22 Jul 2013

Corrupt - Communal - Congress



खान-वार मे जुटी भारत की मीडिया, चाइना-हुंकार को भूल गई,

आईएम के प्रवक्ता बने कोंग्रेसी, मीडिया त्रिशूल से झूल गई॥

हरा रंग केवल शोभे सबको, केसरिया ना भावे कोई को अब,

कालिख पुती जो चेहरे पर देखो, सफेदी मे चूर हुए चोर सब।

धरती होती भगवा खून से लाल, बैठा है देखो ये जमाई काल,
चालाक ये सुस्त पड़े हैं, मदमस्त पड़े हैं, देखो ये कोंग्रेसी लाल।

सुघड़ है, चंचल है, चपल कुटिल सलोनी है इनकी काया,
ठग-चोर-लुटेरे ये, बलात्कारी आतंकी संग है इनकी माया।

अब इनपे इतना है दोष, फिर बताते हैं खुद को निर्दोष,
निर्दोषों को ठुँसते जेल, अजब-निराला है इनका खेल।

जनता जाये खड्डे मे, इनकी निगाह तो धन के बस्ते मे,
है लूट खसोट की रेलम-पेल, हैं बड़े झमेले इस रस्ते मे।

कमर तोड़ है भारत की महंगाई, फिर भी देखो इनकी बेहयाई,
अस्त-व्यस्त पड़ी अर्थव्यवस्था, फिर भी की लूटने की व्यवस्था।

देखो जरा इस देश की अवस्था, आजादी के समय से शून्य बाबस्ता,
राज किया गांधी ने साल साठ, गर पुछो कुछ तो मार जाता है काठ।

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