2 May 2012

गुजरात दंगे का सच

आज जहा देखो वहा गुजरात के दंगो के बारे में ही सुनने और देखने को मिलता है फिर चाहे वो गूगल हो या फसबूक हो या फिर टीवी| रोज रोज नए खुलाशे हो रहे हैं| रोज गुजरात की सरकार को कटघरे में खड़ा किया जाता है| सबका निशाना केवल एक नरेन्द्र मोदी| जिसे देखो वो अपने को को जज दिखाता है| हर कोई सेकुलर के नाम पर एक ही स्वर में गुजरात दंगो की भर्त्सना करते हैं| मै भी दंगो को गलत मानता हूँ क्युकी दंगे सिर्फ दर्द दे कर जाते हैं जिनको दंगो से कोई मतलब होता है उनको|

अब सवाल उठता है की गुजरात दंगा आखिर हुआ ही क्यों२७ फरवरी २००२ साबरमती ट्रेन के बोगियों को जलाया गया गोधरा रेलवे स्टेशन से करीब ८२६ मीटर की दुरी पर| इस ट्रेन में जलने से ५८ लोगो को मौत हुई| प्रथम दृष्टया रहे वहाँ के १४ पुलिस के जवान जो उस समय स्टेशन पर मौजूद थे और उनमे से पुलिस वाले घटना स्थल पर पहुचे और साथ ही पहुचे अग्नि शमन दल के एक जवान सुरेश गिरी गोसाई जी| अगर हम इन चारो लोगो की माने तो म्युनिसिपल काउंसिलर हाजी बिलाल भीड़ को आदेश दे रहे थे ट्रेन के इंजन को जलाने का| साथ ही साथ जब ये जवान आग बुझाने की कोशिस कर रहे थे तब ट्रेन पर पत्थरबाजी चालू कर दी गई भीड़ के द्वारा| अब इसके आगे बढ़ कर देखे तो जब गोधरा पुलिस स्टेशन की टीम पहुंची तब लोग १०,००० की भीड़ को उकसा रहे थे ये थे म्युनिसिपल प्रेसिडेंट  मोहम्मद कलोटा और म्युनिसिपल काउंसिलर हाजी बिलाल|

अब सवाल उठता है की मोहम्मद कलोटा और हाजी बिलाल को किसने उकसाया और ये ट्रेन को जलाने क्यों गए?

सवालो के बाढ़ यही नहीं रुकते हैं बल्कि सवालो की  लिस्ट अभी लम्बी है|


अब सवाल उठता है की क्यों मारा गया ऐसे राम भक्तो कोकुछ मीडिया ने बताया की ये मुसलमानों को उकसाने वाले नारे लगा रहे....अब क्या कोई बताएगा की क्या भगवान राम के भजन मुसलमानों को उकसाने वाले लगते हैं?

लेकिन इसके पहले भी एक हादसा हुआ २७ फ़रवरी २००२ को सुबह :४३ मिनट घंटे की देरी से जैसे ही साबरमती ट्रेन चली और प्लेटफ़ॉर्म छोड़ा तो प्लेटफ़ॉर्म से १०० मीटर की दुरी पर ही १००० लोगो की भीड़ ने ट्रेन पर पत्थर चलाने चालू कर दिए पर यहाँ रेलवे की पुलिस ने भीड़ को तितर बितर कर दिया और ट्रेन को आगे के लिए रवाना कर दिया| पर जैसे ही ट्रेन मुस्किल से ८०० मीटर चली अलग अलग बोगियों से कई बार चेन खिंची गई| बाकि की कहानी जिस पर बीती उसकी जुबानी| उस समय मुस्किल से १५-१६ की बच्ची की जुबानी|

