10 Jan 2013

Pakistan Army cut Indian Soldiers head


भारतीय सैनिक का सर पाकिस्तानी ले गए

कहीं ये दूसरे कारगिल की धमक तो नहीं ? ? ?



जबकी देश मे चुनाव सर पर आ रहे हैं ठीक उसी समय हमारे सेना के 2 जवानों का सर काट डाला पाकिस्तानियों ने और कुछ जवान जख्मी और ये घटना घटी हमारे सरहद मे हमारी सीमा के अंदर....

ऐसे कई सवाल हैं जो मुँह फाड़े खड़े हैं.....परंतु उसके पहले कुछ और भी पहलू हैं वो देखते हैं......

अगर कोई भी टुकड़ी साधारण गस्त पर निकलती है तो कम से कम 5 जवान होते हैं। हर जवान को साधारण दिनों मे 4 मैगजीन मिलती है.....1 बंदूक मे और 3 जैकेट मे साथ ही 2 हैंड ग्रेनेड.....और एक मैगजीन मे 30 गोलियां होती हैं।

ऐसे मे अगर 5 सैनिक भी साधारण गस्त पर थे मतलब की उनके पास 10 हैंड ग्रेनेड और 600 गोलियाँ थीं।

अगर दुश्मन सेना ने हमारे जमीन पर ही हमे घेर लिया है तो अमूमन है की वो मुँह दिखाई की रस्म निभाने नहीं आया है बल्कि मारने ही आया है।

अब सवालों की बारी.......

जब हमारे जवान घिर गए थे तो उन्होने गोली क्यूँ नहीं चलाई....क्या ऐसे समय मे भी उन्हे ऊपर से आदेश लेना था जो उन्हे नहीं मिला क्यूंकी "अमन की आशा" की चाह उमड़ रही थी और हमारे सैनिक मारे गए और जख्मी हुए....

मरे हुए सैनिक के शरीर पर गोलियों के निशान नहीं हैं इसका मतलब की हमारे सैनिकों को बंधक बना कर मारा गया.......साथ ही हमारे 5 सनिक बंधक बनाए गए मतलब साफ है की पाकिस्तानि सैनिकों की सख्या बहुत ज्यादा होगी

हमारे जमीन पर हमारी सरहद के अंदर हमारे सैनिक को बंधक बना कर और हमारे सैनिक का गला काट कर पाकिस्तानी ले कर गए और हमारी खुफिया और जांच एजेंसियाँ क्या सो रही थीं जो इतने पाकिस्तानी सनिक हमारी सीमा मे घुस आए और हमे पता ही नहीं

"ऐसी ही घटना और चूक के वजह से हमे कारगिल युद्ध का सामना करना पड़ा था और हमने हजारों की संख्या मे अपने सैनिक खोये थे"....इसे भी ध्यान मे रखिएगा कि कहीं ये कारगिल कि पुनरावृत्ति तो नहीं है जो हमसे छिपाने कि कोशिस करने मे लगे हैं।

कारगिल युद्ध के साथ ही अभी हाल ही की 26-11 की घटना बहुत पुरानी नहीं है साथ पाकिस्तान का पूर्वार्ध मे तथा हाल के दिनों मे भी जब भारत पाकिस्तान को खुश करने हेतु मैदान मे चौके और छक्के खा रहा था तब क्या जांच एजेंसियाँ इन पकिस्तांकियों को सैनिकों का अपहरण कर सर काट ले जाने का वीजा बाँट रही थी

सवालों की फेहरिस्त बहुत लंबी है परंतु जवाब भी मांगे तो किससे यहाँ तो सभी अपने-अपनी लंगोट को फाड़ चादर बनाने मे जूटे हैं और जो लंगोट नहीं पहन सकती हैं वो तो कुछ और ही उछल रही हैं लेकिन देश की कोई नहीं सोच रहा है।

यहाँ सबसे बड़ा खतरा ये है की देश इस समय आंतरिक झंझावात से जूझ रहा है और लंगोट और पेटीकोट चादर बदलने मे लगे हैं ऐसे मे कुछ समय पहले तक चाइना हमेसा हमारी सीमा के अंदर आ हमे आँख दिखा कर निकल जाता था परंतु चीर प्रतिद्वंदी और विद्वेषी पाकिस्तान भी अब हमारी सीमा मे न ही घुसा बल्कि हमारा मान भी ले गया। ये एक ऐसा समय है जब हमारे देश, जिसका अधिकांश पैसा मौजूदा समय मे स्विस बैंक की तिजोरी मे बंद है और उस पर PW GOLDEN ACCOUNT का ताला लगा हुआ, के ऊपर हमारा विद्वेषी पड़ोसी हमला भी कर सकता है और हम लाचार बन जाएँगे क्यूंकी खुद तो हथियार बनाते नहीं हैं सब पैसे फेंकने के बाद भी हाथ फैला कर माँगने को मजबूर हैं क्यूंकी हमारे नेताओं के किसी आका ने इस पैसा फेंक मे पैसा बनाया है। 

अब ऐसी घटनाओं के बाद जबकि ना तो हम घर के अंदर सुरक्षित हैं और ना ही बाहर। तो ऐसे मे हम "केला देश के आम नागरिक" क्या करें क्यूंकी सत्तासीनों के कानों मे नोटों के बण्डल भरे हुए हैं और होंठ तो नदारद हैं की कुछ बोल फूटें वैसे अगर फूटते भी हैं तो कड़े कदम के लिए लेकिन शायद वो कड़े कदम का मतलब सिर्फ कोरी बयानबाजी ही रहती है।

"वैसे ये भी ज्ञात रहे की मौजूदा सत्तासीन हमारी सीमाओं को पड़ोसी देशों को जहां से हमे खतरा हो सकता है उनको दहेज मे दे आए और अभी भी गुजरात स्थित 'सर क्रीक' को पाकिस्तान को दहेज मे देने की तैयारी मे लगे हैं।

वैसे बिन पैसे का एक सुझाव है इन पद के नशे मे मस्त पैसे की भाषा समझने वाले सत्तासीनों से कि "गर कर नहीं सकते खुद तुम कुछ तो दे दो हम आम आदमियों को आजादी इतनी पाकिस्तान को मिला दें धूल मे बिना एक भी अपना वीर सैनिक गँवाए।"



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