10 Jan 2013

Rudraksha

रुद्राक्ष



आज के युग मे सभी वर्गों मे रुद्राक्ष के विषय मे अनेकानेक धारणाएँ प्रचलित हैं। धार्मिक संस्थानों पर रुद्राक्ष की मालाएँ भी खूब बिकती हैं। यह देखकर क्रेता के मन मे रुद्राक्ष के विषय मे उचित जानकारी पाने की जिज्ञासा होती है। लेकिन रुद्राक्ष के विषय मे प्रचलित अनेकानेक भ्रांतियों से उलट उचित जानकारी का अभाव होता है।

मनुष्य के जीवन मे तीन एषणाएँ होती हैं, प्रथम- प्राण एषणा, द्वितीय- लोक एषणा और तृतीय धन एषणा। ये तीनों एषणाएँ रुद्राक्ष धारण करने से पूर्ण होती हैं। यह रुद्राक्ष चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने मे सक्षम है। मनुष्य के लिए स्वास्थ्य, आयुष्य, मेघा, शक्ति, सुंदरता, ऋद्धि-सिद्धि से लेकर धन, संतान और उच्च पद की प्राप्ति रुद्राक्ष धारण से प्राप्त होती है। आठों सिद्धि और नवों निधियों का सुख रुद्राक्ष के धारण से प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों मे पढ़ने को मिलता है। रुद्राक्ष की अपरिमित माँग और बहुमूल्यता भी इसके महत्व मे चार चाँद लगाती है। इसके विभिन्न प्रकारों या जातियों का अलग-अलग महत्व है।

रुद्राक्ष की दिव्यता से पूरा विश्व आलोकित होता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की "रुद्राक्ष" पर जीतने शोध विदेशों मे हुए हैं उसके आगे हम भारतीय शिथिल हैं इसके प्रति। हम अपनी ही दिव्य वस्तु को महत्व नहीं दे पा रहे हैं। वहीं विदेशी इसके गुणों का भरपूर लाभ उठा रहे हैं।

यदि रुद्राक्ष को विधिवत इसके प्रत्येक मुख की विवेचना करके धारण और उपयोग मे लाया जाये तो दुनिया का महंगे से महंगा रत्न (हीरा, नीलम, पुखराज, माणिक्य, पन्ना और मोती) भी गुणों मे रुद्राक्ष की बराबरी नहीं कर सकते हैं। रत्न धारण करने से पूर्व जीवन का ज्योतिषीय विवेचन करना पड़ता है, लेकिन रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व यद्दपी धारणकर्ता को जीवन की ज्योतिषीय विवेचन नहीं करना पड़ता है तथापि यदि थोड़ा सा विवेचन करके विधि-विधान से रुद्राक्ष को धारण और उपयोग किया जाये तो रत्नों से कई गुना ज्यादा लाभ निश्चित उठाया जा सकता है, इसमे संशय नहीं है। 

रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रसाद और साक्षात उनका स्वरूप है, ये शिव के रूप मे पूजित है। वैज्ञानिक परीक्षणों से यह प्रमाणित हो गया है की रक्तचाप को संतुलित रखने की इसमे अपूर्व क्षमता है रुद्राक्ष को धारण करने वाला सदा सुखी, निरोगी, प्रसन्न और आलस्य रहित रहता है। रुद्राक्षधारी को दिल का दौरा, मधुमेह, गुर्दा संबंधी बीमारियाँ या तो नहीं होती या फिर नियंत्रित रहती हैं। बीमारियों को काबू मे रखना उन्हे ठीक करना रुद्राक्ष जैसी दिव्य वस्तु का एक छोटा सा गुण है, इसका मुख्य कार्य तो मानव जीवन को पूर्णता प्रदान कर मोक्ष तक पहुँचना है।

नक्षत्रों की संख्या सत्ताईस है, प्रत्येक नक्षत्र पर किसी न किसी का आधिपत्य अवश्य होता है। अलग-अलग मुखी रुद्राक्ष का अलग-अलग नौ गृह आधिपत्य है। अतः ये सत्ताईस नक्षत्र किसी न किसी सम्बद्ध रुद्राक्ष से संचालित होते हैं। इसलिए यदि जन्म नक्षत्र के अनुसार विभिन्न मुखों के रुद्राक्ष धारण किए जाएँ तो अधिक लाभ प्राप्त होता है, क्यूंकी वे अपने सम्बद्ध ग्रहों से शक्ति ग्रहण करते हैं। रुद्राक्ष की ग्रहिका शक्ति सर्वाधिक तीव्र और संचयिता की तरह है। रुद्राक्ष केवल शक्ति संग्रहण ही नहीं अपितु ऊर्जा का विकीर्णन (धारणकर्ता के शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को बाहर करना) भी करता है, जबकि रत्न केवल ऊर्जा का संग्रहण ही करते हैं। विकीर्णन की क्षमता रत्नों मे नहीं होती है। शोध, अध्ययन, प्रयोग, धारण, अनुभूति एवं अनुभव के आधार पर जो निष्कर्ष निकलता है वह अद्भुत है, लोक हितकारी है।


डॉ॰ एम॰ पी॰ सिंह 


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