कोसीकलां का इतिहास एवं भौगोलिक स्थिति
बृज ८४ कोस की यात्रा में आने वाला कोसीकलां क्षेत्र मथुरा जिले सबसे बड़ा उपनगर है| श्री कृष्ण युग में यहाँ नन्द बाबा का कोष हुआ करता था| यहाँ तुलसी के बाग और काँटों के जंगल हुआ करते थे| इसलिए इसके दो नाम थे - कुशस्थली और कोषवन| लेकिन समय का प्रभाव इन नामों पर भी भारी पड़ा| धीरे-धीरे इन नामों का विकृत रूप कोसीकलां हो गया| कोसीकलां कुशस्थली और कोषवन का बिगड़ा हुआ रूप है| ये क़स्बा मथुरा और आगरा के मध्य में स्थित है| यहाँ से आगरा और दिल्ली दोनों सामान रूप से करीब १०० किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं| मथुरा और पलवल के मध्य में कोसीकलां है| यहाँ से इनकी दुरी भी करीब ४५ किलोमीटर है| इसके अलावा यहाँ एक ओर हरयाणा और एक तरफ राजस्थान की सीमा करीब १० किलोमीटर की दुरी पर हैं| भगवन श्री कृष्ण की बाललीला करने वाले तीर्थ धाम नन्द-गांव, बरसाना, गोवर्धन, कोकिलावन, मथुरा, वृन्दावन इत्यादि धामों के मार्ग भी यहीं से होकर जाते हैं| उत्तरी भारत सबसे प्रसिद्ध भरतमिलाप मेला का भव्य आयोजन कोसीकलां में ही अश्विन माह के दशहरे के दुसरे दिन होता है|
कोसीकलां का वर्तमान
कोसीकलां लगभग १.१५ लाख जनसँख्या वाला हिन्दू बहुल क्षेत्र है पर इनके अन्दर एकता बोल कर कुछ भी नहीं है लेकिन यहाँ लगभग १५००० की जनसख्या वाले मुस्लिम भी एक जुट हो कर रहते हैं, जिनमे उत्पाती वर्ग के बड़ी मात्र में उपस्थित हैं| प्रायः यहाँ हिन्दू और मुस्लिम वर्गों के मध्य छोटी-मोती झडपें होती रहती हैं| लगभग ३ साल पहले एक ऐसे ही छोटे झड़प ने दंगे का रूप ले लिया था, जिसे प्रशासन ने समय रहते संभल लिया था|
मुस्लिम वर्ग अपने त्योहारों वाले दिन अपनी आबादी का रैली निकाल कर नगर पर अपना वर्चस्व साबित करने का प्रयास करते आये हैं| २४ मई २०१२ को कोसीकलां में हिन्दुवों ने प्रथम वार बड़े जोश और एकता के साथ शूरवीर और परम पराक्रमी महाराणा प्रताप जयंती का बड़े स्तर पर आयोजन किया जिसमे हिन्दू युवावों ने तलवार, भाले, ढाल जैसे कई हथियारों के साथ नगर भ्रमण कर अमर शहीद महापुरुष महाराणा प्रताप जी को अपनी श्रधान्जली अर्पित किया था| पर ये एकता मुसलमानों को रास नहीं आ रही थी| क्युकी मुलसमानो को हिन्दुवों की सामूहिक एकता के साथ ये आयोजन नहीं बल्कि कुछ और दिख रहा था| मुस्लमान कुढ़े बैठे थे पर कुछ कर नहीं सकते थे उस समय| उनकी भावभंगिमाएँ हिन्दुवों के प्रति नकारात्मक ही थीं|
मुलायम सिंह यादव की शायद लोगों ने हरकतें भुला दी थीं तभी इनको पुनः चुना गया| शायद हिन्दुवों को भुलाने की बहुत बड़ी बीमारी है| पहले हिन्दू पहली गुलामी भूल गए जो की मुगलों ने दी थीं| साथ ही मुलायम सिंह यादव ने १९९२ में जो हिन्दुवों पर गोली चलवाई पर उसको भी हम भूल गए| पर इतने के बावजूद एक बहुत बड़ा सवाल है की १५००० लोग मिल कर एक प्रदेश की सरकार बना लेते हैं पर हम हिन्दू इतने बँटे हुए हैं की हम इन १५००० लोगों के खिलाफ खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं| बस इतना ही नहीं है हम सिर्फ अपना ही देखते हैं अपनों का नहीं| हमें शहीदे आज़म भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद चाहिए पर हमारे घर में नहीं बल्कि हमारे पडोसी के घर में| और यही एक ऐसी स्थिति है जिसने हिन्दुवों को नामर्द बना कर रख दी है| आज कमोबेश स्थिति ये है की हम हिन्दू डर कर अपने भाइयों का कुशलक्षेम तक नहीं पुचाते हैं और यहाँ मुस्लिम अपनों के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं|
आज कोसीकलां के हिन्दू अपना घर और घरवालों को छोड़ कर भाग जा रहे हैं| अरे मूर्खो वो १५००० हैं और तुम १.५ लाख फिर क्यों सोचते हो की भारत के किसी कोने से कोई हिन्दू तुम्हारी सहायता को आने वाला है| कोई नहीं आएगा भाइयों आपकी मदद करने के लिए अतः कोसीकलां वासियों आप सभी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी है| यहाँ लोग केवल न्यूज़ देख कर और पढ़ कर और उस पर अपने मित्रों और बीवी से 2-4 बातें कर अपने कार्यों की इतिश्री मान लेते हैं। सभी अकर्मण्य हो चुके हैं।
उठो...एक जुट हो...और लड़ो पापियों से| आज जरुरत पाप को ख़तम करने की नहीं है बल्कि जरुरत पापियों को ख़तम करने की है| चुनो पापियों को ख़तम करो एक-एक करके| और नहीं कर सकते तो जहर खाओ और अपने घर वालों को भी खिलाओ और साबित कर दो तुम एक नामर्द हो जिसका हाथ कांप जाता है हथियार देख कर ही| हाँ इतनी मर्दानगी जरुर दिखाना की अपने घर वालो को बेईजत्ति से बचा देना सभी को मार कर|
क्रमश:
bhai jee aankhe khol dene vale halant he yanha to...
ReplyDeletejabardast
DeleteBHARAT MATA KI JAI ..........
ReplyDeletejago hinduo......................marna to ek hi baar hai sabko .......bhag kar kab tka bachoge ..........................lado or shaan se maro.
ReplyDeleteAisa hi hona chaiye in muslimo ke saath
ReplyDeletemukhiya ji jaisa aadmi laoa wha bhi
ReplyDeletedesh kurbani maang rhi hai ,, abhi hin waqt hai , jiyo to shan se ,, wwarna mar jaaoo
ReplyDeletehahah hasi aati hai tere jese logo per muje
ReplyDeleteKyuki isase jyada ki aukat nahi hai tum sabki...pahle bhi chor the aur aaj bhi jo hamesa pith par war karte ho samne aate hi hawa tight ho jati hai
DeleteModi ji ko hi lana hoga tabi kuch hoga.... iss dange ka badla to bahi achi tareh lena jante h.
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