ये बच्ची थी कक्षा ११ में पढने वाली गायत्री पंचाल जो की उस समय अपने परिवार के साथ अयोध्या से लौट रही थी की माने तो ट्रेन में राम धुन चल रहा था और ट्रेन जैसे ही गोधरा से आगे बढ़ी एक दम से रोक दिया गई चेन खिंच कर| उसके बाद देखने में आया की एक भीड़ हथियारों से लैस हो कर ट्रेन की तरफ बढ़ रही है| हथियार भी कैसे लाठी डंडा नहीं बल्कि तलवार, गुप्ती, भाले, पेट्रोल बम्ब, एसिड बल्ब्स और पता नहीं क्या क्या| भीड़ को देख कर ट्रेन में सवार यात्रियों ने खिड़की और दरवाजे बंद कर लिए पर भीड़ में से जो अन्दर घुस आए थे वो कार सेवको को मार रहे थे और उनके सामानों को लूट रहे थे और साथ ही बाहर खड़ी भीड़ मारो-काटो के नारे लगा रही थी| एक लाउड स्पीकर जो की पास के मस्जिद पर था उससे बार बार ये आदेश दिया जा रहा था की "मारो, काटो. लादेन ना दुश्मनों ने मारो"| साथ ही बाहर खड़ी भीड़ ने पेट्रोल डाल कर आग लगाना चालू कर दिया जिससे कोई जिन्दा ना बचे| ट्रेन की बोगी में चारो तरफ पेट्रोल भरा हुआ था| दरवाजे बाहर से बंद कर दिए गए थे ताकि कोई बाहर ना निकल सके| एस- और एस- के वैक्यूम पाइप कट दिया गया था ताकि ट्रेन आगे बढ़ ही नहीं सके| जो लोग जलती ट्रेन से बाहर निकल पाए कैसे भी उन्हें काट दिया गया तेज हथियारों से कुछ वही गहरे घाव की वजह से मारे गए और कुछ बुरी तरह घायल हो गए|

अब सवाल उठता है की हिंदुओं ने सुबह बजे ही दंगा क्यों नहीं शुरू किया बल्कि हिन्दू उस दिन दोपहर तक शांत बना रहा (ये बात आज तक किसी को नहीं दिखी है)| हिंदुवो ने जवाब देना चालू किया जब उनके घरो, गांवों, मोहल्लो में वो जली और कटी फटी लाशें पहुंची| क्या ये लाशें हिंदुओं को मुसलमानों की गिफ्ट थी और हिंदुओं को शांत बैठना चाहिए था सेकुलर बन कर या शायद हाँ| हिन्दू सड़क पर उतारे २७ फ़रवरी २००२ के दोपहर से| पूरा एक दिन हिन्दू शांति से घरो में बैठा रहा| अगर वो दंगा हिंदुओं या मोदी ने करना था तो २७ फ़रवरी २००२ की सुबह बजे से क्यों नहीं चालू हुआ? जबकि मोदी ने २८ फ़रवरी २००२ की शाम को ही आर्मी को सडको पर लाने का आदेश दिया जो की अगले ही दिन मार्च २००२ को हो गया और सडको पर आर्मी उतर आयी गुजरात को जलने से बचाने के लिएपर भीड़ के आगे आर्मी भी कम  पड़ रही थी तो मार्च २००२ को ही मोदी ने अपने पडोसी राज्यों से सुरक्षा कर्मियों की मांग की| ये पडोसी राज्य थे महाराष्ट्र (कांग्रेस शासित- विलाश राव देशमुख मुख्य मंत्री), मध्य प्रदेश (कांग्रेस शासित- दिग विजय सिंह मुख्य मंत्री), राजस्थान (कांग्रेस शासित- अशोक गहलोत मुख्य मंत्री) और पंजाब (कांग्रेस शासित- अमरिंदर सिंह मुख्य मंत्री| क्या कभी किसी ने भी इन माननीय मुख्यमंत्रियों से एक बार भी पुछा की अपने सुरक्षा कर्मी क्यों नहीं भेजे गुजरात में जबकि गुजरात ने आपसे सहायता मांगी थी| या ये एक सोची समझी गूढ़ राजनीती द्वेष का परिचायक था इन प्रदेशो के मुख्यमंत्रियों का गुजरात को सुरक्षा कर्मियों का ना भेजना|

उसी  मार्च २००२ को हमारे राष्ट्रीय मानवीय अधिकार (National Human Rights) वालो ने मोदी को अल्टीमेटम दिया  दिन में पुरे घटनाक्रम का रिपोर्ट पेश करने के लिए लेकिन कितने आश्चर्य की बात है की यही राष्ट्रीय मानवा अधिकार वाले २७ फ़रवरी २००२ और २८ फ़रवरी २००२ को गायब रहेइन मानवा अधिकार वालो ने तो पहले दिन के ट्रेन के फूंके जाने पर ये रिपोर्ट माँगा की क्या कदम उठाया गया गुजरात सरकार के द्वारा|


