हाल ही में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए गुजरात कांग्रेस ने कहा था कि गुजरात के सरदार पटेल ने रजवाड़ों को एक कर अखंड भारत का निर्माण किया था। अब इसी गुजरात को भाजपा अलग देश जैसा बनाने का प्रयास कर रही है। इस बयानबाजी के बाद कितना बवाल मचा होगा, शायद यह बताने की जरूरत नहीं।
मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के वेबसाइट www.narendramodi.in पर प्रकाशित एक लेख में एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने कुछ ऐसी ही अलग रिपोर्ट पेश की है कि गुजरात अगर देश से अलग हो जाए तो दुनिया में उसका स्थान कहां पर होगा।
लंदन स्थित लिजेट्यूम इंस्टीट्यूट ने इस बाबत एक रिपोर्ट तैयार की है। इंस्टीट्यूट ने इस रिपोर्ट को ‘ग्लोबल प्रॉसपैरिटी इंडेक्स’ नाम दिया है। इसमें दुनिया के देशों और उनके राज्यों के विकास के आंकडों के आधार पर उसका वास्तविक मूल्यांकन किया गया है। इस रिपोर्ट में भारत को भी शामिल किया गया है कि अगर भारत के राज्य भारत से अलग हो जाएं तो उसकी स्थिति क्या होगी। यह रिपोर्ट आप नरेंद्र मोदी की वेबसाइट में भी पढ़ सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सोशल कैपिटल के क्षेत्र में गुजरात नंबर-1 है। इतना ही नहीं, अगर गुजरात भारत से अलग होकर अलग देश बन जाए तो वह दुनिया के टॉप-20 अमीर देशों में शुमार हो जाएगा। रिपोर्ट में इसका श्रेय भी "नरेंद्र मोदी" को ही दिया गया है।
रिपोर्ट में दुनिया की 96 प्रतिशत आबादी और 99 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी को आधार बनाया गया है। 142 देशों को शामिल कर तैयार की गई इस रिपोर्ट में कुल 8 कैटेगिरी हैं..अर्थव्यवस्था, शिक्षण, बिजनेस, गर्वनेंस, स्वास्थ्य, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था। इन सभी मामलों में भी गुजरात को टॉप पर रखा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार अगर गुजरात अलग देश होता तो वह विकसित देशों की सूची में (रिपोर्ट में शामिल किए गए 142 देशों की सूची के अुनसार)15वें नंबर पर आता। इतना ही नहीं, वह यूरोपियन अर्थव्यवस्था के अरबी घोड़ों की तरह पूरी रफ्तार से दौड़ रहा होता।
इतना ही नहीं, गुजरात इस तरह समृद्ध और विकसित होता कि भारत को आंख दिखाने वाला चीन भी उससे बहुत पीछे होता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के कई देशों को अपनी उंगली पर नचा रहा होता।
रिपोर्ट में गुजरात के दुनिया के विकसित देशों की सूची में 15वां स्थान दिया गया है। जबकि वर्तमान में भारत समृद्ध देशों की सूची में 138वें नंबर पर आता है। सौराष्ट्र की पठारी जमीन पर केमिकल्स, ऑटो पार्ट्स, प्लास्टिक उत्पाद, इलेक्ट्रिकल्स-इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो मोबाइल, शुगर, टेक्सटाइल, डायमंड कटिंग समेत सैकड़ों फैक्टरियों के माध्यम से पैसों की जो फसल गुजरात उगा रहा है, उससे पूरे देश की अर्थव्यवस्था को सहारा मिला है। जहां देश ऊर्जा के भीषण संकट का सामना कर रहा है, वहीं गुजरात इस मायने में आत्मनिर्भर है।
2005 से 2012 तक इसकी विकास दर 10.1 फीसदी रही है, जो राष्ट्रीय औसत से बहुत ऊपर है। इसी तरह, 1994 से 2000 तक इसकी विकास दर 7.8 फीसदी थी और वह भी राष्ट्रीय औसत से ऊपर थी।
No comments:
Post a Comment