14 Jan 2013

Congress threatening indian businessmen


उद्योगजगत मोदी को सपोर्ट ना करें वरना परिणाम अच्छा नहीं

वाईब्रेण्ट गुजरात की चमक से चौंधियाई कॉंग्रेस की आंखे भारतीय उद्योगपतियों को धमकी



वाईब्रेण्ट गुजरात जिसका इंतजार आज सभी उद्योगपतियों को होता है और इस विहंगम व्यावसायिक समारोह मे न केवल भारत के अपितु विश्व के कई संभ्रांत देश शिरकत करने के लिए पंक्तिबद्ध खड़े होते हैं ताकि व्यवसाय के नए आयाम खुल सकें और छुपे हुए सपनें साकार किए जा सकें।

आज देश विकास चाहता है परंतु देशवासियों को विकास एक मात्र गुजरात मे मिल रहा है। ऐसे मे उद्योगपतियों का गुजरात की तरफ रुख करना अचंभित करने वाला वाकिया नहीं लगता है अपितु एक यथार्थ सत्य है जिसे ठुकराना मतलब आईने को पीठ पीछे रख खुद को निहारना। 

अब ऐसे मे जहां देश से कंपनियाँ कम होती जा रही हैं और उन्हे सुविधा के नाम पर कुछ नहीं दिया जा रहा है और उनके द्वारा लिए जा रहे टैक्स को बस स्विस बैंक की तिजोरियाँ संभाल रही हैं वहाँ गुजरात हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े उद्योग घराने का घरौंदा बना हुआ है। सभी उद्योगपति चाहें वो जहां कहीं के भी हों जैसे कुछ समय पहले मैं हिसार और भिवानी जो की कॉंग्रेस शासित प्रदेश हरयाणा के अंतर्गत आते हैं वहाँ के उद्योगपतियों से मिला और सभी का ये विचार था और कुछ तो कार्यान्वित भी थे की यहाँ से व्यवसाय को गुजरात के तरफ ले चला जाये। वहाँ गुजरात मे कार्य करने का जज्बा है और वहाँ की सरकार व्यवसायियों को व्यवसाय की मूलभूत सुविधाएँ तो दे रही है।

तो ऐसे मे ये देख कर की सभी व्यवसायीयों का झुकाव विकासपुरुष नरेंद्र दामोदर भाई मोदी जी के तरफ हो रहा है तो ऐसे मे कॉंग्रेस मे खलबली का मचना लाजमी था। और इस खलबली का निष्कर्ष भी निकलना ही था और सोचा गया था की कॉंग्रेस मोदी जी को निशाने पर लेगी। कॉंग्रेस ने मोदी जी को तो निशाने पर लिया ही और मोदी जी की तुलना "हिटलर" से कर दी। ये हिटलर से तुलना शायद कॉंग्रेस की अमन की आशा के प्रचारक कॉंग्रेस के पाकिस्तानी साथी को सीमा पर हुए विवाद जिसमे पाकिस्तानियों ने हमारे 2 सैनिकों के सर काट कर लेते गए के बाद उस पाकिस्तानी उद्योगपति को मोदी जी द्वारा वाईब्रेण्ट गुजरात से निष्काषित करने पर किया गया। 

परंतु यह क्या कॉंग्रेस के सांसद मनीष तिवारी तो इतने पर भी नहीं रुके की उन्होने मोदी जी की तुलना हिटलर से कर दी क्यूंकी मोदी जी ने सच्चा राष्ट्रधर्म और राजधर्म निभाया बल्कि मनीष तिवारी जी तो भारतीय उद्योग घरानों को ही सीख देने मे व्यस्त हो गए वो भी चेतावनी के रूप मे की समय है संभाल जाओ और मोदी राग अलापना बंद कर दो नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा।

मैं कॉंग्रेस और मनीष तिवारी से एक सवाल करना चाहता हूँ कि क्या आप देश के धन्नासेठ हैं परंतु आप धन्नासेठ तो लगते नहीं हैं, हाँ आप इस मायावी सेठ के यहाँ नगरवधू जरूर हो सकते हैं। पहले तो आपको डर हुआ सोशियल मीडिया पर जागरूक देशभक्तों से तो आप 66A के रूप मे इन्टरनेट पर कर्फ़्यू लगा गए अब कौन सा नियम या कानून निकाल लोगो को उनकी भावनात्मक और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति से दूर करना चाहते हैं।

आपके वक्तव्यों से तो मनीष जी ऐसा प्रतीत होता है कि आप "शेर कि दहाड़ से अपने मंद मे घुस अपने लोगों को डराने मे लगे हैं कि उधर मत जाना।"

सुधर जाएँ मनीष जी कहीं ऐसा ना हो जाए कि हम आम जनता को आपको सुधारना पड़े.....हमारे सुधारने से आपको बड़ी तकलीफ होगी अतः खुद ही सुधर जाएँ तो अच्छा रहेगा।


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