सोनिया के आँसू
पानी के बाहर भी रहते हैं घड़ियाल
Soniya's Tears only for Terrorists |
सोनिया के आँसू नहीं हो गए पता नहीं क्या हो गया। ये आँसू निकलते किस ट्यूबवेल से हैं आज तक नहीं पता चला। कहीं इस ट्यूबवेल की बोरिंग अल्पसंख्यकों के आँगन मे तो नहीं है। ऐसा इस लिए कह रहा हूँ की हर आतंकी जो मुल्ला होता है उसके मरने पर आँसू निकल पड़ते हैं मोहतरमा के।
परंतु ये आँसू तब नहीं निकले थे जब इनकी सास इन्दिरा गांधी अपने कर्मों के चलते मरी थी। ये आँसू तब नहीं निकले थे जब मर रही इन्दिरा को पास के अस्पताल ना ले जा कर दूसरे तरफ के तब अभी व्यवस्थित हो रहे अस्पताल ले जाया गया था जबकि बगल मे स्थित एम्स को छोड़ा गया था।
इन मोहतरमा के आँसू तब नहीं निकले थे जब 1984 मे सिखों को जिंदा जलाया जा रहा था वो भी बहुत ही वीभत्स तरीके से गले में टायर डाल कर। सिखों के घरों को चिन्नहित करके घरों पर हमला करके उन्हे मारा जा रहा था। सिखों की बेटियों के साथ इन मोहतरमा के अंतरंग साथी टाईटलर इत्यादि सरेआम चौराहे पर समूहिक बलात्कार कर रहे थे। तब तो ये इटली के दूतावास मे बैठीं हुई थीं और एक चार्टर्ड प्लेन वहाँ खड़ा था की जैसे ही कुछ उल्टा दाँव पड़ता है वैसे ही सपरिवार ये देश से निकल जाएंगी।
इन मोहतरमा के आँसू तब नहीं निकले जब पूरे कश्मीर मे पाकिस्तान समर्थित मुल्ले हिंदुओं को मार रहे थे और घरों के ऊपर चिपका रहे थे की "हिन्दू औरतों के साथ पर बिना हिन्दू मर्दों के"। उस समय शायद ये मोहतरमा इंडिया गेट पर रात के समय मे आइसक्रीम के मजे ले रही थीं।
ये मोहतरमा तब नहीं आँसू टपकाईं जब इनकी माँग धुल गई थी। तब तो ये देश को छोड़ कर निकल गईं थीं की अब नहीं लौटना है इस देश मे। और जब लौटीं तो सबसे पहले अपने धुली माँग को धोने वालों को माफ कर दिया। और खुद ही माफ नहीं किया बल्कि अपने नौटंकी के शहँशाहों राहुल और प्रियंका से भी माफ करवा दिया।
इन मोहतरमा तो क्या इनके पूरे कुनबे का आँसू तब नहीं बहा है जब भारत के सैनिक मरे या भारत की जनता मारी गई तब तो ये पार्टियों के लुत्फ उठा रहे होते थे या नंगी जांघे देखने से फुर्सत नहीं मिलती थी। परंतु जैसे ही कोई आतंकी मारा जाता है वैसे ही मोहतरमा तो क्या पूरे इनके नौकर बीरदारी के आँखों मे आँसू आ जाते हैं।
अब तक तो मोहतरमा के आँसू निकालने की कवायद को बल दे उसको पुष्टि करने हेतु नौकर होते थे परंतु अब शायद उनको निकाल कर दो नंबरी को इस कार्य हेतु नियुक्त किया गया है।
अब मुझे कोई समझाये की सोनिया के आँसू हैं या राहुल की सूसू कभी भी निकल जाती है।
हाथ में सियासती रूमाल हो तो आँसू आ ही जाते हैं!
ReplyDelete