16 Jul 2012

आखिर ये मुल्ला तुस्टीकरण क्यूँ?


पूरा भारत और हिन्दू जगत आज दहाड़े मार कर रो रहा है की देश में केवल मुल्ला तुस्टीकरण हो रहा है| मुल्लों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा रहा है| सभी राजनैतिक दल केवल मुल्लों के वोट के पीछे भाग रहे हैं| 

पर क्या मेरे हिन्दू भाइयों ने चिल्लाने के बजाय सोचा कभी की ऐसा क्यूँ हो रहा है?

भारत हमेसा से हिन्दू देश रहा है और अगर हिन्दू जाग गए भविष्य में तो फिर से हिन्दू देश ही बन जायेगा पर कब जागेंगे मेरे ये हिन्दू भाई ये तो भविष्य की गर्त में छुपा हुआ है अभी| पर हम अभी का देखते हैं|

आज की सबसे बड़ी परेशानी है की ये मुल्ला तुस्टीकरण क्यों जबकि कुछ विशिष्ट कारणों से धर्मनिरपेक्षता को भारत अरे माफ़ करिए "इंडिया" के संविधान में १९७७ में जोड़ा गया| तो ये एक शब्द ही किसी भी धर्म विशेष के बारे में सोचने तक को मना करता है| पर फिर भी संविधान में लिखे या जोड़े गए के उलट मुल्ला तुस्टीकरण बना हुआ है जो की गैर संवैधानिक ही नहीं बल्कि गैर क़ानूनी भी है| पर फिर भी आज ये धड़ल्ले से ८५ करोड़ हिन्दुओं के सामने हो रहा है| तो कुछ तो विशेष कारण होगा इस धर्मनिरपेक्षता का|

जी हाँ एक बहुत ही विशिष्ट कारण है और ये कारण है हम हिन्दुओं की अकर्मण्यता|

अब आप प्रश्नचिन्ह लगायेंगे की ये अकर्मण्यता कैसे मुल्ला तुस्टीकरण को जन्म दे रही है| तो जनाब जरा अपने अन्दर और अपने घर के अन्दर झांक कर देखें की हिन्दू होने के बावजूद खुद आपके अन्दर एक अन्दर मुल्ला प्रेम हिलोरें मार रहा है और आपके घर के आंगन में एक मुल्ला बैठा हुआ है आपका झूठा हितैषी बन कर की जिस दिन मौका मिले एक और प्रतापगढ़ का काण्ड हो जाये या जम्मू और कश्मीर का काण्ड हो जाये तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है| तो क्या नेताओं को ये नहीं दिख रहा है की मुल्ला तो आप हिन्दू भाइयों के घर में ही बैठा है और आपको ही बरगला रहा है तो इसमें नेता का क्या दोष है खुद की आस्तीन और आंगन तो गन्दगी से साफ़ कर लो|

मेरे हिन्दू भाइयों चुनाव वाले दिन तो आप घर में सोते हो और चाय-पकौड़ी का मजा लेते हो लेकिन जामा मस्जिद के एक फतवे पर उस विषेस धर्म के अन्धे लोग पूरा वोट एक ही दिशा में गिराने के लिए कब्र में पैर लटकाए मुल्ला तक भी किसी के कंधे पर टंग कर वोट देने जाता है पर आप महान हिन्दू हैं अतः आप क्यों वोट देने जायेंगे| तो भाई जो वोट देगा उसी को तो ये नेता पूछेंगे|

जामा मस्जिद के फतवे का क्यों जिक्र किया मैंने यहाँ?

भाई १९७४ में भी दिखा था ये और हाल ही में ख़तम हुए उत्तर प्रदेश चुनाव में दिखा की कैसे मुल्लो का रखवाला और उनको मुस्लमान ना बनने देने वाला बुखारी ने कैसे बेशर्मी से नव-निर्वाचित उत्तर प्रदेश सरकार से पैसे और अपने सगे रिश्तेदारों के लिए पद की मांग की थी|

पर कुल मिला कर मुल्ले करीब ९५% वोटिंग करते हैं| और इंडिया में करीब ५५% की वोटिंग होती है तो अगर १५ करोड़ मुस्लिम ही वोट दे रहे हैं इस ५५% में और बाकि के अल्पसंख्यक भी पूरी वोटिंग करते हैं तो कौन वोटिंग नहीं कर रहा है?

अब हिन्दू खुद हिसाब लगा लें की १२० करोड़ में से ५५% वोटिंग हो रही है मतलब साफ़ है की सिर्फ ६६ करोड़ की वोटिंग हो रही है और अगर उस ६६ करोड़ में से १५ करोड़ मुल्ले वोट दे रहे हैं और करीब करीब ८-१० करोड़ बाकि के अल्पसंख्यक वोट दे रहे हैं तो हमारे कितने हिन्दू बंधू वोट दे रहे हैं|

अब हिन्दू बन्धु खुद ही देखें की क्या है सच्चाई इस मुल्ला तुस्टीकरण के पीछे और कौन है जिम्मेदार!!!



2 comments:

  1. अपनी दुर्दशा के लिए हिजड़े टाइप के सेक्युलर हिन्दू ही जिम्मेदार हैं... और इनकी हालत जल्दी ही धोबी के कुत्ते से भी बदतर होने वाली है ...

    ReplyDelete
  2. मुल्ला तुस्टीकरण का जिम्मेदार स्वयं हिन्दु ही है क्योकि हिन्दु हमेशा समय और भगवान के सहारे बैठा रहता है उसे लगता है जो होना है वो होकर रहेगा तो हम कर्म क्यों करें, भक्तों की रक्षा के लिये तो भगवान स्वयं पृथ्वी पर अवतरित हो जाते हैं लेकिन हिन्दुओं को भी समझ लेना चाहिये भगवान भी उसी की रक्षा को आते हैं जो स्वयं आत्म रक्षा के लिये आगे बढ़ता है. भगवान श्री कृष्ण ने गीता मे स्वयं कहा है कि केवल ईश्वर अथवा भाग्य के सहारे बैठ कर अकर्मण्यता न कर. युद्ध कर (कर्म कर) तभी तू यश को प्राप्त कर पायेगा.

    ReplyDelete