केजरीवाल : हत्यारों, चोरो, डकैतों संग चोली दामन का साथ लेकिन कहते खुद को पाक साफ
केजरीवाल को IAC आंदोलन से पहले शायद कोई भी नहीं जानता था, सिवाय सरकारी महकमों और लूटेरी NGO बीरदारी के। लेकिन अन्ना को अनसन पर बैठा कर और खुद को उस अनसन से दूर रख इन्होने जो नाम कमाया वो काबिले तारीफ है। वैसे ज्ञात रहे की अन्ना के अनसन के समय इन्होने कहा था की चूंकि इनको शुगर की बीमारी है तो ये अनसन नहीं कर सकते हैं, फिर इन्होने कहा की अनसन से कुछ हासिल नहीं होता है, लेकिन ये महाशय ना केवल अनसन पर बैठे बल्कि विश्व भर के स्वस्थ्य विभाग के वैज्ञानिकों को चौंका भी दिया इतने दिन अनसन पर रह कर। वैसे इनके अनसन मे इनसे ज्यादा चर्चा स्टील के ग्लास का रहा।
अभी तक केजरीवाल पर आरोप चोरों और डकैतों के साथ रहने या उनको अपने साथ रख उनको ईमानदारी का सर्टिफिकेट देने का आरोप लगता रहा है, परंतु अब केजरीवाल महोदय जिंदल इत्यादि डकैतों की शोहबत से थोड़ा आगे निकल कर अपहरण, फिरौती और हत्यारों को भी आज कल ईमानदारी का सर्टिफिकेट थोक के भाव मे देते हुए दिखाई दे रहे हैं। कभी पुना के किसी बलात्कारी और हत्यारे संग लंच कर रहे हैं और लॉन्ग ड्राइव का मजा ले रहे हैं तो अभी ये महोदय इन्ही हत्यारों, बलात्कारियों और डकैतों को अपनी पार्टी का टिकट बांटते नजर आ रहे हैं। शायद केजरीवाल के टिकट से इन सभी अपराधियों के पाप धूल जाएंगे। खुद को मोक्षदायिनी माँ गंगा का नर रूप मान बैठे हैं ये केजरीवाल।
ये अलग बात है की केजरीवाल ने पार्टी ना बनाने की घोषणा को भी लात मार पार्टी बनाई थी और घोषणा किया था की उनकी पार्टी से किसी भी अपराधी को टिकट नहीं मिलेगा, लेकिन अब भाई चोर के पेट मे दर्द तो होना ही था, दे दिया अपराधियों को टिकट।
स्वराज लाने की बात करते हैं केजरीवाल, हाँ उसी स्वराज की बात जिस किताब को चोरी कर अपने नाम से छाप दिया था इन्होने, उस स्वराज को कैसे लाएँगे इसका इनको ही अता-पता नहीं है। लेकिन चूंकि ये घृणित कार्य केजरीवाल ने किया अतः ये कार्य घृणित ना हो कर एक अमर गाथा बन गई।
अब कोई जरा इनसे पूछे की महोदय आपका तो बहुमत दिल्ली मे आएगा नहीं ऐसे मे सरकार बनाने के लिए आप किस पार्टी को समर्थन देंगे। वैसे इस सवाल का जवाब ये महोदय कभी नहीं देंगे, जैसे आज तक उठे किसी भी सवाल का जवाब न तो ये महोदय दे पाये और ना ही इनके पीछे चलने वाले पिछलग्गू चोंचलेबाज। अब भाजपा तो एक सांप्रदायिक पार्टी है अतः केजरीवाल जी उसको तो समर्थन देंगे नहीं, बसपा की इतनी सीट आएंगी नहीं, कुल मिला कर बचती है कॉंग्रेस, जिसे शर्तिया केजरीवाल जी समर्थन दे कर सरकार बनाएँगे, आखिर धर्मनिरपेक्षता भी कोई चीज होती है।
वैसे भी दोषियों का संग केजरीवाल को बहुत भाता है चाहे वो भू माफिया मयंक गांधी और अंजलि दमानिया हों जिन पर "आप पार्टी" का अंदरूनी लोकपाल सालों बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट पेश नहीं कर पाया जिसे केजरीवाल महज 3-4 महीनों मे पेश करने की बात करते सुने जाते थे। और जिंदल जैसे डकैत का संग तो केजरीवाल ने बहुत कुछ ऐश किया। जिंदल से पैसे चंदे के रूप मे ले कर केजरीवाल कोयला घोटाले पर होंठों को सील कर अज्ञातवास मे बैठ गए। भूषण बंधु जो कोर्ट के द्वारा सजायाफ्ता है और जाने कितने केस इनके खिलाफ चल भी रहे हैं वो भी धोखाधड़ी के ही वो ही भूषण बंधु पार्टी के मुख्य कर्ता-धर्ता हैं।
वैसे केजरीवाल ही कौन सा पाक साफ हैं। आज सभी इनके समर्थक चिल्लाते हैं की केजरीवाल के साथी करोड़ो कमाते थे लेकिन केजरीवाल ने नहीं कमाया। लेकिन क्या किसी ने भी आज तक बताया की केजरीवाल ने कितने घोटाले उजगार किए, अपने कितने लूटेरे मित्रों का नाम उजागर किया। जवाब होगा एक भी नहीं, कारण होगा अरे भाई एक चोर कभी दूसरे चोर का नाम बताता है भला।
वैसे केजरीवाल पर भी जब किसी ने आरोप लगाए या तो केजरीवाल ने उन सभी आरोप लगाने वालों को केजरीवाल ने पहचानने से मना कर दिया या फिर केजरीवाल के गुंडों ने केजरीवाल पर आरोप लगाने वालों की धुलाई कर दी या जान से मारने की धमकी दी। वैसे केजरीवाल की पुरानी साथी किरण बेदी ने भी केजरीवाल पर धोखाधड़ी और पैसे के हेरफेर का आरोप लगाया तो केजरीवाल ने मंजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह पल्ला झाड लिया। दूसरे पर महज झूठे आरोप लगाएँ तो सब ठीक लेकिन आप पर सही आरोप लगे तो भी सामने वाला देशद्रोही, ये है केजरीवाल और उनके चमचों की आधारशिला।
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