क्या लिखू-क्या ना लिखूं,
यहाँ हर मुद्दा गंभीर है,
उधर कुत्ते भौंक रहे हैं,
और शेर इधर सो रहा है,
खटमल रौब दिखा रहा है,
कौआ रोज बिरयानी खा रहा है,
खुद देखो मामला कितना संगीन है,
फिर देखो शेर कैसे गंभीर है||
इस शांत से रहने वाले भारत में क्या हालत बनते जा रहे हैं| इस पावन भारत माता की धरती दंगों का दंश एक-एक करके झेलती जा रही है| एक दंगा ख़तम नहीं हो रहा है की कहीं और दूसरा दंगा शुरू हो जा रहा है| अभी हाल ही में एक बड़ा दंगा कोसीकलां में हुआ| इस दंगे में सैकड़ों हिन्दुओं के घर फूंके गए| कई हिन्दुओं को गोली मारी गई और कईयों को काटा गया, कई माताओं और बहनों के साथ ना कह सकने वाली शर्मनाक हरकते की गईं वो भी घरों में घुस कर| यही नहीं हमारी गौ माता जिनका दूध हमारे रगों में खून बन कर दौड़ता है उनको भी इस दंगे की बलि चढ़ा दिया गया इन मुसलमानों के द्वारा| पर हो क्या रहा है इतने दंगो के बाद भी? हर दंगे के बाद हिन्दू कुछ हो हल्ला और लिख पढ़ कर घर जा सो जा रहा है या फसबूक पर और अन्य सोसिअल नेटवर्किंग साइट्स पर थोडा बहुत लिख अपने कार्य की इतिश्री मान ले रहा है तथा बोलता है की कोई हिन्दू कुछ करता ही नहीं है सभी सो रहे हैं लेकिन वो लिखने वाले हिन्दू जमीन पर उतर कर उन भुग्तभोगी के लड़ने के लिए नहीं सोचते हैं क्युकी अगर वो हिन्दू जमीन पर उतर कर भुग्तभोगियों के लिए एक दिन भी लड़ता है तो उसकी एक दिन की सलारी कट जाएगी| हिन्दुओं की इसी सहनशीलता, अकर्मण्यता और अलाश्य के चलते आये दिन चुन-चुन कर हिन्दू बाहुल इलाके में भी घुस कर मुसलमान हिन्दुओं की इज्जत को तार-तार कर रहा है, दंगे करके जा रहे हैं तथा हमारे माँ-बहनों की इज्जत लुटे जा रहा है|
वैसे तो भारत में कई दंगे हुए, यहाँ तक की पूरा कश्मीर हिन्दू विहीन हो गया| पर ये सब छोड़ें हम, ये सब तो पुरानी बातें हैं| पर अभी हाल ही में १ जुन २०१२ कोसीकलां के दंगे जो की अभी तक चल रहे थे और अभी शांति के बाद भी वहां तनाव देखा जा सकता है, के बाद भी किसी भी हिन्दू की आंख नहीं खुली क्यूंकि ये उनके घर का मामला नहीं था और इस सोच के चलते वो अपने घर तक ही सिमित रह गए| यही बात भारत के हर जगह के हिन्दू भाइयों ने सोची| हमारे अन्दर एक बात ये आ गई की जो रहा है उसे होने दो यही नियति है| याद रखो अपनी नियति इन्सान खुद बनाता है और पाप को सहते रहना भी एक पाप होता है जिसका कोई प्रायश्चित नहीं होता है|
