मैली हो गई अब तो चादर भी
हो गया इस चादर का चिथड़ा
कब तक सिलवटे करोगे साफ़
पैबंद लगाना भी दूभर है इसमें
कुछ भी करने से गंध ना जाएगी
दुर्गन्ध ने कर दिया जीना दूभर
अब तो फेंको इस मैली चादर को
कही ना फैला दे घातक रोग कोई
लाओ कुछ नया और देशी तड़का
रंग भी जिसका आँखों को भाए
हो गया इस चादर का चिथड़ा
कब तक सिलवटे करोगे साफ़
पैबंद लगाना भी दूभर है इसमें
कुछ भी करने से गंध ना जाएगी
दुर्गन्ध ने कर दिया जीना दूभर
अब तो फेंको इस मैली चादर को
कही ना फैला दे घातक रोग कोई
लाओ कुछ नया और देशी तड़का
रंग भी जिसका आँखों को भाए
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