30 Sept 2014

एक कटी पतंग (Ek Kati Patang)




मेरा जीवन एक कटी पतंग,
बल्खाता हूँ, मचल जाता हूँ, 
बिन डोर के यूंही चला जाता हूँ,
कभी इस ओर तो कभी उस ओर,
कभी इस डगर तो कभी उस डगर,
बिन मंजिल के मैं बस उड़ा जाता हूँ,
कोई डोर होती जो थाम लेती मुझको,
कंधे पर यूं हाथ रख रोक लेती मुझको,
बवंडर मे नीले अंबर मे हिचकोले खाता हूँ,
हिचकोले खाते मंद-मंद मुस्काता हूँ,
शीतल मंद पवन मे नीचे गिर जाता हूँ,
कभी बिजली के खंभे मे अड़ता हूँ,
कभी नंगे तारों पर झूल सा जाता हूँ,
सूखे दरख्तों मे भी लिपट मैं जाता हूँ,
कभी चिथड़े मे बदल जाता हूँ,
तो कभी कचरे मे मिल भी मैं जाता हूँ,
क्या करूँ क्या ना करूँ सोच घबरा जाता हूँ,
चाहता हूँ थाम लूँ खुद को, रुक जाऊँ,
ठहर जाऊँ, थम जाऊँ, सो जाऊँ, रम जाऊँ,
लेकिन जिंदगी इतनी बेरहम हो गई है,
इसको ही सोच सिहर जाता हूँ, ठिठक जाता हूँ,
सोच के इक बात को यूंही अकड़ जाता हूँ,
अकेला नहीं हूँ मैं इस अंबर की ओट मे
जो होगा देख लूँगा, सह लूँगा, जी लूँगा,
गमों को मय मे मिला कर पी लूँगा,
वीरान इस जिंदगी को अपने तरीके से जी लूँगा॥

29 Sept 2014

रेत पर कभी कोई तकदीर लिखी नहीं जाती (Ret Par Kabhi Koi Takdir Likhi Nahi Jati)




दिल की बात को दिल मे दबाए बैठा हूँ,
होंठ बेजान से पर आँखों से भी कुछ कह नहीं पाता हूँ॥
 
मन की बात को लबों पर दबाए बैठा हूँ,
दिल मे उठती हूक को आँखों मे छुपा नहीं पाता हूँ॥

आज बन गया मेरा दिल भी इक पत्थर,
अब तो जुगनुओं की चमक भी झेल नहीं पाता हूँ॥

भँवर मे कर रहा कोशिश तैरने की,
भूल गया था लहरों से लड़ाई जीत नहीं पाता हूँ॥

दुखी हो गया मेरा मन भी अब तो गालिब,
खुद की चुप्पी ही अब तो मुझसे सही नहीं जाती है॥

मन मे जाने कितने बवंडर दबाए बैठा हूँ,
पर इन आँखों की नमी मुझसे झेली नहीं जाती है॥

कभी मेरी अश्को ने बनाया था समंदर भी,
पर भूल गया की रेत पर कभी कोई तकदीर लिखी नहीं जाती है॥

मेरे जीने की दुआ कौन करे (Mere Jine Ki Dua Kaun Kare)


उदास इस रात मे वीरान दिल की सजी है महफ़ील,
ना कोई हमसफर है, ना है ठिकाना किसी मजिल का॥

ये नामुराद अलसाई जिंदगी कहाँ ले कर आई मुझे,
जिंदगी तो कर गई बेवफाई, शायद मौत दे वफा मुझे॥

अब ना तो कोई तरंग है ना ही है कोई उमंग,
जिंदगी तो बनी मेरी बस एक कटी पतंग॥

खुशी की चाह मे उठाता रहा मैं रंज बड़े,
बदनसीबी मिलती रही, जहां पड़े कदम मेरे॥

दुखते मेरे जख्मों की दवा कौन करे,
सबको अपनी पड़ी है, मेरी परवाह कौन करे॥

इस हाल मे मेरे जीने की दुआ कौन करे,
मुझ मरीज की दवा करे तो कौन करे॥

धुंधली पड़ी आज हर तस्वीर


धुंधली पड़ी आज हर तस्वीर है,
हर तस्वीर की अपनी तकदीर है,
तकदीर को क्या कोसें हम,
आँखों के आँसू कैसे पोछे हम॥