एक ऐसे ही सबसे बड़े घटना क्रम में दिखाए गए या कहे तो बेचे गए "गुलबर्ग सोसाइटी" के जलने की| इस गुलबर्ग सोसाइटी ने पुरे मीडिया का ध्यान अपने तरफ खिंच लिया| यहाँ एक पूर्व संसद एहसान जाफरी साहब रहते थे| ये महाशय का ना तो एक भी बयान था २७ फरवरी २००२ को और ना ही ये डरे थे उस समय तक| लेकिन जब २८ फरवरी २००२ की सुबह जब कुछ लोगो ने इनके घर को घेरा जिसमे कुछ कुछ तथाकथित मुसलमान छुपे हुए थे, तो एहसान जाफरी जी ने भीड़ पर गोली चलवाया अपने लोगो से जिसमे हिन्दू मरे और १३ हिन्दू गंभीर रूप से घायल हो गए| फिर इस घटनाक्रम के बाद जब भीड़ बढ़ने लगी इनके घर पर तो ये अथोरीटीज़, अपने यार-दोस्तों को फ़ोन करने लगे और तभी गैस सिलिंडर के फटने से कुल ४२ लोग मरे| यहाँ शायद भीड़ के आने पर ही एहसान साहब को पुलिस को फ़ोन करना चाहिए था ना की खुद के बन्दों के द्वारा गोली चलवाना चाहिए था| पर इन्होने गोली चलाने के बाद फ़ोन किया डाइरेक्टर जेनेरल ऑफ़ पुलिस को| यहाँ एक और झूट सामने आया जब अरुंधती रॉय जैसी लेखिका तक ने यहाँ तक लिख दिया की एहसान जाफरी की बेटी को नंगा करके बलात्कार के बाद मारा गया और साथ ही एहसान जाफरी को भी| पर यहाँ एहसान जाफरी के बड़े बेटे ने ही पोल खोल दी की उसके पिता की जान गई उस दिन पर उसकी बहन तो अमेरिका में रहती थी और रहती है| तो यहाँ कौन किसको झूठे केस में फंसना चाह रहा है ये सब साफ-साफ है|

अब यहाँ तक तो सही था पर गोधरा में साबरमती को कैसे इस दंगे से अलग किया जाता और हिंदुओं को इसके लिए आरोपित किया जाता इसके लिए लोग गोधरा के दंगे को ऐसे तो संभल नहीं सकते थे अपने शब्दों से, तो एक कहानी प्रकाश में आई| कहानी थी की कारसेवक गोधरा स्टेशन पर चाय पीने उतरे और चाय देने वाला जो की एक मुसलमान था उसको पैसे नहीं दिए...बल्कि गुजराती अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं...चलिए छोडिये ये धर्मान्धो की कहानी में कभी दिखेगा ही नहीं आगे बढ़ते हैं| अब कारसेवको ने पैसा तो दिया नहीं बल्कि मुसलमान की दाढ़ी खिंच कर उसको मारने लगे तभी उस बूढ़े मुसलमान की बेटी जो की १६ साल की बताई गई वो आई तो कारसेवको ने उसको बोगी में खिंच कर बोगी का दरवाजा बंद कर दिया अन्दर से| और इसके प्रतिफल में मुसलमानों ने ट्रेन में आग लगा दी और ५८ लोगो को मार दिया जिन्दा जला कर या काट कर| अब अगर इस मनगढ़ंत कहानी को मान भी लें तो कई सवाल उठते हैं:-

क्या उस बूढ़े मुसलमान चाय वाले ने रेलवे पुलिस को इत्तिला किया?
रेलवे पुलिस उस ट्रेन को वहाँ से जाने नहीं देती या लड़की को उतार लिया जाता|
उस बूढ़े चाय वाले ने २७ फ़रवरी २००२ को कोई ऍफ़.आइ.आर क्यों नहीं दाखिल किया?
मिनट में ही सैकड़ो लीटर पेट्रोल और इतनी बड़ी भीड़ आखिर जुटी कैसे?
सुबह बजे सैकड़ो लीटर पेट्रोल आया कहाँ से?
एक भी केस २७ फ़रवरी २००२ के तारीख में मुसलमानों के द्वारा क्यों नहीं दाखिल हुआ?

