भारत की अघोषित आधी आज़ादी (केवल पिछले २००साल की) के बाद से भारत की छाती ने कई दंगे झेले हैं तक़रीबन हर साल ही| लेकिन कोई एक सरकार इसे रोक नहीं पाई है फिर चाहे वो प्रदेश स्तर की रही या चाहे केन्द्र की| लेकिन हर बार राजनैतिक पार्टियों ने एक दुसरे पर दोषारोपण किया लेकिन दंगो को कैसे रोका जाये ये सुझाव लेकर कोई भी नहीं आया| दंगो के लिए सेकुलर पार्टियाँ कम्युनल पार्टियों को दोष देती रही और कम्युनल पार्टियाँ सेकुलरो की दोहरी निति को लेकिन हर बार केवल जनता जलती रही|
मौजूदा राजनेताओ में से बहुत से राजनेता का न तो कोई धर्म है, न जाति और न ही कोई संतुलित विचारधारा| ये राजनेता हमेसा से धर्म और जाती की बात करते रहते हैं| कभी अपने को मुस्लमान तो कभी ईसाई और इनसे काम नहीं बना तो पंडित बता देते है खुद को| ये राजनेता कुछ नहीं करते हैं बल्कि ये अपने इन शब्दों से जनता की भावनाओ से खेलते हैं जिसमे हमेसा जीत राजनेताओ की होती है और जनता हारती है इनके झूटे प्रलोभनों के चलते और इनकी झूटी जातियों के चलते| ये राजनेता ये नहीं समझते हैं की इनके इस कृत्य के चलते भारतीय जनता नहीं हारती है बल्कि हारती है भारत की संस्कृति, सभ्यता और अभी तक बची खुची भारतीय अश्मिता| ये हर साल होने वाले दंगे भारत और भारतीयों के लिए एक श्राप हैं|
आइये देखें एक झलक भारत में हुए दंगो के इतिहास के बारे में और किस सरकार के समय में ये दंगे हुए हैं साथ ही कितने लोग मरे हैं इन दंगो में:-
१९६४ के राउरकेला और जमशेदपुर के दंगे में २००० मासूम लोगो ने अपनी जान गँवाई और उस समय कांग्रेस की सरकार थी वहां| १९६७ के रांची के दंगे में २०० लोगो को बलि दी गई फिर से कांग्रेस की सत्ता| १९६९ का अहमदाबाद का दंगा भी कांग्रेस के राज्य में २०० लोगो को खा गया| इसके अलावा भी कांग्रेस के ही राज्य में कई और बड़े दंगे हुए जैसे की १९८० का मोरादाबाद का दंगा जो २००० लोगो को खा गया, १९८४ दिल्ली का दंगा जिसमे सरकारी आंकड़ा २७३३ लोगो का था पर जहा तक सामान्य लोगो की माने तो ५००० से ज्यादा लोग मरे, साथ ही १९८५ में हुए अहमदाबाद के ही एक और दंगे ने ३०० लोगो की बलि ले ली| इन सबके ऊपर अगर दिल्ली के १९८४ के सिख दंगो को देखें तो वो आज भी लोगो के दिलो में जिन्दा है और लोगो को एक सिहरन दे जाता है| और अभी हाल में ही कांग्रेस शासित राजस्थान में हुवा दंगा इस सर्व धर्म सम्भाव वाली पार्टी के लिए कोई नया नहीं था|
अगर मै जनवरी १९५० से जुलाई १९९५ के बिच हुए दंगो को (१९८४ के दिल्ली के दंगे और १९८३ के नेल्ली दंगे को छोड़ कर) देखें तो इन ४५ सालों में ही ११९२ दंगे हुए हैं भारत माता की छाती पर|
१८ फ़रवरी १९८३ में हुए नेल्ली के सामूहिक हत्याकांड के बारे में आप सभी जानते ही होंगे पर फिर भी मै उस बारे में लिखने की कोशिस करता हु| १८ फ़रवरी १९८३ को नेल्ली में हुए पूर्वनियोजित हत्याकांड में जबकि आसाम में राष्ट्रपति शासन में था और सीधे हमारी "भारत रत्न" माननीय इंदिरा गाँधी उस समय आसाम को देख रही थी तभी एक पूर्वनियोजित हत्याकांड में करीब ६००० लोग मरे| उस समय हमारी "भारत रत्न" इंदिरा गाँधी ने वक्तव्य दिया की :
“One had to let such events take their own course before stepping in.” "हमें ऐसी घटनाओ को होने देना अपने तरीके से होने देना चाहिए इस घटना में उतरने से पहले"|
१९८४ का दिल्ली का सिख विरोधी दंगा: ३१ अक्तूबर १९८४ से ३ नवम्बर १९८४ के बिच में एक दंगा हुआ जिसमे करीब ५००० लोगो की आहुति ली हमारे इस कांग्रेस ने| इन मरे लोगो में बड़े बूढ़े, औरते, छोटे बच्चे तक शामिल थे| ये दंगा पूरी तरह एक तरफ़ा दंगा था जिसे उस समय की सरकार ने कुछ भी न करके बढ़ावा दिया| और इतने पर ही नहीं माने हमारे तत्कालीन कांग्रेस सत्ताधारी तो भावनाओ को बढ़ावा देने के लिए दिया एक बयान जो शायद एक गाँव का प्रधान भी नहीं देता पर हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री और "भारत रत्न" राजीव गाँधी ने एक बोट पार्टी में १९ नवम्बर को बयान दिया की ,