आँसू का स्वाद चखा हमने,
डबडबाई आँखों का राज समझा हमने,
रखा जिनको आँखों मे हमने,
बह गए आज वो आँसू मे मिलकर॥

दिल का हर राज दिया
दर्द का मैंने साज लिया
गीत-गजल सब हैं बहाने
मिले दर्द के ही फसाने॥ 

लोगों ने पूछा क्यूँ सुर्ख हुईं आंखे तुम्हारी,
मैंने हँस के कहा रात को सो ना सका,
बहुत चाहा कह दूँ ये बात मगर कह ना सका,
दिल के दर्द को जुबां पर कभी ला ना सका॥

जख्मों का अपने हिसाब मैं करता किससे,
बाजार मे प्रचलित थे जाने कितने किस्से,
दर्द ही दर्द आते रहे क्यूँ मेरे ही हिस्से,
क्या जीऊँ या मर जाऊँ मैं फिर से!!
 
रोता रहा दिल पर आँखों मे हसरत थी,
आँखों के आँसू को देख सकता है हर कोई,
दिल के आंसुओं की कोई लकीर कहाँ,
दर्द मे मैं पड़ा रहा अब तक, किसी को मेरी परवाह कहाँ॥

19 Jun 2014

मैं दरख्त से टूटा एक सूखा पत्ता हूँ




मैं दरख्त से टूटा एक सूखा पत्ता हूँ
ना जिंदा हूँ ना मरता हूँ
आग से मैं दोस्ती करता हूँ
तिनके सा जल उठता हूँ
राख़ बन उड़ जाता हूँ

मैं एक तिरस्कृत झंझावात हूँ
सहता हरदम कुठारघाट हूँ
दुनिया को करता मदमस्त हूँ
मैं तो मैली चादर मे पैबस्त हूँ
अपनी ही हालत मे पस्त हूँ

मैं समंदर मे फेंका एक तिनका हूँ
लहरों पे डूबता उतराता हूँ
किनारे आने को जूझता हूँ
किनारे आ कर भी किनारे से दूर हूँ
समंदर की लहरों के आगे मजबूर हूँ

मैं अपने दुखों मे खुद पिसता हूँ
ढूँढता अंजान रिश्ता हूँ
दुनिया के आगे झूठ सही जीता हूँ
अपने गमों को खुद ही पीता हूँ
अंजान से राहों पर चलता हूँ

मैं तो बस एक नादान परिंदा हूँ
चुनता खुद का फंदा हूँ
आँखों से आधा अंधा हूँ
दिमाग से मैं गंजा हूँ
मैं तो बस मनहूस एक बंदा हूँ

वो मांगती है मुझसे खुशियाँ ज्यादा




वो मांगती है मुझसे खुशियाँ ज्यादा ,
उसको क्या पता मैं तो ,
तन्हाइयों का इकलौता वारिश हूँ ,
गमों की चोट मैं खाता हूँ ,
पतझड़ को खुद मे संभाले बैठा हूँ ,
आंसुओं के समंदर मे गोते लगता हूँ ,
हिचकियों मे सारी रात बिताता हूँ ,
मुरझाये फूलों का गुलदस्ता हूँ ,
मिट्टी का बेजान पुतला हूँ ,
रेत सा खुद से फिसल जाता हूँ ,
संभलता कम गिरता ज्यादा हूँ ,
आकांक्षाओं के बोझ तले दबा जाता हूँ ,
बेवफाई के धागे मे लिपटा हूँ ,
बिना मंजिल का बेजान मुसाफिर हूँ ,
दोस्तों के लिए हमेसा हाजिर हूँ ,
फिर भी उनके बीच बस एक मुहाजिर हूँ ,
अपनों के बीच भी अकेला पाया जाता हूँ ,
हर दर्द को सिने मे दबाये जीता हूँ ,
बस दिल ही दिल मे हरपल रोता हूँ ॥

18 Jun 2014

ऐ शाम तू तो ठहर जा




ऐ हवा कभी तो तू मेरी दहलीज से गुजर ,
बना कभी तो मुझको तू अपना रहगुज़र ,
लौटा दे मेरे वो महकते पल चुराये जो तूने ,
कुछ महक मैं भी तो सँजो लूँ अपनी ॥