अब असलियत ये सामने आयी रेलवे पुलिस की तफतीस में की उस दिन गोधरा स्टेसन पर कोई ऐसी घटना हुई ही नहीं थी| ना तो चाय वाले के साथ कोई झगडा हुआ था और ना ही किसी लड़की के साथ में कोई बदतमीजी या अपहरण की घटना हुई| इसके बाद आयी नानावती रिपोर्ट में कहा गया है की जमीअत-उलमा--हिंद का हाथ था उन ५८ लोगो के जलने में और ट्रेन के जलने में|

दंगे में ७२० मुस्लमान मारे तो २५० हिन्दू भी मारे| मुसलमानों के मरने का सभी शोक मानते हैं चाहे वो हिन्दू हो, चाहे वो मुसलमान हो या चाहे वो राजनेता या मीडिया हो पर दंगे में २५० मरे हुए हिंदुओं और साबरमती ट्रेन में मरे ५८ हिंदुओं को कोई नहीं पूछता है कोई बात तक नहीं करता है सभी को केवल मरे हुए मुसलमान ही दीखते हैं|

एक और बात काबिले गौर है क्या किसी भी मुस्लिम लीडर का बयान आया था साबरमती ट्रेन के जलने पर?
क्या किसी मुस्लिम लीडर ने साबरमती ट्रेन को राम भक्तों की चिता बनाने के लिए खेद प्रकट किया?



अब एक छोटा सा इतिहास देना चाहूँगा गोधरा के पुराने दंगो का...क्युकी २००२ की घटना पहली घटना नहीं थी गोधरा के लिए

१९४६: सद्वा रिज़वी और चुडिघर ये दोनों पाकिस्तान सपोर्टर थे ने पारसी सोलापुरी को दंगे में मारा बाद में विभाजन के बाद चुडिघर पाकिस्तान चला गया
१९४८: सद्वा रिज़वी ने ही कलेक्टर श्री पिम्पुत्कर को मरना चाहा जिसे कलेक्टर के अंगरक्षकों ने बचाया अपनी जान देकर और उसके बाद सद्वा रिज़वी पाकिस्तान भाग गया
१९४८: एक हिन्दू का गला काटा गया और करीब २००० हिन्दू घर जला दिए गए जहा महीने तक कर्फ्यू चला
१९६५: पुलिस चौकी नंबर के पास के हिंदुवो के घर और दुकान जला दिए गए साथ ही पुलिस स्टेशन पर भी मुसलमानों का हमला हुआ उस समय वहा के MLA कांग्रेस के थे और वो भी मुसलमान थे
१९८०: हिन्दू बच्चो सहित लोगो को जिन्दा जला दिया गया, ४० दुकानों को जला दिया गया, गुरूद्वारे को जला दिया गया मुसलमानों के द्वारा, यहाँ साल तक कर्फ्यू रहा
१९९०: हिन्दू शिक्षको के साथ एक हिन्दू दर्जी को काट दिया गया
१९९२: १०० से ज्यादा घरो को जला दिया गया ताकि ये मुसलमान उन जमीनों पर कब्ज़ा कर सकें आज वो जमीने वीरान पड़ी हैं क्युकी इनके चलते हिन्दू वहाँ से चले गए
२००२: बोगियों को जला दिया गया जिसमे ५८ लोग जल कर मरे इनमे से कुछ लोग जो बचे और बाहर निकलने की कोशिस किये उनको काट दिया गया
२००३: गणेश प्रतिमा के विशर्जन के समय मुसलमानों ने पत्थरबाजी की और इस खबर को रीडिफ़ और टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने छपा बाकि किसी ने भी नही

एक मात्र तस्वीर जो बेचीं जाती है गुजरात दंगे के तौर पर वो है कुतुबुद्दीन अंसारी की 


पर यही मीडिया ये तस्वीरे क्यों नहीं दिखाती जो की ट्रेन जलने से मरे या कोई सेकुलर इनके बारे में नहीं बात करता है?

     

30 comments:

  1. vineet jee jab tak humare desh me muslimon ko rijhane ke liye rajneeti hoti rahegi tab tak na to media sach samne laayegi aur na aam aadmi kabhi gujrat ki sachai samajh sakta hai. humesh keval kutbuddin ansari ke nautanki bhre photo ko hee dikha ke hinduon ko bevkoof banaya jata rahega kabhi bhi hinduon ke sath huye atyacharon ko nahi dikhaya jayega.Lekin hakikat ye hai hinduon ka dusman shirf hindu hi hai jo muslim vote nam ki seeri ko laga ke hinduon ko bevkoof banate rahege.