“Some riots took place in the country following the murder of Indira Ji. We know the people were very angry and for a few days it seemed that India had been shaken. But, when a mighty tree falls, it is only natural that the earth around it does shake a little.” "कुछ दंगे हुए हमारे देश में इंदिरा जी की हत्या के चलते| हम जानते हैं की कुछ लोग कितने गुस्से में हैं और इसके चलते पूरा भारत हिल गया| पर जब एक बड़ा पेड गिरता है तो उसके आस पास की धरती हिल ही जाती है"|
वैसे श्रीमान राजीव गांधी जी यहीं नहीं रुके बल्कि वो सिखों से अपने माँ की हत्या का बदला लेने के लिए वो ऐसे मतान्ध हो गए थे की उन्होने तत्कालीन राष्ट्रपति दिवंगत ज्ञानी जैल सिंह जी द्वारा किए गए 8 बार फोन का जवाब देना भी उचित नहीं समझा बल्कि राष्ट्रपति द्वारा बार-बार फोन करने से गुस्सा हो कर राष्ट्रपति भवन की फोन लाइन को कटवा दिया।
क्या असहाय और निरपराध लोगो का मरना हमारे तत्कालीन भारत रत्न और प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के लिए एक छोटा सा हिलना मात्र था| पर आज तक क्या हुआ उस दंगे में? कितने लोगो को हमारे कोर्ट ने सजा सुने? क्या ऐसे भाषणों के चलते देश की जनता की भावना नहीं भड़की थी? क्या राजीव गाँधी पर कोर्ट ने आज तक ऐसे भड़काऊ भाषण और दंगा बढ़ाने के लिए राजीव गाँधी पर इल्जाम शाबित नहीं होता है?
चलिए छोडिये जनाब ये तो इन देश के युवराजो और राज परिवार की परिपाटी लगती है| हम दंगो के इतिहास में आगे बढ़ते हैं|
अभी अगर कोर्ट ये देखने जाये की देश के बड़े १० शर्मनाक दंगो में कौन कौन हैं तो शायद ही गुजरात का दंगा आयेगा देश के बड़े १० दंगो में| पर जहा देखो सभी गुजरात के दंगे की बात करते हुए देखे जाते हैं चाहे वो नेता हो या आम जनता, चाहे वो टीवी हो या इन्टरनेट पर बाकि के दंगो के बारे में कोई भी नहीं बोलता है| क्या बाकि के दंगे दंगे नहीं थे? क्या बाकि के दंगो में मासूम जनता नहीं मरी थी?
अभी महाराष्ट्र को देखें तो अकेले इस राज्य में जहा की कांग्रेस का राज है वहां २००४ से लेकर २००८ तक में अकेले ६८१ दंगे हुए| पर कितने टीवी और अखबारों की सुर्ख़ियों में आया ये| कितने लोग इन दंगो के बारे में बात करते सुने जाते हैं?
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश भी बराबर दंगो की आग में झुलसते रहे हैं| पिछले पाँच सालो में ही (२००८) तक में ही मध्य प्रदेश में ६५४ और उत्तर प्रदेश में ६१३ और कर्णाटक में ३४१ दंगे हुए|
मध्य प्रदेश में ऐसा क्या डर हो गया था की तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह ने १७ दिसंबर २००२ को TOI से साक्षात्कार में कहा था की "इनकी पार्टी हिंदुत्व में विश्वास नहीं करती है और इनको डर है की कही आने वाले ३-४ महीनो में जो की चुनाव का समय भी समीप था उस समय दंगा हो जायेगा"|
ऐसा क्या डर था एक मुख्य मंत्री को और क्या एक मुख्य मंत्री ऐसे बयान दे तो वो एक सफलता की निशानी होती है या कोई साजिस...वैसे दंगे हुए पर उसमे फंसा कौन है....क्या ऐसा बयान जिम्मेदार नहीं था
पर अभी कुछ समय पहले हुए दंगे केवल और केवल BJP के दोष थे तो भरतपुर, राजस्थान में हुआ दंगा एक प्रश्नचिन्ह है हम आम भारतीयों पर| क्या हमने गुजरात के दंगे के नाम पर कांग्रेस के राज में हुए दंगो को बिसार दिया है? क्या हम कभी देखना चाहते हैं की भारत में १९४७ से कितने दंगे हुए और कितनो में राज करने वाली पार्टी कांग्रेस थी? क्या बीजेपी के राज में हुए दंगे सांप्रदायिक हो गए और कांग्रेस के राज में हुए दंगे धर्मनिरपेक्ष या कहे तो सर्व धर्म सम्भाव हो गए?
