ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
सुन ले ओ प्यारे
सुन ले ओ बंधु
ना तो घबराना कभी, ना तो इतराना कभी
वक्त जैसा है जो भी है बदल जाएगा,
बदल जाएगा, वक्त बदल जाएगा।
जितनी भी परेशानी है अभी तू सह ले
अभी तू सह ले, क्यूंकी
ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
दर्द भी देता है, दवाई भी मलता है,
रुलाता भी है और यही हँसाता भी है,
वक्त बेरहम है लेकिन है रहमदिल भी,
इस वक्त के आगे ना किसी की भी चलती।
ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
वक्त सब करता है, वक्त ही सब कराता है,
वक्त बेवक्त है, वक्त पे है ज़ोर किसका,
वक्त के पाबंद बनो, वक्त बेरहम है,
वक्त ने जो दिया है उसको तो संभाल लो,
ज्यादे को भागोगे थोड़ा भी न पाओगे
ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
वक्त की तुम सुनो, वक्त सुनेगा तुमको
वक्त के वास्ते चल पड़ो वक्त के ही रास्ते
वक्त वक्त वक्त है वक्त ही सशक्त है,
वक्त की करवटें देती हैं सिलवटें
अपनी ढाल तुम बना लो वक्त की चाल को
ये वक्त गुजर जाएगा, फिर लौट के ना आएगा
लेकिन ये जो जाएगा, फिर बड़ा मजा आएगा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-03-2014) को मिली-भगत मीडिया की, बगुला-भगत प्रसन्न : चर्चा मंच-1549 पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रूप सर ! अपने मेरी रचना को इतना सराहा एवं इतना सम्मान दिया की मेरी रचना को अपने "मिली-भगत मीडिया की, बगुला-भगत प्रसन्न : चर्चा मंच-1549" मे शामिल किया.....इसका सहर्ष धन्यवाद देना चाहूँगा मैं
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