3 Apr 2012

धर्म और भारतीय परिपेक्ष्य





नाश तो भारत की धर्म दृष्टि में कभी स्वीकार ही नहीं किया गया है। कुछ भी नष्ट नहीं होता है। जिसे सब नाश समझते हैं हिन्दू उसमें रुप परिवर्तन मात्र देखता है। इसीलिये मृत्यु देहावसान मात्र है। पंचमहाभूतों का विलयन मात्र है, विलगाव है नाश नहीं। स्थूल से सूक्ष्म तथा सूक्ष्म से स्थूल होने की प्रक्रिया जन्म और मृत्यु है। नाश शब्द न और आश् शब्द के योग से बना है। जिसका अर्थ है जैसा था वैसा नहीं है। इसलिये जब किसी वस्तु को नश्वर कहा  जाता है तो इसका तात्पर्य परिवर्तनशीलता ही होता है। नहीं है, समाप्त हो गया, जैसे शब्द तो भारत की संस्कृति में कभी स्वीकृत ही नहीं रहे हैं। 


जो नहीं है, वह नही था। जो है, वह था और वह रहेगा|

इस रहने और न रहने के बीच ही संभूति है||


संभूति अर्थात् जो होता रहता है। यही होने की प्रक्रिया जब स्थूल से सूक्ष्म की ओर होती है तो हम मृत्यु समझते हैं और जब सूक्ष्म से स्थूल की ओर होती है तो जन्म समझा जाता है। इस दृष्टि को विज्ञान की तुला पर् तौला जा सकता है तो अध्यात्म की भूमि पर भी समझा जा सकता है। 


महर्षि अरविन्द के शब्दों में कहा जाय तो यह एक ही सत्ता के आरोह एवं अवरोह की ऐसी विधि है जिसका सैद्धान्तिक रुप से एक साथ भौतिक विज्ञान, जीवन विज्ञान तथा समाज विज्ञान में किया जाना सहज और सरल है। इसे सात्मीकरण और विभेदीकरण के आधार पर इस रुप में समझ सकते हैं कि जहां रूपं रूपं पर्तिरूपं बभूव-एकोsहं बहुस्यामः की सृष्टि प्रक्रिया है तो दूसरी ओर प्रतिरूप से विरूप होने की प्रणाली भी है। प्रतिरूपण बाँधता है, बांटता है। टुकडो में बंटी चैतन्य शक्ति को एकाकार करना ही मुक्ति है। 


मुक्ति इस लोक से परे घटने वाली कोई घटना नहीं है। अपितु इसी काल में, इसी जीवन में प्राप्य है क्यों कि यह और कुछ नहीं टुकडो में देखने वाली दृष्टि का नाश है। “सर्वदृष्टि प्रणाश” की यह मान्यता वैदिक एवं बौद्ध दोनो प्रणालियों को सहज स्वीकार है। 


और इन्ही सब रहस्यों से पर्दा हटाने वाला भगवन श्री कृष्ण प्रदत्त अद्भुत ज्ञान है, "गीता ज्ञान" और इसी ज्ञान को जन जन तक पहुचाने और सनातन विज्ञानं के प्रचार और प्रसार हेतु निर्माण हुए मंच को नाम दिया है "गीता ज्ञान". यहाँ आपको धर्म से जुडी हर बात को सिरे से प्रदान करने का कोसिस किया जायेगा. आपके हर धर्म से जुड़े हर संसय को दूर करने का कोसिस किया जायेगा यहाँ. भारतीय सभ्यता जो सामने है और जो अभी तक सामने नहीं है सभी को सकारात्मक और विज्ञानं की कसौटी पर खरा उतारते हुए आपके सामने लाया जायेगा जो आप अपने से जुड़े करीबी और बच्चो तक को प्रदान कर सकते हैं. "गीता ज्ञान" में वो सभी मूलभूत सुविधाएँ हैं जो अब तक इन्टरनेट पर उपलब्ध किसी भी सोसिअल नेटवर्क पर नहीं है सो आइये और स्वयं तथा अपने मित्रों को भी www.geetagyan.com से जोड़कर इस नेक कार्य में सहयोग प्रदान कीजिये.

धन्यवाद


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