अगर गुजरात दंगे के लिए श्री नरेन्द्र मोदी जिम्मेदार हैं तो देश में १९४७ से अभी तक हुए बाकि के दंगो के लिए कौन जिम्मेदार है जबकि अधिकांश मौको पर राज करने वाली पार्टी कांग्रेस रही है? अगर गुजरात दंगे के लिए सोनिया गाँधी ने नरेन्द्र मोदी को "मौत का सौदागर" की संज्ञा दी तो मै ये सोच कर अचंभित हु और इन्तेजार कर रहा हु की ये अपनी सास इंदिरा गाँधी, अपने पति राजीव गाँधी और अपने मुख्य मंत्रियो को क्या कहेंगी जिनके राज में गुजरात से बड़े दंगे हुए?
यहाँ एक बड़ा ही प्यारा प्रसंग है की जहाँ पिछले १० सालो से मोदी=दंगा और दंगा=मोदी कहा जाता है वहीँ दुसरे पलड़े में देखने में मुझे कुछ और ही दिखाई देता है:
१. १९५० से लेकर हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के मरने के समय तक में देश के १६ राज्यों में २४३ दंगे हुए और इस शासन के लिए नेहरु को "भारत रत्न" मिला|
२. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में भारत के १५ राज्यों में ३३७ दंगे हुए और इस शासन के लिए इंदिरा गाँधी को "भारत रत्न" मिला| जबकि अगर भारत की आतंरिक सुरक्षा मतलब भारत के नागरिको की सुरक्षा को देखा जाये तो इंदिरा सबसे कमजोर शासक रहीं|
३. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के शासन काल में भारत के १६ राज्यों में २९१ दंगे हुए और ये दंगे सबसे कम दिन के प्रधामंत्री के कार्यकाल में हुए और इसमें क्या मिला राजीव जी को तो "भारत रत्न"|
४. १९५० से १९९५ के बिच में ११९४ दंगे हुए| इन दंगो में से ८७१ दंगे जिनका प्रतिशत करीब करीब ७२.९५% है ये केवल ३ भारत रत्न धारी प्रधानमंत्रियो के कार्यकाल में हुए ये थे हमारे नेहरु जी, इंदिरा जी और राजीव जी|
५. और तो और ये जो आज लोग फटे हुए ढोल के माफिक चिल्ला रहे हैं २००२ के गुजरात के दंगे के बारे में और मोदी को ही केवल कसूरवार ठहरा रहे हैं वो शायद १९५० से १९९५ के बिच हुए २९५ दंगे जो की नरेन्द्र मोदी के आने के पहले हुए उनको भूल गए हैं शायद|
अगर सारे लोग नरेन्द्र मोदी को गलत ठहरा रहे हैं तो इन दंगो के लिए कौन जिम्मेदार है भाई:
लेकिन आज शायद नरेन्द्र मोदी के नाम की माला जपने वाले और नरेन्द्र मोदी को हत्यारा कहने वाले ये क्यों नहीं बोलते हैं की २००२ के बाद से गुजरात में कितने दंगे हुए हैं और २००२ के बाद भारत के और भागो में कितने दंगे हुए हैं?
या यहाँ शायद नरेन्द्र मोदी को जाँच कमिटी न बैठा कर मामले को रफा दफा करना चाहिए था? पर शायद मोदी ने जाँच कमिटी बैठाई यही गलती रही मोदी की|
या यहाँ शायद नरेन्द्र मोदी को जाँच कमिटी न बैठा कर मामले को रफा दफा करना चाहिए था? पर शायद मोदी ने जाँच कमिटी बैठाई यही गलती रही मोदी की|
modi ek sanyashi hai aapne jo modi ke baare men itna kuchh kaha wo apne aap men kabile tareef hai aur hamen bahut kuchh sikhata hai . lekin durbhagy ye hai ki desh ki janta ke samajh men nahi aata hai . dost mujhe lagta hai ki ab hamen aaur aapko mil kar kuchh karna chahiye . meri mail is ashu05742@gmail.com hai please desh ko bachana hai hindu dharm ko bachana hai
ReplyDeleteyahi galti hai modi saheb ki
ReplyDeleteModi is a secular leader while all congress leaders are communal.
ReplyDeleteKUTTE BAUKE HAZAR AUR HATI CHALE BAZAR
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