17 Dec 2013

Justice Ganguli - Rapist or Soniya Gandhi's new Victim


जस्टिस गांगुली.....रेपिस्ट या फिर सोनिया द्वारा प्रताड़ित



जस्टिस गांगुली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा। आरोप लगाने वाली लड़की क्रिश्चियन है (लड़की के धर्म का जिक्र करना यहाँ जरूरी है, इसलिए जिक्र किया, कृपया अन्यथा ले कोई)। लड़की जस्टिस गांगुली पर यौन उत्पीड़न का कोई एफ़आईआर नहीं करना चाहती है। जस्टिस गांगुली का सिर्फ मीडिया ट्रायल चल रहा है।

आपको याद होगा की जस्टिस गांगुली पर जब यौन उत्पीड़न का आरोप लगा तब सुप्रीम कोर्ट ने जांच किया और आगे कुछ भी कार्य करने से मना करते हुए अपना जांच रिपोर्ट आगे बढ़ा दिया। उसके पहले और बाद से मीडिया जस्टिस गांगुली पर इतनी हमलावर हुई की उनको पद से हटाने तक का फैसला सुनाते हुए जस्टिस गांगुली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

लेकिन हालिया घटनाक्रम और माननीय सुब्रमनियम स्वामी जी द्वारा इस यौन उत्पीड़न घटना पर टिप्पणी कई बंद लिफाफे खोल कर सोचने पर मजबूर करता है।

सुब्रमनियम स्वामी जी ने बताया की जस्टिस गांगुली 2G घोटाले मे मुख्य जांचकर्ता हैं जिन्होने सोनिया गांधी की नींद उड़ा दी है। ऐसे मे जस्टिस गांगुली के ऊपर यौन उत्पीड़न का मात्र आरोप लगाना, वो भी एक क्रिश्चियन लड़की के द्वारा, लड़की का जस्टिस गांगुली के ऊपर यौन उत्पीड़न का एफ़आईआर करने से इन्कार करना, मीडिया समेत सभी कोंग्रेसी नेताओं का जस्टिस गांगुली पर मुखर विरोध और विरोध के एवज मे इस्तीफ़े की मांग, महिला आयोग द्वारा जस्टिस गांगुली के इस्तीफे की मांग लेकिन तेजपाल के मामले मे शांत बने रहना, कहीं ना कहीं दाल मे काला होने का या कहें तो पूरी दाल के ही काले होने का अंदेशा है।

अगर लड़की के द्वारा जस्टिस गांगुली पर लगाए आरोप को भी देखें तो वो भी हास्यप्रद होने के साथ-साथ संदेहास्पद  ज्यादा लगते हैं। लड़की ने पहले कहा की जस्टिस गांगुली ने लड़की को एक ही रूम शेयर करने को कहा, फिर लड़की ने कहा की जस्टिस गांगुली ने लड़की का हाथ चूमा और कहा की वो उससे प्यार करते हैं।

इन सभी घटनाक्रमों को देखें तो साफ-साफ दिखता है की सोनिया गांधी 2G घोटाले के जांच की आंच से बचने के लिए और जस्टिस गांगुली को ना खरीद पाने की स्थिति मे उन पर अपनी किसी यौन असंतृप्त, कभी यौन व्यापार की मंडी बनी वेटिकन की चमची द्वारा झूठा आरोप लगा कर जस्टिस गांगुली को महज बदनाम करने और 2G घोटाले की जांच से हटाने की साजिश रची है।

11 Dec 2013

Sheila Dikshit betrayed by Congress for LokSabha


मोदी के डर मे शीला दीक्षित का बलिदान किया कॉंग्रेस ने

अखबार मे पढ़ा की आम आदमी पार्टी केजरीवाल को मोदी जी के खिलाफ लोक सभा मे खड़ा करने के बारे मे सोच रही है।

इस खबर को पढ़ का दिमागी कीड़ा कुछ ज्यादा ही कुलबुलाने लगा....इसके कई कारण थे

१. केजरीवाल द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले एक सर्वे को मार्केट मे लाना की आम आदमी पार्टी के ४९% कार्यकर्ता मोदी को प्रधानमंत्री के रूप मे देखते हैं

२. केजरीवाल हालिया ५ राज्यों के चुनाव मे सिर्फ दिल्ली मे ही लड़े बाकी जगह पर नहीं क्यूंकी बाकी जगहों पर भाजपा इतनी तगड़ी थी की केजरीवाल का उस आँधी मे क्या हाल होता ये उनको पहले से पता था


लेकिन सबसे अहम कारण है.......केजरीवाल का शीला दीक्षित के खिलाफ रिकर्ड २५ हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल करना। केजरीवाल उस शीला दीक्षित के खिलाफ जीत हासिल किए जिस शीला ने १५ साल राज किया। लेकिन एक बात यहाँ गौर करने वाली है की शीला दीक्षित ने खुद अपनी विधानसभा मे खुद के वोट के लिए प्रचार नहीं किया। और शांति से बैठी रही ना कोई रैली, ना कोई पदयात्रा कुछ नहीं सिवाय घर पर बैठने के।

