कब तक सोओगे,
अलसी शेर के मानिंद,
अब तो तोड़ दो इस निंद्रा को,
जागो और देखो कैसे रौंद रहे हैं,
कुछ दुराचारी भारत माँ को,
कर रही है भारत माँ पुकार,
सुनो उसकी ये करुण पुकार,
उठो भरो एक हुंकार,
दहाड़ दो ऐसे की,
दुराचारी जाएँ सहम,
जो ना सहमे उसे,
कर दो ऐ शेर तुम ख़तम||
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