भ्रष्टाचार मुक्त गुजरात (आपबीती)
बात 2008 के अप्रैल महीने की है...
मेरी पहली जॉब सूरत मे लगी थी। मैंने अपनी बाइक पल्सर 150 रेल बुकिंग के जरिए दिल्ली से सूरत मंगा ली थी। लेकिन कुछ परेशानियों के चलते मैं मेरी पहली जॉब छोड़ मैं मुंबई शिफ्ट हो गया (200% सैलरी के हाईक पर) लेकिन मेरी बाइक यहीं सूरत मे ही रह गई थी क्यूंकी कागज पूरे नहीं थे।
मैं अपनी बाइक छोड़ मुंबई चला गया फिर कुछ दिन बाद ही मेरा सूरत आना हुआ। यहाँ सूरत मे मेरे दोस्त रहते थे। हम लोग 3 बाइक पर घूमने निकले। मेरी बाइक मेरे सीनियर चला रहे थे। तभी मस्ती-मस्ती मे धीरे-धीरे चलते चलते हमने कोई ट्रैफिक रूल तोड़ दिया। इतने मे ट्रैफिक पुलिस वाला अपनी बाइक ले कर हमे रोकने आ गया। हमने बाइक रोकी। उसने तुरंत हमारा चालान ठोंक दिया।
मेरे मामा जो पुलिस सर्विस मे उच्च पद पर हैं यहाँ गुजरात मे ही थे उस समय। मैंने उनको फोन किया की शायद हमारी बाइक छुट जाए। मेरे जैसे भांजे की बात सुन मेरे मामा ने ट्रैफिक पुलिस वाले से बात की लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाला नहीं माना।
तब हम दोस्तों ने दिल्ली वाला तरीका अपनाया की कुछ ले दे कर यहाँ से निकल चलें लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाला इस पर भी नहीं माना और हमारी गाड़ी जब्त कर ली। कहा सारे पेपर ले कर आओ तब गाड़ी छूटेगी RTO से।
मेरी गाड़ी 2 महीने पड़ी रही सूरत के पुलिस स्टेशन मे लेकिन ट्रैफिक पुलिस वाले ने मेरी बाइक छोड़ी नहीं। सारे कागज देने और वैध कागजात देने के बाद केवल चालान का पैसा ले कर RTO ने मेरी गाड़ी छोड़ दी।
हाँ यही अगर दिल्ली या भारत के किसी और प्रदेश मे होता तो ट्रैफिक पुलिस वाले को 100 का नोट पकड़ा हम अपने रास्ते होते और बाइक भी हमारे पास होती।
ऐसे मे मैं कैसे मान लूँ की गुजरात मे भ्रष्टाचार है।
No comments:
Post a Comment