16 Jun 2013

My village, my pride


गाँव के त बा रंग बहुतेरा
जे ना छोड़े कभी भी संग
चाहे वो पुवाल हो, हो चाहे वो अमवा के बौर
इमली की खटास हो चाहे तोतवा की मिठास
खेतवन के सैर चल, चाहे खेल बगिया मे गिल्ली-डंडा
ताल तलैया हो चाहे हो पोखर-पाकड़
उ ताऊ के मूंछ त देख बावे केतना धाकड़
मूंछ बा ताऊ के धाकड़ लेकिन जब रिसियाए ताई
कर देवे है ऊ सबकी एक तरफ से पिटाई
करत है ताई पिटाई लेकिन गोलु खा जावे है मिठाई
गेंहू की मड़ाई हो चाहे हो धान की पिटाई
गन्ने के खेत मे घुस हो गन्ना चुसाई
गन्ना पेराइ समय राब ना छोड़ल जाई
जाड़ा मे दद्दू कउड़ा रहे जलाई
गर्मी सब चले हैं बइठे बगईचा
बरसात जब आई तो सोंधी महक से कोई खुद को ना रोक पाई
लेकिन अब एही गाँव मे इका होखत बा ए भाई
दद्दू गुड्गुडावे हुक्का आ उ देखो पतुरिया लगावे ढूका
सास से जलन है, जेठानी ना सुहाए, देवरानी से झगड़े है
केकरा से अब ई दुखड़ा कहल जाय
एकता कपूर के भूत गंउवों मे पहुंचा ए भाई

लेकिन हम हमार गंउवा कैसे भूल जाईं

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