20 Jan 2014

Arvind Kejriwal : Anti-National, Anti-India


दिल्ली मे इस बार गणतन्त्र दिवस समारोह नहीं होने देंगे : अरविंद केजरीवाल 


भारत का स्वतन्त्रता दिवस और गणतन्त्र दिवस समारोह रोकने की चेष्टा सिर्फ देशद्रोही और आतंकवादी ही करते हैं। लेकिन चूंकि आम आदमी पार्टी नक्सलवादियों का समूह बन चुका है एवं नक्सलवादियों को ISI से मदद मिलती है। ऐसे मे केजरीवाल का ये बयान की दिल्ली मे गणतन्त्र दिवस नहीं मनाने देंगे समझा जा सकता है की एक आतंकवादी जब मुख्यमंत्री बन जाए तो किस प्रकार की देशद्रोही हरकतों को खुलेआम अंजाम देगा।

जिस इंसान का भारत के गणतन्त्र मे विश्वास ना हो उस इंसान का भारत पर क्या विश्वास होगा और ऐसे इंसान को लात मार कर भारत से पाकिस्तान मे फेंक देना चाहिए।

केजरीवाल के सभी बयान जैसे की इन्होने "पुलिस तक को बगावत करने को कहना", खुल्लेआम भारत के लोकतान्त्रिक और न्यायिक प्रणाली का ना सिर्फ मज़ाक उड़ाना बल्कि भीड़ को भी लोकतन्त्र और न्यायिक प्रणाली के अवमानना के लिए उकसाना ये सभी देशद्रोह की श्रेणी मे आता है।

इन सभी संदर्भों को देख हम ये कह सकते हैं की केजरीवाल विदेशी ताकतों के हाथ का ना सिर्फ एक पिट्ठू है बल्कि केजरीवाल सर्वथा अयोग्य एवं देशद्रोही है जो विदेशी ताकतों के साथ मिल कर इस देश को, हमारे भारत को अस्थिर करने के प्रयास मे लगा हुआ है।

जनता से अपील है की वो इस देशद्रोही की हकीकत को समझें एवं इसको सबक सिखाएँ।

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जब केजरीवाल को ना तो भारत के लोकतन्त्र पर भरोषा है, ना ही गणतन्त्र दिवस मनाएंगे, ना ही भारत की न्यायप्रणाली पर भरोषा है ऐसे मे इस देशद्रोही केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनने के लिए भारत के संविधान की शपथ क्यूँ खाई थी, ये मेरे समझ से परे है या फिर ये दोग** है


18 Jan 2014

Arvind Kejriwal or Anti-National Natwarlal





अरविंद केजरीवाल या राष्ट्रद्रोही नटवरलाल

हाल ही मे दिल्ली के मुख्यमंत्री बने माननीय अरविंद केजरीवाल जी की मंशा क्या है ये समझ से परे है। क्यूंकी ना तो उनकी जुबान उनके कर्मों का साथ देती है और ना ही दिल की सफगोई उनके आँखों मे उतरती है कभी। लेकिन फिर भी जो कुछ वो अभी तक पर्दे के आगे रहते हुए भी भोलेपन मे जोश के साथ कहते रहे थे, वो दिल्ली प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी बदस्तूर जारी है।


अन्ना के आंदोलन के समय से लेकर दिल्ली मे चुनाव लड़ने के पहले तक केजरीवाल लगातार खुलासे तो कर रहे थे, अनसन तो कर रहे थे लेकिन इसके साथ-साथ केजरीवाल लगातार, अनवरत भारत की न्यायिक प्रणाली पर सवाल उठाते रहे। अगर भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने भी कोई फैसला सुनाया और वो फैसला इनके प्रतिकूल गया तो सीधा कहा और बारम्बार कहा की कोर्ट ने गलत किया है। वहीं अगर कोर्ट का फैसला इनके विरोधियों के हक मे गया तो भी कोर्ट गलत है और कोर्ट के आदेश की हर समय इन्होने ना सिर्फ अवहेलना की बल्कि जितना संभव हुआ कोर्ट के आदेशों का मखौल उड़ाया।