हिन्दू भाइयों की इसी सोच के चलते उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने फिर से सर उठाया हम हिन्दुओं की अस्मिता को ठेस पहुँचाने के लिए| उत्तर प्रदेश के इलाहबाद और लखनऊ के बिच स्थित प्रताप गढ़ में ४ मुसलमानों ने एक कक्षा ४ में पढने वाली ११ साल की छोटी बच्ची का २० जून २०१२ को उसके घर से अपहरण किया गया और ३ दिन तक सामूहिक बलात्कार करने के बाद उस मासूम बच्ची की दर्दनाक रूप से हत्या कर दिया| पर भारत के बाकि जगह के हिन्दू आराम से सोयें क्यूंकि आपके घर और घरवाले तो फ़िलहाल सुरक्षित ही हैं और क्यूंकि ये घटना तो प्रताप गढ़ में हुई है आपके क्षेत्र या घर पर नहीं, जब आपके क्षेत्र या घर पर दंगा होगा तब देखा जायेगा की क्या होता है| वैसे भी आपकी अकर्मण्यता और आलश्य के बाद तो यही सोच सकते हैं हम की दंगों की कहानी में एक और कहानी जुड़ जाएगी और दंगे का एक और भुग्तभोगी|
ये मुसलमान यहीं नहीं रुके की इन्होने एक इतनी छोटी बच्ची को अपहरण करने बाद ३ दिन तक बेदर्दी से उस छोटी बच्ची जिसने इस दुनिया को अभी देखना शुरू ही किया था उसकी इज्जत को लूटा तथा हिन्दुओं की अस्मिता को तार-तार करते हुए एक चेतावनी दी की हिन्दुओं तुम सेक्युलरिज्म की माला फेरते रहो और हम तुम इज्जत पर फेरते रहें| इन कुकर्मी और आतंकी मुसलमानों ने फिर उत्तर प्रदेश के प्रशासन का सच एक बार और उजागर करते हुए स्थानीय पुलिस थाने में ६ लाख रुपये का पुलिस वालों को चढ़ावा दिया ताकि उन बलात्कारी और आतंकी मुसलमानों पर कोई करवाई ना हो| वैसे भी पुलिस उन्हें पकड़ भी लेती तो क्या होता? ज्यादा से ज्यादा बहुत सालों तक ये केस लड़ने के बाद फांसी की सजा सुनाई जाती उन आतंकी और कुकर्मी मुसलमानों को जिसे हमारे महान राष्ट्रपति क्षमादान दे देते क्यूंकि अल्पसंख्यकों को और अघात क्यूँ पहुंचाएं, क्यूंकि मुस्लमान तो इस देश में हमेसा से सताए हुए हैं और इन मुसलमानों ने तो अपने पाक अल्लाह का हुक्म माना है और ये पाक काम किया है उन चार महान मुसलमानों ने साथ ही इन मुसलमानों ने अपने महान मोहम्मद की परंपरा को आगे बढाया है|
पर प्रताप गढ़ के हिन्दू भाई थोड़े जाग चुके थे और उन लोगों ने इस घटना का जवाब बहुत अच्छे से दिया जो होना चाहिए था| वहां के हिन्दुओं की एक जुटता को देखते हुए ये कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की प्रताप गढ़ के हिन्दुओं ने कंकड़ का जवाब लोहे से दिया और ऐसा जवाब दिया जिसे प्रताप गढ़ के इन मुसलमानों की आने वाली कई पीढियां नहीं भूल पाएंगी| प्रताप गढ़ के जागे हुए हिन्दुओं ने वहां के उन चार बलात्कारी मुसलमानों और उनके रिश्तेदारों तथा जिन्होंने ६ लाख रुपये जुटाए सभी का करीब ३६ घर फूंक दिया| पर एक बात का अफ़सोस है की इस घर फूंके जाने की घटना के बाद भी कोई मुसलमान हताहत नहीं हुआ| इसे कहते हैं हिन्दू एकता जिसने एक खुल्ला सन्देश दे दिया इन आतंकवादियों और कुकर्मियों को की हिन्दू अब एक हद तक ही सहेगा और बाद में क्या होगा अगर उस हद को कोई पार करता है तो, वो एक इतिहास बन जायेगा अब|
