संसद पर हमला करने वाले अफजल को ये डरपोक र्इसलिए फासी नहीं दे रहे कि कही ऐसा ना हो कि कोई उनका साथी इनका काम ना लगा दे| कसाब को बिरयानी ये कायर इसलिए खिला रहे है कि ये मानसिक रूप से मुसलमानों की उस कौम के गुलाम है जिनके आँख दिखाने पे इनको पेशाब आ जाता है| अब कल की बात ही ले लो कागेस प्र्बक्ता जो बकता ही है और ऐसों को छाँट-छाँट के कागेस मे प्रबक्ता बनाया जाता है| जैसे सोनिया का देसी कुत्ता जो पागल भी हो गया था उसे तो पहचानते ही होंगे आप? अरे वही डोग्गी दिग्गी! उसका भोकना बंद कराया, कल इक और भौका "कि मुलायम यु.पी मे भाजपा का एजेंट है'' वात मे दम नहीं खीज थी हार की|
एक को राष्ट्र+पति = राष्ट्रपति बनना है ताकि जब चाहे जब इस देश मे कोई भी अध्यादेश लागु किया जा सके| वैसे ये पश्चिमी शब्द का अनुवाद है, जिसका अन्धानुशरण हमारे काले अंग्रेज करते आ रहे हैं| हमारे राष्ट्र का केवल सेवक तो हो सकता है कोई ''प्रथम सेबक परन्तु ये पति यानि राष्ट्र कोई स्त्री है क्या जो इसका पति होगा वो भी एक बड़ा चोर जिसने ब्लैक मनी की लिस्ट ही खा ली क्युकी उसमे सबसे ऊपर P.W. GOLDEN ACCOUNT का नाम था जिसमे कई लाख करोड़ रुपये हैं| अब ये अगर ये हमारे भावी राष्ट्रपति महोदय जी ने उस अकाउंट के बारे में बता दिया तो पूरा कांग्रेस ही ख़तम अतः पार्टी बचाओ देश और देशवासी चाहे जाएँ भांड में|
जरा देखो इन छद्म और झूठे धर्मनिरपेक्ष लोगो का दिमागी दिवालियापन इक राष्ट्र रास्ट्रपिता बन गए मेरे बिचार मे हमारी भारत माता का के पिता पर इस भारत माता जो की विश्व की सबसे पावन धरती मानी जाती है उसके पिता तो सिर्फ और सिर्फ भगवन ही हो सकते हैं जो पूरी इस श्रृष्टि को चलाते हैं और दूसरी तरफ हमारे ऊपर कहीं से भी किसी भी ऐरे गिरे नत्थू खैरे को ला कर थोप दिया जाता है भारत माता के पति बना कर न तो उसमे किसी भी भारतीय की सहमती ली जाती है और ना ही उनकी भावनाओं का ख्याल रखा जाता है| अगर ये भगवान को पिता मान लेगे तो इनका धर्मनिरपेक्षपना सही मे धर्मनिरपेक्ष हो जायेगा| पर एक परेशानी आ जाएगी की फिर ये मुसलमानों और ईसाइयों को बेबकुफ़ कैसे बना सकेगे|
ये भारत देश एक सनातन देश है इसका पिता गाँधी कैसे हो सकता है जिसने खुद अपनी आधी जिंदगी विदेश में बिताई और जब खुद पर लात पड़ी और अहम् को चोट पहुंची तो भारत आ कर एक महात्मा बन गया| पर महात्मा बन कर भी क्या किया एक हिन्दू हो कर जो इसने विदेश में कमाया था यानि इसाईयत वो इसने भारत में दिखाया और सभी को मुर्ख बनाया| जो इन महान राष्ट्रपिता का नारा था की "अगर कोई तुम्हारे एक गाल पर तमाचा मारे तो अपना दूसरा गाल भी आगे कर दो" ऐसा केवल बाइबल में ही है की जो भी कष्ट को भुगतो और कुछ मत करो यानि की पाप को सह कर भी शांत बने रहो और हमारे एक महान ग्रन्थ "गीता" जो की पुरे विश्व में सभी के द्वारा ग्रहित ग्रन्थ है उसमे साफ़-साफ़ लिखा है की पाप को सहना और और सह कर उसे बढ़ावा देना भी एक पाप और पाप के भागिरदार बन रहे हैं| तो क्या हमारे देश में देश के राष्ट्रपिता ने हमारे महान ग्रंथो से सबको दूर करने का एक भ्रम जाल फैलाया? और अगर राष्ट्र के पिता की बात को देखें तो इस राष्ट्र के पिता तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और कलाओं को दिखने में माहिर भगवन कृष्ण भी नहीं हुए और ना ही उनकी कोई चाह रही क्यूंकि उन्होंने नाम के लिए कार्य नहीं किया| उन्होंने भी भारत को माता ही माना और माता की ही संज्ञा दी| किसी को रास्ट्रपिता कहने से बड़ा भारत माता का क्या कोई बड़ा अपमान नहीं हो सकता|
