31 May 2012

ना आँखों में शर्म

ना आँखों में शर्म
ना दिल में हया है
हैं बड़े बेपरवाह वो
करते अपनी मनमानी
बाकि सब है बेमानी
इज्जत है इनका पैसा
अबरू इन्होने गवाई है
काम है इनका लूटना
पर दिखाते ईमानदारी हैं
लूट का कोई मौका छूटे ना
लूट की ये डोर कभी टूटे ना
स्विस बैंक का खाता छूटे ना
लूट का हिस्सा लगे बराबर
ढिंढोरा पीटो ईमानदारी का
पूछने वाला है नहीं
जांचने वाला जमाई है
कौन उखाड़ सकता है कुछ
रोम-रोम में बसी बेहयाई है
ना आँखों में शर्म
ना दिल में हया है

4 comments:

  1. Mahendra Vikram31 May 2012 at 11:11

    Sarkar ye anchahi hai, Desh main tanashahi hai

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    1. क्या तुकबंदी अपने बनायीं है
      कांग्रेस के ताबूत आखिर किल ठुकवाई है

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  2. सुन्दर अवाम सत्य पंक्तिया

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