ऐ बहार कभी मेरे घर का तू रुख तो कर ,
क्यूँ छोड़ दिया तूने मुझको यूं मुरझाने को ,
जर्रा-जर्रा हो जाने को, तड़प जाने को ,
टूट के यूं हरदम बिखर जाने को ॥

ऐ चाँद थोड़ी तो चाँदनी उधार दे मुझे ,
शायद तेरी चाँदनी ही सुधार दे मुझे ,
लोग कहते हैं बिगड़ा हूँ मैं बहुत ,
बेदर्द इस जमाने से झगड़ा हूँ बहुत ॥

ऐ चिराग थोड़ी तो रोशनी कर ,
अँधियारे मेरे इस टूटे घरौंदे मे ,
कई बार मैंने खुद को जलाया है ,
थोड़े से उजाले की तलाश मे ॥

ऐ शाम तू तो ठहर जा और थोड़ी देर ,
आ बैठ, मुझसे थोड़ी बात तो तू कर ,
देखती है तू रोज यूं अकेला मुझे ,
बस तू ही तो है, मेरी दोस्त कहलाने को ॥

10 Mar 2014

Wakt Gujar Jayega


ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
सुन ले ओ प्यारे
सुन ले ओ बंधु
ना तो घबराना कभी, ना तो इतराना कभी
वक्त जैसा है जो भी है बदल जाएगा,
बदल जाएगा, वक्त बदल जाएगा।
जितनी भी परेशानी है अभी तू सह ले
अभी तू सह ले, क्यूंकी

ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
दर्द भी देता है, दवाई भी मलता है,
रुलाता भी है और यही हँसाता भी है,
वक्त बेरहम है लेकिन है रहमदिल भी,
इस वक्त के आगे ना किसी की भी चलती।

ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
वक्त सब करता है, वक्त ही सब कराता है,
वक्त बेवक्त है, वक्त पे है ज़ोर किसका,
वक्त के पाबंद बनो, वक्त बेरहम है,
वक्त ने जो दिया है उसको तो संभाल लो,
ज्यादे को भागोगे थोड़ा भी न पाओगे

ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
वक्त की तुम सुनो, वक्त सुनेगा तुमको
वक्त के वास्ते चल पड़ो वक्त के ही रास्ते
वक्त वक्त वक्त है वक्त ही सशक्त है,
वक्त की करवटें देती हैं सिलवटें
अपनी ढाल तुम बना लो वक्त की चाल को

ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा

Tired at work


रात-दिन खटते हैं, तारों को तकते हैं,
फिर हम बेचारे उफ तक नहीं करते हैं,
चुप रह कर सब कुछ हम सहते हैं,
घर आ करके भी हम ना तो रुकते हैं,
खाना बनाते हैं और फेसबुक करते हैं।

रात-दिन खटते हैं, तारों को तकते हैं,
सूरज की गर्मी मे दिन को जलते हैं,
चंदा की रोशनी मे भी हम झुलसते हैं,
मशीनों पे अपना सर रख सो जाते हैं,
सपने मे काम-काम ही बड़बड़ाते हैं।

रात-दिन खटते हैं, तारों को तकते हैं,
हम भी इन्सान हैं ना की हैवान हैं,
थकते हैं, तेल मालिश हम खुद करते हैं,
मालिश भी करते हैं पोलिश भी करते हैं
भगवान से हम गुजारिश भी करते हैं।

रात-दिन खटते हैं, तारों को तकते हैं,
फिर भी हमसे, देखो लोग यूं जलते हैं,
क्यूँ भगवान हम बेचारों को ठोकते हैं,
ऐसी भी क्या है जल्दी, ले आओ जरा हल्दी,
ले आओ जरा हल्दी, ले आओ जरा हल्दी।

7 Mar 2014

Corruption Free Gujarat


भ्रष्टाचार मुक्त गुजरात (आपबीती)


बात 2008 के अप्रैल महीने की है...

