26 Aug 2012

भ्रष्ट मीडिया के खिलाफ हल्ला बोल


कल ये मीडिया ही थी जिसने दिल्ली के दंगे को इतना बड़ा बनाया जिसमे सबसे बड़ा हाथ था उस समय सबसे प्रचलित DD-१ का क्यूंकि अख़बार तो एक दिन बाद पहुंचे लेकिन उन अखबारों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी उस नापाक इरादों वाले दंगे को भड़काने में| हजारों की संख्या में सिख उस दंगे में मारे गए और जब कोर्ट ने साबुत माँगा तो सरे न्यूज़ प्रिंट गायब हो गए थे मीडिया के पास से| सीधा मतलब था की कल भी मीडिया कांग्रेस और गाँधी परिवार के इशारों पर नाच रही थी और देश में झूठ का पुलिंदा फैला रही थी और आज भी मीडिया केवल झूठ का पुलिंदा फैला कर कांग्रेस के ढहते हुए किले को आसरा देने की कोशिस में लगी है|

इस मीडिया को नहीं मतलब है की क्या सही है और क्या गलत है? जनता की आवाज संसद और नेता तो बाद में दबाते हैं जनता की आवाज सबसे पहले दबाने वाला कोई है तो वो है मीडिया| फिर चाहे वो PTI हो या कोई और सभी न्यूज़ को दबाने में लगे हैं|

देश गृहयुद्ध के तरफ पूरी तरह से बढ़ता जा रहा है और इसके आसार साफ़ तौर पर देखे जा सकते हैं| पर इससे मीडिया को क्या उसको तो उसकी दलाली की कीमत मिल रही है न भाई| कोई मीडिया का रहनुमा आसाम दंगे की तुलना गुजरात दंगे से कर रहा है और बताना चाह रहा है की भाई गुजरात में तो १००० लोग मारे गए तो आसाम में भी उतना हो जाने दो| पर आज तक मैंने ये नहीं देखा की मीडिया ने ये दिखाने की कोशिस की हो की गुजरात दंगे को ३ दिन के अन्दर ख़तम कर दिया गया तथा गुजरात में बीते १० सालों में कोई दंगा नहीं हुआ पर वहीँ जम्मू और कश्मीर तथा आसाम के साथ-साथ देश के अनगिनत हिस्सों में ज़माने से दंगे चलते चले आ रहे हैं और रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं|

नॉर्थ-इस्ट की कोई न्यूज़ हमें नहीं दिखाई जाती है क्यूंकि सच्चाई दिखानी पड़ेगी और वहां राज तो कांग्रेस का है| ऐसे ही अंदमान-निकोबार द्वीप समूहों में क्या हो रहा है कोई नहीं जानता पर हाँ जैसे की मोबाइल कैमरे से कोई न्यूज़ बाहर आ गई तो उसे दिखाना मज़बूरी बन जाती है क्यूंकि उसको इस पालतू और बिकी हुई मीडिया की प्रतिद्वंदी सोसिअल मीडिया दिखा रही है जो की पूर्ण समर्पण भाव से देश सेवा में लगी हुई है तथा अपने इसी समर्पण भाव के कारन नेताओं की बाद पर पहले इस बिकी हुई मीडिया की आंख की किरकिरी बनी हुई है|

कैग का कोयला आवंटन का आंकलन आर टी आई के जरिये १.५ साल पहले आ चूका था जो की आम जनता जान चुकी थी पर मीडिया ने इस खबर को दिखाना जरुरी नहीं समझा बल्कि इसको ७ परतों में दबाये रखा|

हर उस बात पर जब कांग्रेस या कांग्रेस की मालकिन फंसती दिखाई देती हैं तो मीडिया ऐसे उतर आती है की जैसे उनकी कमाई बंद हो जाएगी बचा लो अपनी मालकिन को|

२६-११ के हमले के दौरान घायल लोगों को देखने के लिए जब सोनिया गाँधी अस्पताल पहुंची थी तब सारे घायलों के रिश्तेदारों को अस्पताल से बाहर निकल दिया गया था ताकि सोनिया गाँधी घडियाली आंसू बहा सकें और जब इस बात को एक बार एक बहादुर लड़की जिसका नाम मैं भूल रहा हूँ ने एक चर्चा में NDTV पर बरखा दत्त के सामने उठाया तो बरखा दत्त ऐसे सोनिया के बचाव में उतरी जैसे उस लड़की ने इस बात का जिक्र करके गुनाह कर दिया और उसके सवाल को ठन्डे बस्ते में डाल उस लड़की को फिर माइक दिया ही नहीं गया|

हर घोटाले को दबाने वाली ये मीडिया है| हर नेता के कृत्य को दबाने वाली ये मीडिया है| आज न्यूज़ दिखाए नहीं जाते हैं बल्कि बेचे जाते हैं|

फिर हम क्यूँ झेलें इस बिकी हुई तथा बिना रीढ़ की मीडिया को| 

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