इस प्रकार से देश के न्यायालयों का मखौल उड़ाना वो भी लाखों की जनता के सामने ये एक प्रकार का देश-विरोधी कार्य है। 


१॰ सबसे पहले तो स्टडी लीव पर गए और बिना रीजाइन दिये इन्होने अपना एनजीओ चालू कर लिया। भारत सरकार मे एक अधिकार पद पर रहते हुए ना सिर्फ इन्होने अपना एनजीओ चालू किया बल्कि विदेशों से चंदा तक लिया, जो की कानून अपराध है।

२॰ जन भावना को इन्होने हर समय उकसाने वाला कार्य किया चाहे वो दामिनी के समय विरोध प्रदर्शन के समय अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा पुलिस पर पत्थर चलवा कर एक शांत आंदोलन को उग्र आंदोलन का रूप दिया।

३॰ खुलासे किए, एक से बढ़ कर एक खुलासे किए लेकिन क्या कोई भी एक बात बता सकता है की इनके खुलासों की परिणति क्या हुई। इन्होने अपने कितने खुलासों को सही साबित किया।

४॰ पूरी जनता और मीडिया के सामने इन्होने उन सभी लोगों के बिजली कनेक्सन जोड़े जिनके कनेक्सन बिजली बिल जमा ना देने के वजह से काट दिये गए थे। क्या अगर दूसरे राज्यों मे ऐसा ही शुरू हो जाए तो कोई भी बिजली बिल जमा ना करे और पूरा भारत बिना बिजली बिल दिये बिजली का उपयोग चालू कर दे। उदाहरण के तौर पर सभी भारतवासी केजरीवाल का उदाहरण देने लगे की साहब केजरीवाल ने तो मीडिया के सामने जोड़ा था काटा गया कनेक्सन और उनको तो कुछ भी नहीं हुआ तो हमे किस आधार पर पकड़ोगे आप।

५॰ केजरीवाल ने भारत सरकार मे कार्य करने वाले सभी अधिकारियों से अपील की कि सभी अपनी नौकरी छोड़ कर आंदोलन करें। क्या अगर ऐसा हो जाता तो भारत कि स्थिति क्या होती इसके बारे मे कभी केजरीवाल जी ने सोचा। 

६॰ बाटला हाउस एंकाउंटर मे शहीद का ना सिर्फ अपमान किया बल्कि बाटला हाउस एंकाउंटर सही था ऐसा कोर्ट का फैसला आ जाने के बाद भी उस एंकाउंटर पर सवालिया निशान लगाते हुए क्या केजरीवाल ने राष्ट्रद्रोही कार्य नहीं किया।

मुख्यमंत्री बनने से पहले केजरीवाल द्वारा कानून तोड़ने की फेहरिश्त बहुत लंबी है, बाकी बातें बाद मे अभी सरकारी केजरी बाबू की कारस्तानी देखते हैं।

अब जब सरकार बन गई केजरीवाल जी की तो भी ये कानून तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं और भारत की न्यायपालिका का अनवरत मज़ाक बना रहे हैं। 

१॰ केजरीवाल की दिल्ली सरकार के कानून मंत्री सोमनाथ भारती को कोर्ट ने अपराधी बताते हुए उनकी १ या २ महीने की वकालत की प्रैक्टिस पर बैन लगा दिया था क्यूंकी सोमनाथ भारती अपने जिस भ्रष्टाचारी मुवक्किल को बचाने की कोशिस कर रहे थे उस कोशिस मे उन्होने गवाह को फोन कर धमकाया इत्यादि जो करना हुआ फोन पर किया जो की कोर्ट के कार्य मे व्यवधान है। लेकिन इस पर अरविंद केजरीवाल ने बयान दिया की "कोर्ट से गलती हुई।"