मेरी पहली जॉब सूरत मे लगी थी। मैंने अपनी बाइक पल्सर 150 रेल बुकिंग के जरिए दिल्ली से सूरत मंगा ली थी। लेकिन कुछ परेशानियों के चलते मैं मेरी पहली जॉब छोड़ मैं मुंबई शिफ्ट हो गया (200% सैलरी के हाईक पर) लेकिन मेरी बाइक यहीं सूरत मे ही रह गई थी क्यूंकी कागज पूरे नहीं थे। 

मैं अपनी बाइक छोड़ मुंबई चला गया फिर कुछ दिन बाद ही मेरा सूरत आना हुआ। यहाँ सूरत मे मेरे दोस्त रहते थे। हम लोग 3 बाइक पर घूमने निकले। मेरी बाइक मेरे सीनियर चला रहे थे। तभी मस्ती-मस्ती मे धीरे-धीरे चलते चलते हमने कोई ट्रैफिक रूल तोड़ दिया। इतने मे ट्रैफिक पुलिस वाला अपनी बाइक ले कर हमे रोकने आ गया। हमने बाइक रोकी। उसने तुरंत हमारा चालान ठोंक दिया। 

मेरे मामा जो पुलिस सर्विस मे उच्च पद पर हैं यहाँ गुजरात मे ही थे उस समय। मैंने उनको फोन किया की शायद हमारी बाइक छुट जाए। मेरे जैसे भांजे की बात सुन मेरे मामा ने ट्रैफिक पुलिस वाले से बात की लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाला नहीं माना। 

तब हम दोस्तों ने दिल्ली वाला तरीका अपनाया की कुछ ले दे कर यहाँ से निकल चलें लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाला इस पर भी नहीं माना और हमारी गाड़ी जब्त कर ली। कहा सारे पेपर ले कर आओ तब गाड़ी छूटेगी RTO से।

मेरी गाड़ी 2 महीने पड़ी रही सूरत के पुलिस स्टेशन मे लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाले ने मेरी बाइक छोड़ी नहीं। सारे कागज देने और वैध कागजात देने के बाद केवल चालान का पैसा ले कर RTO ने मेरी गाड़ी छोड़ दी। 

हाँ यही अगर दिल्ली या भारत के किसी और प्रदेश मे होता तो ट्रैफिक पुलिस वाले को 100 का नोट पकड़ा हम अपने रास्ते होते और बाइक भी हमारे पास होती। 

ऐसे मे मैं कैसे मान लूँ की गुजरात मे भ्रष्टाचार है।

25 Feb 2014

Communalism a bigger problem than Corruption : Kejriwal

भ्रष्टाचार से बड़ा मुद्दा है सांप्रदायिकता : केजरीवाल


भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पैदा हुआ फोर्ड और CIA का दलाल केजरीवाल आ गया अपनी असली औकात पर। हम शुरू से कह रहे थे की इस केजरीवाल को भ्रष्टाचार से कोई लेना देना नहीं, बस इसने भ्रष्टाचार विरोधी मुखौटा पहन रखा है ताकि चंदे के धंधे को आगे बढ़ा सके। 

केजरीवाल ने India Islamic Cultural Centre in Delhi मे अपने भाषण के दौरान सीधे तौर पर कहा की "भ्रष्टाचार से बड़ा मुद्दा है सांप्रदायिकता"

केजरीवाल ये बातें कहते वक्त अकेले नहीं थे बल्कि चाँदनी चौक से आम आदमी पार्टी के लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार आशुतोष गुप्ता भी केजरीवाल के साथ थे। जो केजरीवाल राजनीति मे आते वक्त भौंकते हुए नहीं थकता था की हम राजनीति करने नहीं बल्कि राजनीति को बदलने आए हैं, हम जातिगत राजनीति नहीं करेंगे, हम धर्म आधारित राजनीति नहीं करेंगे, हमारा सिर्फ एक मात्र मुद्दा रहेगा जनलोकपाल और भ्रष्टाचार। वही केजरीवाल हमेसा मुस्लिम नेताओं को तरजीह देते रहे, केजरीवाल को कभी भी दंगा करने एवं कई हत्याओं के दोषी मुस्लिमों से उनके चरणों का आबे-जमजम लेने मे कोई बुराई नहीं दिखी। 

केजरीवाल और आशुतोष गुप्ता की जोड़ी इतने पर ही नहीं रुकी बल्कि आशुतोष गुप्ता तो केजरीवाल से भी 2 कदम आगे निकलते हुए वहाँ उपस्थित मुस्लिमों को मोदी विरोधी सीख देने मे लग गए।

आशुतोष गुप्ता ने कहा की, "कभी भी उस इन्सान (मोदी) का विश्वास ना करना जो पटना ब्लास्ट मे घायल और मृत लोगों से मिलने के लिए सैकड़ों मील चल के आ गया लेकिन गुजरात मे भी गुलबर्ग सोसाइटी मे दंगे मे मारे गए मुस्लिमों से मिलने नहीं गया।"

