मेरी लाज वापस करो ...
चले थे वो देश बदलने
खुद बदल कर आ गए
देश सेवा का भाव था मन में
मेवा देख कर ललचा गए
बीवी थी बेटी भी थी घर में
दूसरों के घर में पत्थर मार गए
घायल हुई जब पत्थर से लड़की
उसकी अर्थी सजा कर वो आ गए
पूछा जब गया उनसे अर्थी का
पीठ दिखा वो वहां से भाग गए
अर्थी भी रखी है लड़की भी वहीँ है
उठाने वाले जाने कहाँ चले गए
चिता सजी हुई है लड़की मरी हुई है
जलाने वाले जाने कहाँ मर गए
अरे जब गए थे तुम देश सेवा को
मेवा का प्यार जगा कहाँ से लिया था
मेवा का प्यार गर जगाया भी तुमने
बेच दिया होता अपनी बेटी को
बहु को न उतारा होता बाजार में
काहें देश का सौदा करके चले आए
आज रो रहा सारा देश कारण तुम हो
गर दिखाई होती सच्चाई थोड़ी सी भी
गर होती गैरत तुम में थोड़ी सी भी
होता देश धनवान हर लड़की दुर्गा आज होती
पूजी जाती लड़की इस देश में हर घर में
तुमने तो हर घर को शमसान बना दिया है
अब हर घर में मुर्दे सोते हैं हँसते और रोते हैं
पर वो मुर्दे न कुछ बोलते न कुछ करते हैं
कैसी विडम्बना है ये कैसा अभिशाप है
यहाँ तो तुम्हारे कारण हर जेब में सांप है
कर सकते हो अब भी कुछ अगर तुम
दिलाओ मेरी लाज मेरा अभिमान तुम
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