29 Mar 2012

टुकडो में बंटता हिंदुत्व और हिन्दू


हमारी सबसे बड़ी गलती जिसको हम में से कोई भी नहीं बोलता है!

हमारे हिन्दू भाई इतने दूर हो गए हैं अपने ही भाइयो से और इतनी बड़ी खाई खुद गई है जो की पटने का नाम नहीं ले रही है और न ही उसके लिए कोई कोशिस भी कर रहे हैं| पहले हमारे सिख भाई हमसे अलग हुए जो हिंदुत्व की रक्षा के लिए सिख बने थे पर गलती ऐसी हुई की दोनों भाई अलग हो गए एक दुसरे से और राजनेता इस खाई को और बढ़ाने का काम किये पर ये अलग बात है की आज वो ही राजनेता आज इसका भरपूर फ़ायदा उठा रहे हैं| 

फिर अलग हुए निम्न वर्गीय जिनको दलित बोला जाने लगा जबकि असलियत ये है की वो भी उतने ही हिन्दू हैं जितने सवर्ण लेकिन क्या हम जाती से सवर्ण उनको वो हक़ दे रहे हैं या दिया है जो उन्हें मिलना चाहिए था बिना मांगे ही| क्या बिना उनको समानता का हक़ दिए हम उनको अपने साथ चलने को बोल सकते हैं या क्या वो हमारे साथ चल सकते हैं कभी|
कभी हमारे हिन्दू धर्म से सिख अलग हुए कभी बौद्ध कभी जैन कभी निम्न वर्गीय (दलित)| क्या बिना हमारे सभी अलग हुए धडो के एक हुए हम कोई अच्छा, सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं अपने देश में|

आज हिन्दू मुख्यधारा से अगर कोई सबसे ज्यादा दूर है तो वो है निम्न वर्ग (दलित)| एक सवाल मै इनको निचा दिखने वालो से पूछना चाहता हु की निम्न वर्ग से अगर कोई ऊँची पोस्ट पर पहुँच जाता है यहाँ तक की अगर मै मायावती तक का नाम लू तो सरे उच्च वर्गीय लोग सब भूल कर इनके मातहत बन जाते हैं और इनके पैरो तक को जमीं पर नहीं अपने हाथो तक पर धारण करने से नहीं चुकते हैं और इनको खुश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं पर वही लोग जब कुछ भी नहीं होते हैं एक आम इन्सान होते हैं क्या हम उनको अपने साथ तक बैठने देते हैं? क्या इस अपमानजनक तरीके से आप और हम अपने भारत में एक सकारात्मक बदलाव लायेंगे| या इस तरीके से हम अपने इस देश को फिर से सोने की चिड़िया बना पाएंगे कभी| 

अगर हाँ तो कैसे और अगर नहीं तो क्या करना चाहिए?

1 comment:

  1. यह विषय बेहद गम्भीर है और समय रहते सोचना होगा... बाबा रामदेव जैसे कुछ लोगों को तुरन्त आगे आना होगा अगर कुछ परिवर्तन समय रहते करना हो तो।

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