आशुतोष ने यहाँ परोक्ष रूप से ये जताया की पटना मे हुए ब्लास्ट मे मरने वाले सिर्फ हिन्दू थे और गुलबर्ग मे मरने वाले मुस्लिम। अब ऐसे मे कोई महामूर्ख ही होगा जो ये कहेगा की आम आदमी पार्टी जातीय या धर्म की राजनीति नहीं करती है। आम आदमी पार्टी और इस पार्टी से जुड़ा हर नेता सिर्फ एक दलाल है इससे ज्यादा और कुछ नहीं। आम आदमी पार्टी का प्रादुर्भाव ही सिर्फ मोदी को रोकने के लिए हुआ है।

बात यहीं नहीं खत्म हुई बल्कि कल जो India Islamic Cultural Centre in Delhi इवैंट का ऑर्गनाइज़र था उसने कहा की आज तक भारत मे जितने भी दंगे हुए क्या आम आदमी पार्टी शासन मे आने पर उन सभी दंगों का SIT जांच करवाएगी ? 

इस सवाल के जवाब मे केजरीवाल ने तुरंत कहा की "भारत मे हुए 23,500 दंगों की जांच फिर से एक नए सिरे से SIT से कराई जाएगी।"

अब कोई आपिया मुझे ये समझाये की ये दलाल केजरीवाल क्या भारत मे आज तक हुए 23,500 दंगों का दोषी हिंदुओं को ही मानता है।

ये वही केजरीवाल है जिसने कुछ समय पहले एक मौलवी से मिल कर दिल्ली को तहरीर चौक बनाना चाहा था। इसके लिए केजरीवाल बाकायदा उस मौलवी "मौलाना हसरत अली" से मदद मांगने गया था दिल्ली को तहरीर चौक बनाने के लिए। अब सभी जानते हैं की तहरीर चौक बन जाता अगर दिल्ली तो दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरा भारत उस आग मे जलता रहता और केजरीवाल अपनी पुंछ उठा कर अपनी बीबी जो की सोनिया गांधी की चहेती है उसके साथ अपने बाप CIA की मदद से भारत से भाग चुका होता।

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उपरोक्त इन सभी कथनों से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? अगर ये सवाल मैं किसी छोटे बच्चे से भी करूँ तो वो यही कहेगा की ये केजरीवाल सिर्फ एक दलाल और देश का ऐसा गद्दार है जिसे सुवरबाड़े मे डाल कर इसके ऊपर हरी-मिर्च और नमक की चटनी मल कर सुवरों को परोस देना चाहिए।

हिन्दू-मुस्लिम मे जो एक खाई भरनी चालू हुई थी एवं मुस्लिम भी अपने विकास को सोच रहा था उस खाई को फिर से ये दलाल/गद्दार केजरीवाल खोद कर इतना बड़ा बनाना चाहता है ताकि उसमे ये अपनी दलाली का चंदा बटोर सके और देश को फिर से गुलाम बनवाए।

कभी मायावती ने नारा दिया था "तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार"

अभी सभी राष्ट्रभक्तों को ये नारा अपनाना चाहिए, "चंदा, धंधा और केजरीवाल, इसको मारो रोज जूते चार"

20 Feb 2014

Narendra Modi ji ki kavita


सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।
मैं देश नहीं रुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।।

मेरी धरती मुझसे पूछ रही कब मेरा कर्ज चुकाओगे।
मेरा अंबर पूछ रहा कब अपना फर्ज निभाओगे।।

मेरा वचन है भारत मां को तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।

वे लूट रहे हैं सपनों को मैं चैन से कैसे सो जाऊं।
वे बेच रहे हैं भारत को खामोश मैं कैसे हो जाऊं।।

हां मैंने कसम उठाई है मैं देश नहीं बिकने नहीं दूंगा।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।

वो जितने अंधेरे लाएंगे मैं उतने उजाले लाऊंगा।
वो जितनी रात बढ़ाएंगे मैं उतने सूरज उगाऊंगा।।

इस छल-फरेब की आंधी में मैं दीप नहीं बुझने दूंगा।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।

वे चाहते हैं जागे न कोई बस रात का कारोबार चले।
वे नशा बांटते जाएं और देश यूं ही बीमार चले।।

