मेरा भारत........मेरा अभिमान
एक लहर चली
मुझको भी साथ ले चली
तुझको भी न छोड़ा उसने
सबको साथ ले चली
एक लहर चली
मुझको भी साथ ले चली
समंदर की लहरों मे कहाँ ज़ोर है उतना
ये राष्ट्रभक्ति की लहर का कमाल है
बहते इसमे जाना है, दुखी न होना है
जहां भी जाये हमें ये साथ ले जाये
रहकर इस लहर के आंचल में
क्या धूप और क्या बारिश है
ठण्ड ये क्या बिगाड़ेगी हमारा
आग ही आग जो है भरा इसमे
अब मंजिल सामने खड़ी है
कदम बढ़ाने की देर है बस
सोचना क्या है इसमे अब
जो होगा वो देखेंगे तब
हाथ तो मजबूती से पकड़ना साथी
कहीं मेरे कदम डगमगा ना जाएँ
तू थोड़ा मुझे संभालना मैं तुझे
चलेंगे साथ मे तिरंगे की नीचे
चाहे अब मिलें कितनी भी संगीनें
रुकना नहीं है थकना नहीं है हमें
या तो तिरंगे को छुड़ा कर लाएँगे
या फिर तिरंगे मे लिपट आएंगे
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