२॰ सोमनाथ भारती ने मीडिया को बुला कर अपनी विधानसभा क्षेत्र मे विदेशी छात्रों के घर पर आधी रात को ना सिर्फ अपने समर्थकों समेत रेड मारी बल्कि पुलिस को धमकाया की पुलिस उन सभी महिलाओं को रात के समय गिरफ्तार करे साथ ही एक विदेशी छात्रा को कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने अपने सामने शौच करने के लिए बाध्य किया। जबकि भारतीय कानून के हिसाब से पुलिस ना तो रात को महिला को गिरफ्तार करके थाने ले जा सकती है और कानून मंत्री का अपने सामने महिला द्वारा शौच करवाना भारतीय कानून के हिसाब से बलात्कार कहलाता है। लेकिन इतने पर भी अरविंद केजरीवाल जी ने अपने कानून मंत्री जिसको कानून की जरा भी समझ नहीं है उसकी पीठ ना सिर्फ थपथपाई बल्कि उसको लेकर उपराज्यपाल के पास पहुँच गए।

अब जरा कोई अरविंद केजरीवाल को समझाये की महोदय पुलिस ने कोई गलत कार्य नहीं किया बल्कि कानून के दायरे मे रह कर अपना कर्तव्य निभाया है। साथ ही जब आपको पहले से पता था की दिल्ली पुलिस दिल्ली के मुख्यमंत्री के हाथों मे नहीं है तो इतने दिनों मे आपने कौन सा कदम उठाया है दिल्ली पुलिस को दिल्ली के मुख्यमंत्री के अंड़र मे करने का। आपको तो सरकार बनाते ही सबसे पहले ये कार्य करना चाहिए था।

३॰ अपनी पार्टी मे राष्ट्रद्रोही बयानों को बयानकर्ता का व्यक्तिगत मत कह कर टाल देना जबकि बयानकर्ता उक्त राष्ट्रद्रोही बयान देते समय पार्टी की टोपी के साथ पार्टी के बैनर तले बयान दे रहा हो। क्या ये राष्ट्रद्रोह का बढ़ावा नहीं है?

ये सभी घटनाक्रम अरविंद केजरीवाल द्वारा भारत की न्यायप्रणाली के साथ-साथ भारत के लोकतन्त्र का मखौल बनाने के लिए।

ऐसे मे मुझे "मौलाना हसरत अली" साहब का बयान सच जान पड़ता है जिसमे मौलाना हसरत अली साहब ने बताया है की अपने आंदोलन के शुरुवाती दिनों मे ही केजरीवाल हसरत अली जी से मिला था। हसरत अली साहब से अरविंद केजरीवाल ने कहा था की वो दिल्ली को तहरीर चौक बनाना चाहता है और इसमे हसरत अली साहब अरविंद केजरीवाल की मदद करें। तहरीर चौक (इजीप्ट) पर क्या हुआ था आज ये सभी जानते हैं और उस तहरीर चौक पर लगी आग आजतक इजीप्ट मे शांत नहीं हुई और आजतक इजीप्ट उस आग मे झुलस रहा है। 

इस प्रकार से हम देख सकते हैं की अरविंद केजरीवाल का मकसद भारत का भ्रष्टाचार खत्म करना नहीं बल्कि भ्रष्टाचार विरोधी मुखौटे को पहन कर भारत देश के सभी देशवासियों के मन मे भारत की न्यायप्रणाली, लोकतन्त्र, अर्थतन्त्र और यहाँ तक की रक्षातन्त्र के खिलाफ ऐसा आक्रोश भर देना की लोग भारत के हर कोने से राष्ट्रविरोधी कार्यों मे लिप्त हो जाएँ। हर जगह कानून का मखौल उड़ाया जाए। गैरकानूनी कार्य भारत की जनता सीना तान कर करे। इन सभी घटनाओं के विश्लेषण को देख कर कहें तो अरविंद केजरीवाल ने भारत को आतंक एवं गृहयुद्ध के तरफ धकेलने के लिए उकसाया है। इस देश को ऐसे अवसाद मे धकेलने का षड्यंत्र रचा है अरविंद केजरीवाल ने जिससे जो देश अब प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है उसको नाइजीरिया, सीरिया इत्यादि देशों की श्रेणी मे खड़ा कर विदेशी हाथों की कठपुतली बना देना चाहता है।

लेकिन इन सभी कार्यों को अंजाम देने वाला अकेले केजरीवाल नहीं है बल्कि वो केंद्र सरकार भी है जिसने इस अरविंद केजरीवाल पर कोई कार्यवाई ना करके इसको अपने मन की करने की छुट दी।