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  2. ab jarurat hame age ane ki hai...ham bhul jaye paid media ko...ham bhul jaye baki chijo ko...aur apne dil ki sunte hue age kam kare...aisi har bat ko ujagar kare...inke khilaf awaj uthaye...tabhi kuch ho sakta hai

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  3. मित्र विनीत , आपका लेखन पहली बार पढ़ रहा हूँ ! कितना सही लिखा है आपने ! इस देश में मुसलमानों को आगे बढाने , उन्हें संरक्षण देने का एक नया दौर शुरू हो गया है जबकि ये कौम , सब जानते हैं की किसी की भी सगी नहीं होती ! बहुत बेहतर लेखन !

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    1. धन्यवाद योगी जी...अब जब मीडिया सच को छुपा कर चल रही है तो जरुरत है की हम लोग सामने आए और सच्चाई सभी के सामने लाये

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    2. Kuch karne ki jarurat hain kewal awaj uthane se kam nahi chalega

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  4. Now it is time to promote this fact between the masses because media is delibrately hiding all such facts.

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    1. योगिंदर जी अब यही आज की सबसे बड़ी जरुरत है ... और साथ ही हम लोगो को अपने आपसी मसले भूल कर साथ चलने की जरुरत है

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  5. मुसलमान सारी दुनिया में वास्तव में सबसे दुखी कौम है । मुसलमान कहते हैं सारी दुनिया इस्लाम को समाप्त करने की साजिश कर रही है । वे ऐसा क्यों कहते हैं वे ऐसा इसीलिए कहते हैं क्योंकि वे खुद सारी गैर मुस्लिम दुनिया को समाप्त करके सारी दुनिया को इस्लाम के हरे रंग में रंगने की तैयारी कर रहे हैं । चूंकि वे खुद सारी दुनिया के हजार वर्ष से दुश्मन बनें हैं अतः उन्हें सारी दुनिया भी मुसलमानो की दुश्मन नजर आती है । दिया । अब हथियारों का उत्तर किसी भी दुनिया में अंहिसा से नहीं दिया जा सकता अतएव भारत सरकार ने भी मजबूरी में अपनी सेना को कश्मीर में लगाना पड़ा । अब लगातार 25 वर्षों से कश्मीर भारत से केवल सेना के बल पर ही रूका हुआ है अगर आज भारत सरकार कश्मीर से सेना हटा लेती है तो निश्चित रूप से कश्मीरी मुसलमान कश्मीर का पाकिस्तान में विलय कर देंगे ये मुसलमानों की मजबूरी है । कुरान व मौहम्मद के आदेश से मुसलमान इंकार कर नहीं सकते । इसीलिए वह कश्मीरी जिसकी प्रति व्यक्ति आय आतंकवाद के शुरू होने से पहले भारत में सबसे अधिक थी आज हजारों करोड़ की मदद से दाना पानी खा रहे हैं

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  6. ईरान में अविवाहित लड़की की फाँसी देने के पहले उनका बलात्कार किया जाता है..चूँकि मुसलमान धर्म के अनुसार बिना शादी-शुदा लड़की को फाँसी देने का नियम नहीं है इसलिए उस कुँवारी लड़की का जल्लाद से शादी करवाकर उसका कौमार्य तोड़ा जाता है और उसके अगले दिन फाँसी दी जाती है..यनि इनके लिए शादी का मतलब बस इतना सा ही है..यनि बस सेक्स करना..वो शादी वाली रात इतनी भयानक होती है कि लड़कियाँ फाँसी से नहीं बल्कि उस बलात्कार वाले रात से ही डरती है..कई लड़कियों को उस रात के बाद अपना चेहरा बुरी तरह नोचते देखा गया है..

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    1. tumhe musalman aurat pai itni daya kyon aati hai? mujhe lagta hai ki tum islam aur musalmaan aurat ke baare mai kuch nahi jaante isliye likh rahe ho... ek musalmaan aurat ne hi paigambar ko janam diya, pala posa, aur fir ek musalmaan aurat hi thi jisne is cruel paigambar ko badhava diya aur iske baad musalmaan aurte hi thi jinhone 1400 saal se islam ko badhaya hai. Aisha se le kar aaj ki har musalmaan aurat hi to musalmaan ko paida karti hai jo is kaum ko duniya mai faila ke is duniya ko islamic world banana chahti hai... ek bachhe ka pehla guru uski maa hota hai to fir is aurat pai daya kyon? Kya aap itne buddhu hai?

