मंदिर भी हम वही बनायेंगे
सेतु भी हम नहीं हटायेंगे
गर है हिम्मत तुम में ऐ
मैकाले की काली संतानों
बस उठा के दिखा दो
इक पत्थर तुम उस सेतु का
जो बनाया हमारे राम ने
हो जायेगा सर कलम तुम्हारा
मिट जायेगा वंश भी तुम्हारा
गर कर दी बुलंद आवाज हमने
कांप जायेगा ये ऊँचा गगन
लहरे भूल जायेगा समंदर भी
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