पर जाग रहा है देश मेरा हर भारतवासी जीतेगा।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।

मांओं बहनों की अस्मत पर गिद्ध नजर लगाए बैठे हैं।
मैं अपने देश की धरती पर अब दर्दी नहीं उगने दूंगा।।

सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।
अब घड़ी फैसले की आई हमने है कसम अब खाई।।

हमें फिर से दोहराना है और खुद को याद दिलाना है।
न भटकेंगे न अटकेंगे कुछ भी हो हम देश नहीं मिटने देंगे।।

सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।
मैं देश नहीं रुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।।


नरेंद्र मोदी जी की कविता

20 Jan 2014

Arvind Kejriwal : Anti-National, Anti-India


दिल्ली मे इस बार गणतन्त्र दिवस समारोह नहीं होने देंगे : अरविंद केजरीवाल 


भारत का स्वतन्त्रता दिवस और गणतन्त्र दिवस समारोह रोकने की चेष्टा सिर्फ देशद्रोही और आतंकवादी ही करते हैं। लेकिन चूंकि आम आदमी पार्टी नक्सलवादियों का समूह बन चुका है एवं नक्सलवादियों को ISI से मदद मिलती है। ऐसे मे केजरीवाल का ये बयान की दिल्ली मे गणतन्त्र दिवस नहीं मनाने देंगे समझा जा सकता है की एक आतंकवादी जब मुख्यमंत्री बन जाए तो किस प्रकार की देशद्रोही हरकतों को खुलेआम अंजाम देगा।

जिस इंसान का भारत के गणतन्त्र मे विश्वास ना हो उस इंसान का भारत पर क्या विश्वास होगा और ऐसे इंसान को लात मार कर भारत से पाकिस्तान मे फेंक देना चाहिए।

केजरीवाल के सभी बयान जैसे की इन्होने "पुलिस तक को बगावत करने को कहना", खुल्लेआम भारत के लोकतान्त्रिक और न्यायिक प्रणाली का ना सिर्फ मज़ाक उड़ाना बल्कि भीड़ को भी लोकतन्त्र और न्यायिक प्रणाली के अवमानना के लिए उकसाना ये सभी देशद्रोह की श्रेणी मे आता है।

इन सभी संदर्भों को देख हम ये कह सकते हैं की केजरीवाल विदेशी ताकतों के हाथ का ना सिर्फ एक पिट्ठू है बल्कि केजरीवाल सर्वथा अयोग्य एवं देशद्रोही है जो विदेशी ताकतों के साथ मिल कर इस देश को, हमारे भारत को अस्थिर करने के प्रयास मे लगा हुआ है।

जनता से अपील है की वो इस देशद्रोही की हकीकत को समझें एवं इसको सबक सिखाएँ।

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जब केजरीवाल को ना तो भारत के लोकतन्त्र पर भरोषा है, ना ही गणतन्त्र दिवस मनाएंगे, ना ही भारत की न्यायप्रणाली पर भरोषा है ऐसे मे इस देशद्रोही केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनने के लिए भारत के संविधान की शपथ क्यूँ खाई थी, ये मेरे समझ से परे है या फिर ये दोग** है


18 Jan 2014

Arvind Kejriwal or Anti-National Natwarlal





अरविंद केजरीवाल या राष्ट्रद्रोही नटवरलाल

हाल ही मे दिल्ली के मुख्यमंत्री बने माननीय अरविंद केजरीवाल जी की मंशा क्या है ये समझ से परे है। क्यूंकी ना तो उनकी जुबान उनके कर्मों का साथ देती है और ना ही दिल की सफगोई उनके आँखों मे उतरती है कभी। लेकिन फिर भी जो कुछ वो अभी तक पर्दे के आगे रहते हुए भी भोलेपन मे जोश के साथ कहते रहे थे, वो दिल्ली प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी बदस्तूर जारी है।


अन्ना के आंदोलन के समय से लेकर दिल्ली मे चुनाव लड़ने के पहले तक केजरीवाल लगातार खुलासे तो कर रहे थे, अनसन तो कर रहे थे लेकिन इसके साथ-साथ केजरीवाल लगातार, अनवरत भारत की न्यायिक प्रणाली पर सवाल उठाते रहे। अगर भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने भी कोई फैसला सुनाया और वो फैसला इनके प्रतिकूल गया तो सीधा कहा और बारम्बार कहा की कोर्ट ने गलत किया है। वहीं अगर कोर्ट का फैसला इनके विरोधियों के हक मे गया तो भी कोर्ट गलत है और कोर्ट के आदेश की हर समय इन्होने ना सिर्फ अवहेलना की बल्कि जितना संभव हुआ कोर्ट के आदेशों का मखौल उड़ाया।

