हमारे देश भारत के बारे में हम बड़े गर्व से कहते हैं की हमारा देश विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र देशो में से एक है| ऐसा हमारे राजनेता भी दुहाई देते हुए दिख जाते हैं| प्रजातान्त्रिक देश होना अपने में बड़े सौभाग्य की बात है| क्युकी प्रजातंत्र मुझे अपनी बात रखने की आज़ादी देता है| मुझे पढने की आज़ादी देता है| मुझे समानता का अधिकार है जो शायद पूरी तरह नहीं भी है आज के भारत के दौर में|
पर कुछ सवाल मुझे बहुत परेशान करते हैं| कहने को तो हम एक प्रजातान्त्रिक देश के नागरिक हैं| पर देश में हमारी कितनी भागिरदारी होती है| कुछ मुख्य बिन्दुवों को मै उठाना चाहूँगा यहाँ:-
हम एक गाँव के प्रतिनिधि को तो चुनते हैं वहा हमारा प्रजातान्त्रिक अधिकार हमें दीखता है| पर अपने क्षेत्र के ब्लाक प्रमुख को सीधे तौर पर नहीं चुनते हैं|
हम अपने क्षेत्र के MLA को तो चुनते हैं वहा हमें प्रजातान्त्रिक अधिकार हमें दिया जाता है पर मुख्यमंत्री कौन हो ये हम तय नहीं करते हैं वो तय किया जाता जिनको चुनने के समय हमारे पास विकल्प नहीं होता क्युकी MLA के लिए चुनाव लड़ने वाले १० में से ९.५० के ऊपर कोई न कोई चार्ज जरुर होता है और ये लोग चुनते हैं हमारा मुख्यमंत्री|
हम अपने क्षेत्र के MP को तो चुनते हैं उसी तरह जिस तरह MLA को पर क्या हमें पता होता है की कौन बनने वाला है हमारा प्रधानमंत्री या उप-प्रधानमंत्री| हम अपने प्रधानमंत्री या उप-प्रधानमंत्री को कभी भी नहीं चुनते हैं और न ही हमसे पूछा गया है कभी भी|
किस MP या MLA को कौन सा कार्यभार मिलना चाहिए क्या ये हमसे आज तक पूछा गया है|
बजट में हम क्या चाहते हैं क्या ये कभी पूछा गया है|
प्रजातंत्र में हमारे गाँव के प्रतिनिधि से लेकर MLA या MP हमारे प्रतिनिधि होते हैं पर क्या होता है प्रतिनिधि का मतलब की बिना हमारे संज्ञान के कोई भी निर्णय लिया जाता है और हमारे बोलने या आवाज उठाने को दबा दिया जाता है|
राष्ट्रपति कौन हो, किस जाती का हो, किस पार्टी का हो क्या हमारी कोई राय होती है या ली जाती है या कभी ली गई है|
क्या हमने कभी अपने राज्यपाल को चुना है या कभी पूछा गया की कौन बनना चाहिए हमारा राज्यपाल?
आज के दौर में राज्यपाल और राष्ट्रपति वही चुने जा रहे हैं जो किसी विशेष पार्टी के चमचे हैं या किसी वर्ग विशेष हैं| क्या यही है हमारा प्रजातंत्र?
यहाँ तक की अगर कही कोई सभा करनी हो या अनशन करना हो तो पहले आदेश पारित कराना पड़ता है|
ये तो मौजूदा दौर की बाते हुई अगर हम शुरुवात से देखे तो पाएंगे की जब घोषित या अघोषित आज़ादी हमें मिली तब भी प्रधानमंत्री कौन हो ये हमसे नहीं पूछा गया और यहाँ तक की जब कुछ लोगो ने सम्मिलित प्रयास से कई देशो से कुछ हिस्से संविधान के ले कर जो की सबसे प्रेरित था इंग्लैंड के संविधान से तो भी हम पर थोपा गया|
तो मेरा सवाल है मेरे समझदार और बुधजिवी बंधुवो से की क्या हमारा देश एक प्रजातान्त्रिक देश है?
क्या हम एक प्रजातान्त्रिक देश के निवासी हैं?
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ReplyDeleteकोई तंत्र वंत्र नहीं है बंधु कहीं
अगर कुछ है तो बस भीड़तंत्र है
बस देश तो ऐ वें घिसट रहा है
बाट जोह रहा है कि
कहीं से कोई उभरेगा कोई अवतार
और सब ठीक हो जायेगा
हमारी लड़ाई कोई और आकर लड़ेगा
हम तो बस प्रतीक्षा करेंगे
प्रतीक्षा करने वालो की कोई पूछ नहीं होती
Deleteअपने देश के रास्ते तो हम खुद बनाते हैं
उस पर साथ चलने के लिए कदम चाहिए
हांथो में हाथ लिए देश को आगे बढ़ाना है
बुद्धिजीवी प्रवृति के विचार है आपके........बहुत सही बात कही है आपने :
ReplyDeleteयहाँ बुद्धिजीवी प्रवृति के लोगो की कोई जरुरत नहीं समझी जाती है और यही हमारे देश कि सबसे बड़ी विडंबना है,
यहाँ हर किसी के मुह से ये स्वर सुनाई देता है कि "मेरा भारत महान" पर कभी यह नहीं सुनाई देता कि "हमारा भारत महान".....!
मेरा और हमारा में क्या अंतर है शायद यहाँ आपको समझाना मेरे लिए शर्म कि बात होगी......
http://merisochmereyshabd.blogspot.in/2011/12/blog-post_6091.html
धन्यवाद अमित जी ... मेरा और हमारा के पीछे छुपे हुए सत्य को बाहर निकल कर समझाने का प्रयास करे क्युकी मैंने तो यहाँ कोशिस करी है और हमेसा कोशिस हमारा की ही होती है मेरी
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