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  7. खिलजी वंश के पतन के पश्चात् तुगलकों-
    ग्यासुद्दीन तुगलक (१३२०-२५) मौहम्मद बिन तुगलक (१३२५-१३५१ ई.) एवं फ़िरोज शाह तुगलक(१३५१-१३८८) का राज्य आया।
    फ़िरोज तुगलक ने जब जाजनगर (उड़ीसा) पर हमला किया तो वह राज शेखर के पुत्र को पकड़ने में सफल हो गया। उसने उसको मुसलमान बनाकर उसका नाम शकर रखा।(६२)
    सुल्तान फ़िरोज तुगलक अपनी जीवनी ‘फतुहाल-ए-फिरोजशाही’ में लिखता है-’मैं प्रजा को इस्लाम स्वीकारने के लिये उत्साहित करता था। मैंने घोषणा कर दी थी कि इस्लाम स्वीकार करने वाले पर लगा जिजिया माफ़ कर दिया जायेगा।
    यह सूचना जब लोगों तक पहुँची तो लोग बड़ी संखया में मुसलमान बनने लगे। इस प्रकार आज के दिन तक वह चहुँ ओर से चले आ रहे हैं। इस्लाम ग्रहण करने पर उनका जिजिया माफ कर दिया जाता है और उन्हें खिलअत तथा दूसरी वस्तुएँ भेंट दी जाती है।(६२)
    १३६० ई. में फिरोज़शाह तुगलक ने जगन्नाथपुरी के मंदिर को ध्वस्त किया। अपनी आत्मकथा में यह सुल्तान हिन्दू प्रजा के विरुद्ध अपने अत्याचारों का वर्णन करते हुए लिखता है-’जगन्नाथ की मूर्ति तोड़ दी गयी और पृथ्वी पर फेंक कर अपमानित की गई। दूसरी मूर्ति खोद डाली गई और जगन्नाथ की मूर्ति के साथ मस्जिदों के सामने सुन्नियों के मार्ग में डाल दी गई जिससे वह मुस्लिमों के जूतों के नीचे रगड़ी जाती रहें।’(६३)
    इस सुल्तान के आदेश थे कि जिस स्थान को भी विजय किया जाये, वहाँ जो भी कैदी पकड़े जाये; उनमें से छाँटकर सर्वोत्तम सुल्तान की सेवा के लिये भेज दिये जायें। शीघ्र ही उसके पास १८०००० (एक लाख अस्सी हजार) गुलाम हो गये।(६३क)
    ‘उड़ीसा के मंदिरों को तोड़कर फिरोजशाह ने समुद्र में एक टापू पर आक्रमण किया। वहाँ जाजनगर से भागकर एक लाख शरणार्थी स्त्री-बच्चे इकट्ठे हो गये थे। इस्लाम के तलवारबाजों ने टापू को काफिरों के रक्त का प्याला बना दिया। गर्भवती स्त्रियों, बच्चों को पकड़-पकड़कर सिपाहियों का गुलाम बना दिया गया।’(६४)
    नगर कोट कांगड़ा में ज्वालामुखी मंदिर का यही हाल हुआ। फरिश्ता के अनुसार मूर्ति के टुकड़ों को गाय के गोश्त के साथ तोबड़ों में भरकर ब्राहमणों की गर्दनों से लटका दिया गया। मुखय मूर्ति बतौर विजय चिन्ह के मदीना भेज दी गई। (६८)

