मोदी के डर मे शीला दीक्षित का बलिदान किया कॉंग्रेस ने
अखबार मे पढ़ा की आम आदमी पार्टी केजरीवाल को मोदी जी के खिलाफ लोक सभा मे खड़ा करने के बारे मे सोच रही है।
इस खबर को पढ़ का दिमागी कीड़ा कुछ ज्यादा ही कुलबुलाने लगा....इसके कई कारण थे
१. केजरीवाल द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले एक सर्वे को मार्केट मे लाना की आम आदमी पार्टी के ४९% कार्यकर्ता मोदी को प्रधानमंत्री के रूप मे देखते हैं
२. केजरीवाल हालिया ५ राज्यों के चुनाव मे सिर्फ दिल्ली मे ही लड़े बाकी जगह पर नहीं क्यूंकी बाकी जगहों पर भाजपा इतनी तगड़ी थी की केजरीवाल का उस आँधी मे क्या हाल होता ये उनको पहले से पता था
लेकिन सबसे अहम कारण है.......केजरीवाल का शीला दीक्षित के खिलाफ रिकर्ड २५ हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल करना। केजरीवाल उस शीला दीक्षित के खिलाफ जीत हासिल किए जिस शीला ने १५ साल राज किया। लेकिन एक बात यहाँ गौर करने वाली है की शीला दीक्षित ने खुद अपनी विधानसभा मे खुद के वोट के लिए प्रचार नहीं किया। और शांति से बैठी रही ना कोई रैली, ना कोई पदयात्रा कुछ नहीं सिवाय घर पर बैठने के।
ऐसे मे केजरीवाल ने चुनाव मे शीला दीक्षित को रिकार्ड २५ हजार से ज्यादा मतों से हराया। लेकिन इस हार का चीर-फाड़ करने पर पता लग रहा है की कॉंग्रेस ने दिल्ली विधानसभा और शीला दीक्षित का बलिदान दिया ताकि केजरीवाल का कद बड़ा किया जा सके। केजरीवाल का कद इतना बड़ा किया जाये ताकि उसको मोदी जी के खिलाफ उतारा जा सके। क्यूंकी मोदी जी के खिलाफ उतारने के लिए कॉंग्रेस के पास कोई भी नेता नहीं है। ऐसे मे किसी ऐसे का कद बड़ा करना था जो थोड़ा सामाजिक हो और जनता मे जाना-पहचाना चेहरा हो। तो केजरीवाल के रूप मे कॉंग्रेस को एक मोहरा मिल गया।
कॉंग्रेस ने जैसे आईपीएस संजीव भट्ट की बीबी को गुजरात मे खड़ा किया लेकिन उसके पहले संजीव भट्ट का कद बड़ा किया, उसको मीडिया के द्वारा ईमानदारी का सर्टिफिकेट दिलवाया और भट्ट को केजरीवाल के नजदीक किया।
वाह रे कॉंग्रेस हमेसा अपनों का बलिदान देने मे आगे रहती है वोट के लिए। सीता राम केसरी के बाद अब शीला दीक्षित का नाम कॉंग्रेस द्वारा बलिदान देने मे स्वर्णिम अक्षरों मे लिखा जाएगा।
Balidaan Bekar Gaya...
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