होना हो या फिर पूर्वार्द्ध मे उठ चुके मुद्दों को पुनः जीवंत करना और उस मुद्दे को आज तक सिर्फ इनहोने उठाया है ऐसा प्रचारित करना। वैसे इनकी दुश्मनी सिर्फ एक पार्टी है क्यूंकी उसके साथ हिन्दू संगठन खड़े हैं बाकी से तो ये महोदय चंदा ले कर चंदा देने वालों पर उठे सवालों को ऐसे खा जाते हैं जैसे की भीख के कटोरे से कोई नाली का पानी पी कर बहुत बड़ा पुण्य कर देता हो। कट्टरपंथियों से दूर रहने की हिदायत ये देते हुए मिलते हैं और कततारपंथी इनके नजर मे एक ही हैं हिन्दू संगठन और उसके लोग परंतु ये खुद बुखारी जो सरेआम घोषणा करता है की वो आईएसआई का एजेंट है उसके कहने मात्र पर मंच से भारतमाता की फोटो हटा वन्देमातरम पर भी प्रतिबंध लगा देते हैं लेकिन फिर भी कोई बुखारी समर्थक इनके सामने घास नहीं डाला।

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हम लोग भी समझते हैं की देश मे लोकतन्त्र है और कोई भी प्रधानमंत्री बन सकता है या बनने का ख्वाब देख सकता है। अतः ऐसे ख्वाब देखने से हम रोक नहीं लगा सकते हैं। हाँ ये जरूर बता सकते हैं की बंधु जितनी चादर हो उतना ही पैर फैलाओ......लंगोट को चादर ना समझ बैठो।

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