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  8. मौहम्मद-बिन-हामिद खानी की पुस्तक ‘तारीखे मौहमदी’ के अनुसार फीरोज तुगलक के पुत्र नसीरुद्दीन महमूद ने राम सुमेर पर आक्रमण करते समय सोचा कि यदि मैं सेना को सीधे-सीधे आक्रमण के आदेश दे दूँगा तो सैनिक क्षेत्र में एक भी हिन्दू को जीवित नहीं छोड़ेंगे। यदिमैं धीरे-धीरे आगे बढूँगा तो कदाचित वे इस्लाम स्वीकार करने को राजी हो जायेंगे। (६६)
    मालवा में १४५४ ई. में सुल्तान महमूद ने हाड़ा राजपूतों पर आक्रमण किया तो उसने अनेकों का वध कर दिया और उनके परिवारों को गुलाम बनाकर माँडू भेज दिया। (६७)
    ग्सासुद्दीन (१४६९-१५००) का हरम हिन्दू जमींदारों और राजाओं की सुंदर गुलाम पुत्रियों से भरा हुआ था। इनकी संखया निजामुद्दीन के अनुसार १६००० (सोलह हजार) और फरिद्गता के अनुसार १०,००० (दस हजार) थी। इनकी देखभाल के लिये सहस्त्रों गुलाम रहे होंगे। (६९)
    दक्खन
    प्रथम बहमनी सुल्तान अलाउद्दीन बहमन शाह (१३४७-१३५८) ने उत्तरी कर्नाटक के हिन्दू राजाओं पर आक्रमण किया। लूट में मंदिरों में नाचने वाली १००० (एक हजार) हिन्दू स्त्रियाँ हाथ आई। (६९)
    १४०६ में सुल्तान ताजुद्दीन फ़िरोज़ (१३९७-१४२२) ने विजयनगर के विरुद्ध युद्ध में वहाँ से ६०,००० (साठ हजार) किद्गाोरों और बच्चों को पकड़ कर गुलाम बनाया। द्गाांति स्थापित होने पर बुक्का राजा ने दूसरी भेंटों के अतिरिक्त गाने नाचने में निपुण २००० (दो हजार) लड़के-लड़कियाँ भेंट में दिये। (७०)
    उसका उत्तराधिकारी अहमद वली (१४२२-३६)विजयनगर को एक ओर से दूसरी ओर तक लोगों का कत्ले-आम करता, स्त्रियों और बच्चों को गुलाम बनाता, रौंद रहा था। सभी गुलाम मुसलमान बना लिये जाते थे। (७१)
    सुल्तान अलाउद्दीन (१४३६-४८) ने अपने हरम में १००० (एक हजार) स्त्रियाँ इकट्ठी कर ली थीं।(७२)
    जब हम सोचते हैं कि बहमनी सुल्तानों और विजयनगर में लगभग १५० वर्ष तक युद्ध होता रहा तो कितने कत्ल हुये, कितनी स्त्रियाँ और बच्चे गुलाम बनाये गये और कितनों का बलात् धर्मान्तरण किया, गया उसका हिसाब लगाना कठिन हो जाता है। (७३)
    बंगाल
    ‘बंगाल के डरपोक लोगों को तलवार के बल पर १३वीं-१४वीं शताब्दी में बड़े पैमाने पर मुसलमान बनाने का श्रेय (इस्लाम के) जोशीले सिपाहियों को जाता है जिन्होंने पूर्वी सीमाओं तक घने जंगलों में पैठ कर वहाँ इस्लाम के झंडे गाड़ दिये। लोकोक्ति के अनुसार, इनमें सबसे अधिक सफल थे; आदम शहीद, शाह जलाल मौहम्मद और कर्मफरमा साहब। सिलहट के शाह जलाल द्वारा बड़े पैमाने पर हिन्दुओं को मुसलमान बनाया गया। इस्माइल द्गााह गाजी ने हिन्दू राजा को पराजित कर बड़ी संखया में हिन्दुओं का धर्मान्तरण किया (७३क) इन नामों के साथ जुड़े ‘गाजी’ (हिन्दुओंको कत्ल करने वाला) और ‘शहीद’ (धर्म युद्ध में हिन्दुओं द्वारा मारे जाने वाला) शब्द से ही उनके उत्साह का अनुमान किया जा सकता है।
    ‘१९०१ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार अनेक स्थानों पर हिन्दुओं पर भीद्गाण अत्याचार किये गये। लोकगाथाओं के अनुसार मौहम्मद इस्माइल शाह ‘गाजी’ ने हुगली के हिन्दू राजा को पराजित कर दिया और लोगों का बलात् धर्मान्तरण किया। (७४)
    इसी रिपोर्ट के अनुसार मुर्शिद कुली खाँ का नियम था कि जो भी किसान अथवा जमींदार लगान न दे सके उसको परिवार सहित मुसलमान होना पड़ता था। (७५)

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    1. Brajesh ji Heartly thanks to you for such points

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  9. 90 percent of electronic media is getting benefit from central govt. so they can not publish truth without its will.

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  10. Hame Ghar Se bahar nikal ke awaj uthani chahiye

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  11. सबसे पहले जरुरत है चेहरों पर पड़े नकाब को हटाने की...सेकुलरो को सही राह दिखने की....फिर.....आप सब ज्ञानी हैं...