पर एक बात काबिले तारीफ है जहाँ गोधरा के दंगों में खुलेआम अल्पसंख्यक मुसलमानों का नाम लिया गया मीडिया के द्वारा वहीँ कोसीकलां के दंगे का कोई मीडिया कवरेज नहीं था तथा ठीक वैसे ही प्रताप गढ़ के इस मुसलमानों के कुकर्म की धार्मिक भावनाओं को ख्याल रखते हुए "मुसलमान" नाम इससे दूर रखा गया| इस न्यूज़ को भी पिछले दंगे की तरह बहुत प्यार से दबा दिया जाता पर इसमें तो हिन्दू जाग गया था और ३६ घर फूंक दिए थे और इस पर मीडिया पर अपनी राजनैतिक सरपरस्ती और मुल्ला तुस्टीकरण का दबाव था अतः इसके चलते न्यूज़ को थोडा सा लाजवाब बनाया की "गुस्साए हिन्दुओं ने आरोपी वर्ग और उसके रिश्तेदारों के ४७ घर फूंक दिए"| लेकिन आरोपी वर्ग किस धर्म या जाती के थे ये नहीं बताया| क्या ये है सेक्युलरिज्म की आरोपी के साथ आरोप को भी दबा दो पर जवाब देने वाले भुग्तभोगी का धर्म के साथ नाम उछालो| साथ ही मैंने बहुत ढूंढा पर अभी तक इस दंगे की कोई तस्वीर नहीं मिल पाई है मुझे।
पर जितने भी हिन्दू जागे हुए हैं कृपया एकत्रित हों और सभी एक ही चाह रखें इस समय भारत के हिन्दुओं के लिए जितना हो सके एकजुट हों, एक शब्द में बोलें तो "जुडो और जोड़ो"| गलत को गलत को कहना सीखे और साथ ही गलत का जवाब देना सीखें| दुसरे हिन्दू के दर्द को अपना दर्द मानें| सब परेशानी सुलझ जाएगी| ना तो कहीं किसी आतंवादी और कुकर्मी की थोड़ी भी हिम्मत होगी हमारी माताओं और बहनों के तरफ आंख उठा कर भी देखने की और ना ही कहीं कोई हमारा हिन्दू भाई या बहन प्रताड़ित होंगे जिंदगी भर अपने को दंगे में खोने के दंश झेलने के लिए|
खिंच कर आकाश धरती पर झुका दो साथियों,
चिर सीना पर्वतों का गंगा बहा दो साथियों,
काँप उठे ये दसों दिशाएं एक ही हुनकर से,
भींच कर प्राणों की रणसिंघा बजा दो साथियों,
भेद-भाव को दूर भगा कर समरसता फैलानी है,
भाव ये जन-जन के मन में तुम जगा दो साथियों,
तोड़ कर इस जाति भाषा की जंजीरों को,
हिंदुत्व को अपना धर्म तुम बना दो साथियों||
अब मुसलमानों एक बात का जवाब दे दो सच्चे मन से की "तुम गौरी, गजनवी या बाबर के वंसज हो या भारत माता के वंसज हो और भारत माता की पावन गोदी में शांति और प्यार से रहना चाहते हो"| क्यूंकि,
एक मेरे भाई सामान परम मित्र की एक बहुत अच्छी कविता मुझे याद आ रही है और सभी हिन्दुओं के मन में भी यही कविता चलेगी अब, की:
हम अपने धर्म की सुरक्षा में सूरज की आग नहीं लेंगे,
गंगा को गर पड़ी जरुरत लहू की नदी बहा देंगे,
हम सागर हैं पर मत भूलो सूरत के से तपते हैं,
बर्फीले परतों में भी लपटों वाले वंश पनपते हैं,
साफ बता दूँ अब हिंसक की हर लहर मोड़ दी जाएगी,
क्रांतिपथ में एक और कहानी जोड़ दी जाएगी,
जो उपवन पे घात करे वो शाखा तोड़ दी जाएगी,
हिन्दुओं पर उठी हुई हर आँख फोड़ दी जाएगी||
जय माँ भारती
वन्देमातरम