माननीय A P J ABDUL KALAMJI राष्ट्रपति पद के सबसे अच्छे उम्मीदवार थे तथा मुस्लिम भी तो सेक्युलर शब्द भी पारित हो रहा था इन पर इसके अलावा इनका पिछला कार्यकाल अभी तक के सभी के कार्यकालों में एक अग्रणी कार्यकाल था परन्तु उनमे एक कमी थी की वो सोनिया के पालतू तथा आज्ञानुसार चलने वाले नहीं थे और ना ही बन सकते थे| विदेशों मे आदमी से ज्यादा कुत्तों को ही प्यार मिलता है इटली मे ऐसा कुछ ज्यादा ही है| चलो इक कुत्ता छाँट कर राष्ट्रपति बनाया जा रहा है| इसलिए कलाम जी भी खड़े नहीं हुए| बी. जे.पी. को इक आदमी अपनी पार्टी मे नही मिला| हारे तो हार जाता क्यूंकि हार और जीत तो हमेसा लगी ही रहती है| पर इतनी बड़ी पार्टी को शर्म आनी चाहिए| कोई भी बृद्ध कार्यकर्ता ना मिला तो करोडो कार्यकर्ताओ की पार्टी कैसी???
माननीय अडवाणी जी आपके साथ मे बहुत लोगो ने जीबन भर काम किया है पर इन संगमा महोदय ने क्या किया है बी जे पी के लिए| मै सैंकड़ों नाम गिना सकता हूँ जिन्होंने हिंदुत्ब के लिए पूरा जीवन लगा दिया उनमे से एक छाँट लेते| बी जे पी की हार का एक मात्र कारण ये है कि ये अपने कार्यकर्ताओ का समुचित ध्यान नहीं रखती और कांगेस से आये भगोडो को भी तुरंत टिकिट देती है| अभी भी समय है ढूंढ़ लो अपना सही उम्दमीवार|
साथ ही संसद में सभी सेक्युलरों के साथ बैठ कर हिंदुत्व की विचारधारा पर बनी पार्टी सेक्युलर बनती जा रही है और इसका खामियाजा ये हमेसा भुगत रही है| बी जे पी ये जानती है की अल्पसंख्यक वर्ग उसे कभी वोट नहीं देगा पर राजग के नेता साथ ही कुछ बी जे पी के नेता अल्पसंख्यकों को लुभाने में लगे हैं जालीदार टोपी पहन कर| अरे झूठे मुर्ख सेक्युलरों टोपी किसी और को पहना रहे हो या खुद टोपी पहन रहे हो|
ये सेक्युलर शब्द जब सबसे ज्यादा हिन्दू मुस्लिम हुआ देश के बंटवारे के समय उसी समय क्यों नहीं संविधान में जोड़ा गया क्यूंकि संविधान तो बाबा भीम राव आंबेडकर ने ही बनाया था| ये शब्द १९७७ में जब इमाम बुखारी इंदिरा गाँधी के विपक्ष में खड़े हुए जनता दल के प्रचार में तभी क्यूँ संविधान संसोधन के जरिये जोड़ा गया? क्या मंसा थी १९७७ में इस शब्द को जोड़ने के पीछे? क्या जो संविधान में इस शब्द के पीछे लोगों को दिखने के लिए जोड़ा गया वो पूरी तरह से पारित हो रहा है? या ये सेक्युलर शब्द केवल हरा रंग का कपडा और जालीदार टोपी पहनने और पहनाने तक सिमट कर रह गया है और पूरा देश इसका मखौल बन रहा है| और जो सच्चे सेक्युलर हैं उन्हें सांप्रदायिक घोषित कर दिया जा रहा है|
अभी हाल ही में कोसीकलां में दंगा हुआ जिसके थोड़े समय पहले जब उत्तर प्रदेश की सरकार बनी तो मुस्लिम बहुल इलाके में शिविर लगा कर हथियारों के लाइसेंस बांटे गए| एक ही वर्ग क्यूँ भाई? हिन्दुओं को क्यों नहीं बाँटा गया ऐसे लाइसेंस? और इस लाइसेंस बांटे जाने के थोड़े समय पश्चात क्या हुआ एक दंगा| वैसे भी भारत में दंगों का इतिहास बहुत ही प्यारा रहा है| देश का संविधान बनने के बाद १९५० से लेकर १९९५ तक में ११९४ दंगे हुए हैं| इनमे से कुछ दंगों को हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्रियों