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  12. u people r assholes

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    1. kyu sacchai bardast nahi ho rahi hai kya?

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    2. @Anonymous: World knows who is an Asshole. What Islam gave to this world? Rather than terrorist attacks, bloodshed and looting? Islam hasn't done any good cause for that you are calling us asshole. Actually this is not your mistake; Muzzies are frustrated and irritated by reading QURAN. What your Mo ham had talked in the Quran?

      1. How to sex with wife.
      2. How to beat your wife.
      3. Beat your wife if she denies to sex.
      4. A looser Muslim can marry 4 women.
      5. Allah will give you 72 virgins in the heaven.

      WTF, this is a HOLYSHIT QURAN which is full of sex and violence related topic. GET A LIFE LOOSER MUZZIES.

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  13. Vinit ji mai hamesh se hi is mudde ko uthata raha hun . Mushlmim sabse gandi kaum hai . Aur ise khatm karna jaruri hai . agar aisa nahi huya to baki sabhi kaumo ko khatm kar degi .

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    1. apne bilkul sahi kaha Ashu ji...aur isi baat par fir se is post ko ghuma dete hain logo ke bich

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    2. tere baap aur jitne bhi ghanta bhi ukhad nahi sakte

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    3. मुल्लो में कितना दम है देख लो... मुल्ले अपने असली नाम से आने का दम नहीं रखते इसलिए नाम रखते हैं Anonymous ya bina nam ke ताकि ग|ली कम खाए! और उस पर डरते तो इतना हैं की अपने इस झुण्ड जैसे ग्रुप से बहार निकलने की हिम्मत नहीं होती है! अपने बिल से ही दहाडते हैं और अपने ग्रुप से बाहर निकलते ही भीगी बिल्ली की तरह दम दबा के घूमते हैं! हम ही शेर हैं तो तुम्हारे ग्रुप में आ कर तुमको दो लात मार कर शान से चले जाते हैं! वह भी रोज़ के रोज़!

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  14. y don't hindu creat their groups to kill this peoples ......actually hindu are missing unity ................those who are working in media groups, most of them are hindus still they are allowing this such report through their channel ..shame on them .................they must be son or daughter of two muslim father

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  15. @Anonymous: Get a life and also a name. Sorry, how can you use a Muslim name? Because you ashamed of you and your violent so called religion. Hindu religion does not teach violence, murder and any unethical teachings to their follower which is visa verse of your Islam religion. Muslims are nothing than a true traitor of mankind. Who is a Muslim? A Muslim is a filthy person who murdered their brother and father for the wish of Royal Thrown. So don't talk about Shame because shame already slapped the evil face of Islam.

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  16. THE FACTS REMAIN FACT NO BADY CAN CHANGE IT, 'SURAJ PAR DHULI UDANE SE SURAJ DHUMIL NAHI HOTA' EVERY BODYU KNOWS THE TRUTH OF GODHARA INCIDENT, EVEN THE PESUDO SECULARS, BY JUST HIDING THE FACTS AND DIVERTING THE ATTENTION BY UTILIZATION JUDICIAL SYSTEM. THE FACTS REMIN THAT GODHARA INCIDENT WAS THE CRIMINAL CONSPIRACY HATCHED OUT BY SO CALLED SECULARS WITH THE HELP OF MISLEAD MUSLIMS. AND HINDUS WERE BURNT ALIVE BY THIS FANATICS COMMUNALISTS.

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  17. Vineet, I believe there are a certain groups of people (Muslims) those are responsible for these cruel act. Not all Muslims are like that. I have couple of Muslim Friends and they also hate these people as equally as we do.

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  18. Great great writeup vineet bhai.. Sabse jyada communal community hai ye. Main sirf intezaar kar raha hu us din ka jab HINDU ekjut ho gye . pseudo seculars congi dogs and media ko nanga krke marenge... NaMo is our only Hope. Jai hind Jai NaMo

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  19. Great great writeup vineet bhai.. Sabse jyada communal community hai ye. Main sirf intezaar kar raha hu us din ka jab HINDU ekjut ho gye . pseudo seculars congi dogs and media ko nanga krke marenge... NaMo is our only Hope. Jai hind Jai NaMo

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  20. sundar lekh .. dhanywad apka vineet ji

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