27 May 2012

भ्रस्टाचार: आखिर शुरू कहाँ से?


आज हम सभी चिल्ला रहे हैं की देश में भ्रस्टाचार हो रहा है, देश में महंगाई है और देश का बेडा-गर्क हो रहा है| देश में भ्रस्टाचार तो बहुत समय से है कभी किसी की पर्दादारी ने छुपाया इसे तो कभी किसी के गुरुर और झूटे शानो-शौकत के आगे ये खबरें दम तोडती गईं और आम जनता तक इसकी खबर नहीं पहुची| अगर कुछ खबर पहुची भी तो १९४७ के बाद देश में रह रहे लोग शायद गाँधी जी को इतना मानने लगे थे की वो और कुछ तो नहीं पर गाँधी जी तीनो बंदरो को अपने अन्दर उतार जरुर लिया था की कभी कुछ न देखो, कभी कुछ न बोलो और कभी कुछ न सुनो| और उन लोगो के कारण देश का क्या से क्या हाल होता गया|

चलिए अब इसके बारे में क्या कहें अभी का हाल ही देखते हैं|

अभी लोगो को कहते सुना जाता है की भ्रस्टाचार हमेसा निचे से ऊपर जाता है| सबसे बड़े भ्रस्टाचारी हमारे पुलिस वाले हैं| सड़क पर खड़ा हवालदार पैसे लेता है गाड़ियों से और ऊपर तक बांटता है| या एक चपरासी पैसे लेता है और फाइलों को इधर से उधर तुरंत कर बहुत जल्दी कम करवा देता है| तो भ्रस्टाचार निचे से ही तो शुरू हुआ|

कुछ लोगों को कहते सुनता हूँ की भ्रस्टाचार के दोषी हम आम जनता हैं| हम कुछ नहीं करते हैं| सब देख सुन कर भी चुप रह जाते हैं|

पर असलियत तो शायद कुछ और ही है|

एक छोटे से उदहारण से समझाने की कोशिस करता हूँ मैं| क्या हम मे से किसी ने पानी को निचे से ऊपर बहते हुए देखा है? क्या भारत की सबसे प्रमुख और आराध्य नदी गंगा बंगाल की खाड़ी से गंगोत्री की तरफ बहती हैं? जवाब होगा नहीं| क्युकी पानी हमेसा ऊँचाई से निचे की तरफ बहता है और गंगा गंगोत्री से निकल कर बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं|

ठीक ऐसे ही यहाँ जब एक चपरासी की भी नौकरी लगती है तो उसके लिए उसे पैसा खिलाना पड़ता है अपने से निचे वाले को नहीं बल्कि अपने से ऊपर वाले को| कितने ही पुलिस भारतियों में हमने सुना की फलां नेता ने इतने पैसे लिए या उस अमुक भर्ती में धांधली के चलते उस भर्ती को ही रोक दिया गया| हर धांधली के पीछे सत्ता पक्ष या बड़ा कद का नेता होता है| और वो बड़े कद का नेता पैसे ले भर्ती करवाता है और चाहे कोई सही बन्दा कैसा भी प्रयास किया हो होगा वही जिसका नाम नेता जी देंगे| तो जो आम इन्सान के बिच से गया बन्दा पैसे दे कर नौकरी पा रहा है वो अमूमन है की कुछ तो ऊपर की कमाई करेगा ही ताकि जो पैसे उसने अपने नौकरी के लिए खर्चे किये वो पैसे वो निकल सके पर यही धीरे-धीरे उसकी आदत बन जाती है| किसी भी कर्मचारी का तबादला हो जाये तो नेता को पैसे खिलाओ ताकि तबादला रुक सके|

आज हम सभी महंगाई की मर झेल रहे हैं और किसान आत्महत्या करता जा रहा है या किसानी छोड़ता जा रहा है| क्यों हो रहा है ऐसा? आज रोज इतने बड़े-बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं क्या ये महंगाई को नहीं बढ़ा रहे है?

3 comments:

  1. भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार .
    भ्रष्टाचार .भ्रष्टाचार .भ्रष्टाचार कहिये .
    जाही विधि रक्खे सरकार ताहि विधि रहिये...
    मुख में हो सुधार नाम भ्रष्टाचार सेवा हाथ में .
    तू अकेला नाहिं प्यारे सारे भ्रष्टाचारी तेरे साथ में .
    विधि का विधान जान हानि लाभ सहिये . .....
    किया विरोध तो फिर जाब नहीं पायेगा .
    होगा प्यारे वही जो सरकार को भायेगा .
    सुधार आशा त्याग भ्रष्ट कर्म करते रहिये.....
    सुधार की डोर सौंप हाथ सरकार के .
    महलों मे राखे चाहे झोंपड़ी मे वास दे .
    धन्यवाद निर्विवाद जय जय कर करीए .....
    आशा एक सरकार से दूजी आशा छोड़ दे .
    नाता एक भ्रष्टाचारी से दूजे नाते तोड़ दे .
    सरकार संग भ्रष्टाचार रंग अंग अंग रंगिये .
    सुधार रस त्याग प्यारे भ्रष्टाचार रस पगिये .....
    भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार,भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार .
    भ्रष्टाचार .भ्रष्टाचार .भ्रष्टाचार कहिये .
    जाही विधि रक्खे सरकार ताहि विधि रहिये...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने इस भयानक विषय को अपनी इन खुबसूरत पंक्तियों के जरिये उकेरा है...धन्यवाद आपका इन खुबसूरत पंक्तियों के लिए

      Delete