इस प्रकार से देश के न्यायालयों का मखौल उड़ाना वो भी लाखों की जनता के सामने ये एक प्रकार का देश-विरोधी कार्य है। 


१॰ सबसे पहले तो स्टडी लीव पर गए और बिना रीजाइन दिये इन्होने अपना एनजीओ चालू कर लिया। भारत सरकार मे एक अधिकार पद पर रहते हुए ना सिर्फ इन्होने अपना एनजीओ चालू किया बल्कि विदेशों से चंदा तक लिया, जो की कानून अपराध है।

२॰ जन भावना को इन्होने हर समय उकसाने वाला कार्य किया चाहे वो दामिनी के समय विरोध प्रदर्शन के समय अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा पुलिस पर पत्थर चलवा कर एक शांत आंदोलन को उग्र आंदोलन का रूप दिया।

३॰ खुलासे किए, एक से बढ़ कर एक खुलासे किए लेकिन क्या कोई भी एक बात बता सकता है की इनके खुलासों की परिणति क्या हुई। इन्होने अपने कितने खुलासों को सही साबित किया।

४॰ पूरी जनता और मीडिया के सामने इन्होने उन सभी लोगों के बिजली कनेक्सन जोड़े जिनके कनेक्सन बिजली बिल जमा ना देने के वजह से काट दिये गए थे। क्या अगर दूसरे राज्यों मे ऐसा ही शुरू हो जाए तो कोई भी बिजली बिल जमा ना करे और पूरा भारत बिना बिजली बिल दिये बिजली का उपयोग चालू कर दे। उदाहरण के तौर पर सभी भारतवासी केजरीवाल का उदाहरण देने लगे की साहब केजरीवाल ने तो मीडिया के सामने जोड़ा था काटा गया कनेक्सन और उनको तो कुछ भी नहीं हुआ तो हमे किस आधार पर पकड़ोगे आप।

५॰ केजरीवाल ने भारत सरकार मे कार्य करने वाले सभी अधिकारियों से अपील की कि सभी अपनी नौकरी छोड़ कर आंदोलन करें। क्या अगर ऐसा हो जाता तो भारत कि स्थिति क्या होती इसके बारे मे कभी केजरीवाल जी ने सोचा। 

६॰ बाटला हाउस एंकाउंटर मे शहीद का ना सिर्फ अपमान किया बल्कि बाटला हाउस एंकाउंटर सही था ऐसा कोर्ट का फैसला आ जाने के बाद भी उस एंकाउंटर पर सवालिया निशान लगाते हुए क्या केजरीवाल ने राष्ट्रद्रोही कार्य नहीं किया।

मुख्यमंत्री बनने से पहले केजरीवाल द्वारा कानून तोड़ने की फेहरिश्त बहुत लंबी है, बाकी बातें बाद मे अभी सरकारी केजरी बाबू की कारस्तानी देखते हैं।

अब जब सरकार बन गई केजरीवाल जी की तो भी ये कानून तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं और भारत की न्यायपालिका का अनवरत मज़ाक बना रहे हैं। 

१॰ केजरीवाल की दिल्ली सरकार के कानून मंत्री सोमनाथ भारती को कोर्ट ने अपराधी बताते हुए उनकी १ या २ महीने की वकालत की प्रैक्टिस पर बैन लगा दिया था क्यूंकी सोमनाथ भारती अपने जिस भ्रष्टाचारी मुवक्किल को बचाने की कोशिस कर रहे थे उस कोशिस मे उन्होने गवाह को फोन कर धमकाया इत्यादि जो करना हुआ फोन पर किया जो की कोर्ट के कार्य मे व्यवधान है। लेकिन इस पर अरविंद केजरीवाल ने बयान दिया की "कोर्ट से गलती हुई।"

