रुपये का अवमूल्यन: सोनिया गांधी की साजिश
भारत मे रुपये का अवमूल्यन है नहीं बल्कि सरकार और सोनिया गांधी द्वारा जानबूझ कर किया गया है !
भारत देश जो की 2008-09 की वैश्विक मंदी के समय भी अडिग खड़ा था और पूरा विश्व भारत की तरफ देख कर पैसे लगाने को लालायित था वही भारत देश आज बांग्लादेश से भी आर्थिक रूप से पिछड़ रहा है। आखिर ऐसा क्यूँ?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको अभी से कुछ समय पहले हुई एक बड़ी घटना को जानना होगा। हमारे देश मे बहुत से मंदिर हैं और सभी मंदिर एक से बढ़ कर एक धनी मंदिर हैं। सभी मंदिरों मे अपार सोना, चाँदी, हीरे इत्यादि ना जाने कितने ही दुर्लभ वस्तुएँ रखी हुईं हैं। अभी तक ये सभी बातें सिर्फ किंवदंतियाँ थी, लेकिन जब जुलाई 2011 मे श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना खुला तो भारत ही नहीं पूरे विश्व की आँखें फटी की फटी रह गईं।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ना सिर्फ भारत का बल्कि विश्व का सबसे धनी मंदिर बन गया। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के अंदर अकूत सम्पदा खज़ानों मे सालों से पड़ी हुई है। अब जैसे ही श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का धन पूरी दुनिया के सामने आया, पद्मनाभ मंदिर मे पूरा विश्व दिलचस्पी लेने लगा एवं विश्व के कई देशों की नजरें उस मंदिर की सम्पदा पर गड गईं।
अब भारत के मूल्य निर्धारण प्रणाली से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के अकूत धन का मूल्यनिर्धारण किया गया था, लेकिन चूंकि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का मे रखी सम्पदा सदियों पुरानी है, अतः अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की ये सम्पदा का मूल्य निर्धारण कोई भी नहीं कर सकता है। ऐसी स्थिति मे श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की इस सम्पदा का मूल्य कोई नहीं आंक सकता है एवं ये अमूल्य है।
ये तो हुई मंदिर की बात और शायद ऐसे खजाने भारत के अधिकांश मंदिरों मे मिलेंगे।
लेकिन भारत के इस आर्थिक विनाश की कहानी इसी जुलाई 2011 के बाद से हुई। आपको याद होगा की अगस्त क्रांति के नाम पर अन्ना रामलीला मैदान मे अनसन पर बैठे और सोनिया गांधी इलाज कराने के नाम पर अमेरिका गई। उसके बाद से भारत मे प्रायः हर महीने ही तेल के दाम बढ्ने लगे, गैस के दाम बढ्ने लगे, सब्जियों के दाम आसमान पर पहुँच गए, सभी तरफ आर्थिक त्राहि-त्राहि मच गई, जो की भारत मे जो आज तक बदस्तूर जारी है।
इधर जो डॉलर कुछ साल पहले तक 44-45 रुपये था अचानक से बढ़ता हुआ 70 के करीब जा पहुंचा, पाउंड 78 से सीधा 100 के पास पहुँच गया, और भारत के महान अनर्थ-शास्त्रियों जिनमे कोंग्रेसी प्रधानमंत्री मन मौन-हन सिंह भी हैं ने तर्क दिया की चूंकि भारत मे खपत ज्यादा है एवं तेल के दाम बढ़ रहे हैं ऐसे मे रुपये का अवमूल्यन हो रहा है। चलो जी हमने मान लिया फिर एक टुच्चे से देश बांग्लादेश की करेंसी "टका" का अवमूल्यन क्यूँ नहीं हुआ। बल्कि डॉलर के मुक़ाबले बंगलादेशी टका का मूल्य जहां अक्टूबर 2012 मे 84 था आज वो घट कर 77 पर आ गया।
अब ये पूरा घटनाक्रम देखने के बाद एवं अचानक से सरकार के सोने को गिरवी रखने एवं मंदिरों से सोने की मांग करने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है की सोनिया गांधी ने अपने अमेरिकी एवं अन्य विदेशी मालिकों के कहने पर जानबूझ कर रुपये का अवमूल्यन कर मंदिरों मे पड़े अमूल्य खजाने को सोने के नाम पर बाहर निकाल कर बेच देने का है। और इसी कार्य को सही ढंग से करने हेतु अमेरिकी नागरिक को भारत का RBI गवर्नर बना कर लाया गया। आते ही इस अमेरिकी गवर्नर ने भारत के जिन मंदिरों को सोना देने को कहा उनमे से कुछ प्रमुख मंदिर इस प्रकार से हैं : तिरुमाला तिरुपति मंदिर, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, गुरुवायुर के श्री कृष्णा मंदिर, श्री सिद्धिविनायक मंदिर एवं वैष्णोदेवी मंदिर।
वैसे भी ध्यान देने वाली बात है की सोनिया गांधी की बहन जो मुफ़लिसी मे जिंदगी जी रही थी सोनिया गांधी के भारत आने के बाद एक आलीशान दुकान जहां भारतीय मूर्तियाँ बेची जाती हैं उसकी मालकिन बन बैठी एवं एक भी आयात की हुई मूर्ति की पर्ची उसके यहाँ नहीं मिलती लेकिन फिर भी भारत से मूर्तियाँ सोनिया गांधी की बहन के यहाँ पहुँच जाती है।
ऐसे उदाहरण के पश्चात ये कयास लगाना की भारत मे रुपये का अवमूल्यन जान बुझ कर मंदिरों की सम्पदा को लूटने के लिए गया है, को सही मानने की इच्छा बलवती हो रही है एवं पूर्णतया सच प्रतीत हो रही है।
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