29 Sept 2014

धुंधली पड़ी आज हर तस्वीर


धुंधली पड़ी आज हर तस्वीर है,
हर तस्वीर की अपनी तकदीर है,
तकदीर को क्या कोसें हम,
आँखों के आँसू कैसे पोछे हम॥

आँसू का स्वाद चखा हमने,
डबडबाई आँखों का राज समझा हमने,
रखा जिनको आँखों मे हमने,
बह गए आज वो आँसू मे मिलकर॥

दिल का हर राज दिया
दर्द का मैंने साज लिया
गीत-गजल सब हैं बहाने
मिले दर्द के ही फसाने॥ 

लोगों ने पूछा क्यूँ सुर्ख हुईं आंखे तुम्हारी,
मैंने हँस के कहा रात को सो ना सका,
बहुत चाहा कह दूँ ये बात मगर कह ना सका,
दिल के दर्द को जुबां पर कभी ला ना सका॥

जख्मों का अपने हिसाब मैं करता किससे,
बाजार मे प्रचलित थे जाने कितने किस्से,
दर्द ही दर्द आते रहे क्यूँ मेरे ही हिस्से,
क्या जीऊँ या मर जाऊँ मैं फिर से!!
 
रोता रहा दिल पर आँखों मे हसरत थी,
आँखों के आँसू को देख सकता है हर कोई,
दिल के आंसुओं की कोई लकीर कहाँ,
दर्द मे मैं पड़ा रहा अब तक, किसी को मेरी परवाह कहाँ॥

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