२॰ सोमनाथ भारती ने मीडिया को बुला कर अपनी विधानसभा क्षेत्र मे विदेशी छात्रों के घर पर आधी रात को ना सिर्फ अपने समर्थकों समेत रेड मारी बल्कि पुलिस को धमकाया की पुलिस उन सभी महिलाओं को रात के समय गिरफ्तार करे साथ ही एक विदेशी छात्रा को कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने अपने सामने शौच करने के लिए बाध्य किया। जबकि भारतीय कानून के हिसाब से पुलिस ना तो रात को महिला को गिरफ्तार करके थाने ले जा सकती है और कानून मंत्री का अपने सामने महिला द्वारा शौच करवाना भारतीय कानून के हिसाब से बलात्कार कहलाता है। लेकिन इतने पर भी अरविंद केजरीवाल जी ने अपने कानून मंत्री जिसको कानून की जरा भी समझ नहीं है उसकी पीठ ना सिर्फ थपथपाई बल्कि उसको लेकर उपराज्यपाल के पास पहुँच गए।

अब जरा कोई अरविंद केजरीवाल को समझाये की महोदय पुलिस ने कोई गलत कार्य नहीं किया बल्कि कानून के दायरे मे रह कर अपना कर्तव्य निभाया है। साथ ही जब आपको पहले से पता था की दिल्ली पुलिस दिल्ली के मुख्यमंत्री के हाथों मे नहीं है तो इतने दिनों मे आपने कौन सा कदम उठाया है दिल्ली पुलिस को दिल्ली के मुख्यमंत्री के अंड़र मे करने का। आपको तो सरकार बनाते ही सबसे पहले ये कार्य करना चाहिए था।

३॰ अपनी पार्टी मे राष्ट्रद्रोही बयानों को बयानकर्ता का व्यक्तिगत मत कह कर टाल देना जबकि बयानकर्ता उक्त राष्ट्रद्रोही बयान देते समय पार्टी की टोपी के साथ पार्टी के बैनर तले बयान दे रहा हो। क्या ये राष्ट्रद्रोह का बढ़ावा नहीं है?

ये सभी घटनाक्रम अरविंद केजरीवाल द्वारा भारत की न्यायप्रणाली के साथ-साथ भारत के लोकतन्त्र का मखौल बनाने के लिए।

ऐसे मे मुझे "मौलाना हसरत अली" साहब का बयान सच जान पड़ता है जिसमे मौलाना हसरत अली साहब ने बताया है की अपने आंदोलन के शुरुवाती दिनों मे ही केजरीवाल हसरत अली जी से मिला था। हसरत अली साहब से अरविंद केजरीवाल ने कहा था की वो दिल्ली को तहरीर चौक बनाना चाहता है और इसमे हसरत अली साहब अरविंद केजरीवाल की मदद करें। तहरीर चौक (इजीप्ट) पर क्या हुआ था आज ये सभी जानते हैं और उस तहरीर चौक पर लगी आग आजतक इजीप्ट मे शांत नहीं हुई और आजतक इजीप्ट उस आग मे झुलस रहा है। 

इस प्रकार से हम देख सकते हैं की अरविंद केजरीवाल का मकसद भारत का भ्रष्टाचार खत्म करना नहीं बल्कि भ्रष्टाचार विरोधी मुखौटे को पहन कर भारत देश के सभी देशवासियों के मन मे भारत की न्यायप्रणाली, लोकतन्त्र, अर्थतन्त्र और यहाँ तक की रक्षातन्त्र के खिलाफ ऐसा आक्रोश भर देना की लोग भारत के हर कोने से राष्ट्रविरोधी कार्यों मे लिप्त हो जाएँ। हर जगह कानून का मखौल उड़ाया जाए। गैरकानूनी कार्य भारत की जनता सीना तान कर करे। इन सभी घटनाओं के विश्लेषण को देख कर कहें तो अरविंद केजरीवाल ने भारत को आतंक एवं गृहयुद्ध के तरफ धकेलने के लिए उकसाया है। इस देश को ऐसे अवसाद मे धकेलने का षड्यंत्र रचा है अरविंद केजरीवाल ने जिससे जो देश अब प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकता है उसको नाइजीरिया, सीरिया इत्यादि देशों की श्रेणी मे खड़ा कर विदेशी हाथों की कठपुतली बना देना चाहता है।

लेकिन इन सभी कार्यों को अंजाम देने वाला अकेले केजरीवाल नहीं है बल्कि वो केंद्र सरकार भी है जिसने इस अरविंद केजरीवाल पर कोई कार्यवाई ना करके इसको अपने मन की करने की छुट दी।