ने अपने बयानों से भड़काया है और लाखों लोग मारे इनकी अंधी अति महत्वाकांक्षा के चलते| और क्या हुआ इन्ही प्रधानमंत्रियों को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया| खुद उस प्रदेश में जहाँ से आज खुद को सेक्युलर कहने वाले कुछ क्या बड़ी तादाद में लोग खुलेआम अपने आदर ही अन्दर जल रहे हैं और जब मौका मिलता है तो इस बात को प्रगट भी कर देते हैं क्यूंकि उनकी रोटियां नहीं सिक रही हैं उस महान प्रदेश में जहाँ का मुख्य मंत्री एक निचे वर्ण का पर कर्म से महान हिन्दू है| वो प्रदेश है गुजरात| इसी गुजरात में १९५० से लेकर १९९५ तक में २९५ दंगे हुए उसके बारे में कोई नहीं बोलता पर २००२ के दंगे को लेकर आज के महान हिन्दू सम्राट और एक सच्चे राष्ट्रभक्त मोदी को मौत के सौदागर की उपाधि से नवाजा गया| कौन जिम्मेदार था इन २९५ दंगो के लिए और उसमे मारे गए निरीह इंसानों के लिए? तथा उन्ही स्वघोषित झूठे सेक्युलरों से मेरा एक सवाल २००२ के बाद से कितने दंगे हुए गुजरात में? मीडिया ने भी इस दंगे पर खूब पैसे बटोरे और कमोबेश आज भी बटोर रही है पर २००४ से २००८ के बिच महाराष्ट्र में हुए कुल छोटे बड़े दंगे मिला कर हुए ६८१ दंगो का क्या, उत्तर प्रदेश में इसी दौर में हुए ६१३ दंगों का क्या? क्या इन दंगों में लोगो की मौत नहीं हुई? मीडिया यहाँ क्यों चुप है?
अरे महामुर्खो इस मौत के सौदागर कहे जाने वाले मोदी जी ने ही किसी भी जाँच के आदेश खुद दिए थे और सुप्रीम कोर्ट तक ने 2002 के दंगे की जाँच करवाया| पर अगर अभी के उत्तर प्रदेश के हाल के चल रहे दंगे में महान सेक्युलर और हमेसा जालीदार टोपी पहने रहने वाले मुलायम सिंह यादव और उनके सुपुत्र तथा उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री अखिलेश यादव, और उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री आज़म खान ने क्यों न्यायिक जाँच के लिए मना कर दिया? क्यूँ नहीं मीडिया कोसीकलां का एक भी न्यूज़ दिखा रही है? जबकि २१ दिनों से कोसीकलां में सभी दुकाने और बाजार बंद थे| पर ये दुकाने और बाजार हिन्दुओं के थे| क्या हिन्दुओं के नुकसान का कोई मोल नहीं है इन सेक्युलरों के आँखों में? या ये एक ऐसी गन्दी राजनीती खेल रहे हैं जिसका दूरगामी परिणाम एक ही है "गृह युद्ध"|
अब ये भारत की जनता अपना अघोषित राष्ट्रपति तो नहीं चुन सकी पर प्रधानमंत्री तो चुन सकती है| मित्रों अपना प्रधानमंत्री जो राष्ट्रप्रेमी और जिसने खुद को साबित किया हो उसे आप सभी अपना प्रधानमंत्री चुन इन नकली सेक्युलरों के गाल पर जोरदार तमाचा मारिये और इन्हें बता दीजिये की भारत की जनता ना तो अंधी है और ना बहरी है पर जब बोलती है तो अच्छे अच्छों की बोलती बंद कर देती है|
मित्रों मैंने अपना प्रधानमंत्री चुन लिया है| वो हैं विकास पुरुष और सच्चे सेक्युलर माननीय "श्री नरेन्द्र मोदी जी"| अब आपकी बारी है!!!
जय श्री राम
वन्देमातरम
नककटों के गाँव मे एक नाक वाला भी नक्कू नक्कू कह कर चिढ़ाया जाता है... यही हाल है यहाँ ... कमीनों की जमात मे सज्जनों की कोई इज्ज़त नहीं होती... गुजरात मे दस साल से दुबारा क्यों दंगे नहीं हुए ... साँप को मारने के बाद मुंह कुचल देना चाहिए नहीं तो सपोले बार बार काटने की कोशीशी करते हैं
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