2 May 2013

Some Moments Hurts

रात से मेरी आँखों मे नमी सी है,
लगता जीवन मे कुछ कमी सी है,
घर मे उकड़ू बैठे हम उदास से हैं,
दर्द क्या है, इससे अंजान से हैं,
हो गए चहरदीवारी मे बंद से हैं,
दिमाग ठंडा पड़ा जमा बर्फ सा है,
ना कोई खुशी ना ही उमंग सी है,
जिंदा हैं क्यूँ परे ये समझ से है।

रात से मेरी आँखों मे नमी सी है,
लगता जीवन मे कुछ कमी सी है,
गले मे आवाज भी ये बंधी सी है,
सिने मे भी मेरे तो कुछ दर्द सा है,
मन भी मेरा बावला विचलित सा है,
ढूँढता आज केवल ये अपनों सा है,
दिखती नहीं आने की आस सी है,
फिर भी मेरी आँखों मे तलाश सी है।

रात से मेरी आँखों मे नमी सी है,
लगता जीवन मे कुछ कमी सी है,
चारो ओर लगता झंझावात सा है,
आँखों से आंसुओं का बरसात सा है,
सामने औरों के पत्थर रख हँसते से हैं,
अंदर ही अंदर उस पत्थर से दबते से हैं,
होंठ भी पपड़ी पड़ सीले हुए से हैं,
दर्द ही दर्द मुझे आज मिले से हैं।

रात से मेरी आँखों मे नमी सी है,
लगता जीवन मे कुछ कमी सी है,
भरी भीड़ मे भी आज तन्हा से हैं,
तन्हाइ के सागर मे डूबते से हैं,
हर घड़ी हम केवल बेचैन से हैं,
क्या करें थोड़ा कम पढे-लिखे से हैं,
अब तो हम बंधुवा मजदूर से हैं,
क्या कहें अब "विनीत" मौन सा है।



3 comments:

  1. आपकी कविता ने मौन कर दिया "विनीत" :(

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    1. टूटी-फूटी लड़ियों को पसंद करने के लिए धन्यवाद निरंजन जी

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    2. आंसुओ को लाया मत करो,
      दिल की बात बताया मत करो,
      लोग मुठ्ठी मे नमक लिये फिरते है,
      अपने जख्म किसी को दिखाया मत करो।

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