ऐसे मे केजरीवाल ने चुनाव मे शीला दीक्षित को रिकार्ड २५ हजार से ज्यादा मतों से हराया। लेकिन इस हार का चीर-फाड़ करने पर पता लग रहा है की कॉंग्रेस ने दिल्ली विधानसभा और शीला दीक्षित का बलिदान दिया ताकि केजरीवाल का कद बड़ा किया जा सके। केजरीवाल का कद इतना बड़ा किया जाये ताकि उसको मोदी जी के खिलाफ उतारा जा सके। क्यूंकी मोदी जी के खिलाफ उतारने के लिए कॉंग्रेस के पास कोई भी नेता नहीं है। ऐसे मे किसी ऐसे का कद बड़ा करना था जो थोड़ा सामाजिक हो और जनता मे जाना-पहचाना चेहरा हो। तो केजरीवाल के रूप मे कॉंग्रेस को एक मोहरा मिल गया।

कॉंग्रेस ने जैसे आईपीएस संजीव भट्ट की बीबी को गुजरात मे खड़ा किया लेकिन उसके पहले संजीव भट्ट का कद बड़ा किया, उसको मीडिया के द्वारा ईमानदारी का सर्टिफिकेट दिलवाया और भट्ट को केजरीवाल के नजदीक किया। 

वाह रे कॉंग्रेस हमेसा अपनों का बलिदान देने मे आगे रहती है वोट के लिए। सीता राम केसरी के बाद अब शीला दीक्षित का नाम कॉंग्रेस द्वारा बलिदान देने मे स्वर्णिम अक्षरों मे लिखा जाएगा।


8 Dec 2013

Delhi Election : A Learning Stage


दिल्ली चुनाव : एक सबक सभी के लिए


दिल्ली विधानसभा 2013 के हुए मतदान की मतगणना भी पूर्ण हो गई साथ ही रिजल्ट भी आ गए। इस चुनाव मे उम्मीद के मुताबिक बड़ी पार्टी के रूप मे कमल के खिलने को मैं भाजपा, नितिन गडकरी, नरेंद्र मोदी जी एवं सबसे अहम भाजपा के मुख्य मंत्री के ईमानदार उम्मीदवार डॉ हर्षवर्धन जी को बधाई देता हूँ। साथ ही 4-0 से जीत के लिए बधाई देता हूँ भाजपा के चारों प्रदेशों के समस्त कार्यकर्ताओं को। इस चुनाव मे अप्रत्याशित रूप से दूसरे स्थान पर आने वाली पार्टी जिसका अभी तक पंजीकरण भी नहीं हुआ "आम आदमी पार्टी" को भी बधाई देता हूँ। 

सबसे अहम है की दिल्ली का ये चुनाव हमे कई सीख दे कर गया। कहीं रुदालियों का दौर जारी है तो कहीं जीत के पटाखों के साथ नारों का शोर जारी है।

भाजपा के नेताओं को जमीनी स्तर पर और जुड़ाव चाहिए और अपने सैनिकों को चुनावी हथियारों से पूर्ण रूप से लैस करने की जरूरत के साथ-साथ अपने कार्यकर्ताओं की बातों को ज्यादा ध्यान से सुनने की जरूरत है साथ ही कार्यकर्तों के सुझाओं का विश्लेषण कर उनपर अमल करने की जरूरत है। भाजपा को एक और जरूरत है अपने प्रतिद्वंदी को कभी भी कमजोर समझने की भूल ना करे।

साथ ही जिस प्रकार से दिल्ली की करीब 25% जनता ने केजरीवाल मे विश्वास दिखाया है ऐसे मे केजरीवाल को दिल्ली की जनता के विश्वास पर खरे उतरते हुए दिल्ली की जनता को पुनः चुनाव मे ना झोंकते हुए दिल्ली को एक ईमानदार मुख्य मंत्री देना चाहिए। ध्यान रहे की दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी के किसी उम्मीदवार को नहीं बल्कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को वोट दिया है। ऐसे मे दिल्ली की जनता चाहेगी की जिस प्रकार से केजरीवाल ने राम लीला मैदान से जनलोकपाल पास करने को कहा या फिर दिल्ली की जनता को आधी कीमत पर बिजली देने का वादा किया साथ ही दिल्लीवासियों को मुफ्त मे पानी देने को कहा वो सभी चुनावी वादे इसी सत्र मे पूरा करने का माद्दा दिखाना चाहिए।

साथ ही दिल्ली की जनता हर्ष पूर्वक केजरीवाल की तरफ देखते हुए सोच रही है की भले ही केजरीवाल अपने नौकरी के कार्यकाल के दौरान इन्कमटैक्स डिपार्टमेन्ट मे घूस तो नहीं रोक सके थे लेकिन पूरी दिल्ली को घूसमुक्त क्षेत्र घोषित करके दिल्ली के बसींदो को घूस के बोझ से सम्पूर्ण मुक्ति दिलाएँगे। 

वैसे ये चुनाव पुरानी कहावत को भी चरितार्थ करता गया। जिस प्रकार कॉंग्रेस ने अपने ऊपर हो रहे चौतरफा हमलों और कई रिपोर्टों मे आ रही उसकी करारी हार को परख, आम आदमी पार्टी को हर तरह से सुविधा दे, अपनी कुर्सी बचाने के लिए मैदान मे उतारा उसने भाजपा को तो बहुमत लेने से रोक दिया लेकिन कॉंग्रेस का दिल्ली मे सफाया कर कॉंग्रेस को उसी के खोदे हुए गड्ढे मे गिरा दिया।

परंतु सभी बातें एक तरफ हैं और केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनते हुए मैं देखना चाहता हूँ। दिल्ली का रहवासी होने के नाते मैं चाहता हूँ केजरीवाल दिल्ली को "हंग असेंबली" ना दे कर अपनी सरकार बनाएँ और अपने चुनावी वादे पूरे करें।