जेनेरल वि. के. सिंह इमानदार या एक अपराधी!
जेनेरल ने पहले अपने उम्र को ले कर केस लड़ा.
जेनेरल ने सेना में भी छुपे भ्रस्ताचार को उजागर किया ताकि कोई भी देश की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ न कर सके चाहे कोई राजनेता या उसका कोई दलाल.
जेनेरल ने हमारे मंद बुद्धि प्रधान मंत्री को पत्र लिखा हमारी सुरक्षा की खामियों को लेकर....क्या एक प्रधानमंत्री को सुरक्षा की जानकारी देना गलत है......पर वो पत्र पब्लिक में कैसे गया इस बात के बारे में कोई भी नेता कुछ नहीं बोल रहा है की कहा से गलती हुई न पत्र में लिखे सवालो पर कोई बात.....बात सिर्फ इतनी हो रही है की पत्र पब्लिक हो गया और सरकार की किरकिरी हो गई और इसका ठीकरा फोड़ दो जेनेरल पर ताकि हम राजनेताओ का सर बच जाये......क्या ये सरकार हर उस बन्दे को गलत ठहरायेगी जो भ्रस्टाचार को उजागर करेगा या करने की कोशिस करेगा.........मुझे तो अब ये लग रहा है की हम सफ़ेद तालिबान शासन में जी रहे हैं जहाँ हमारी सेना के सर्वोच्च अधिकारी तक को न्याय नहीं मिल रहा है तो हम लोगो जैसे आम आदमी की क्या बिसात........क्या हमारे राजनेता संसद में सो कर देश की शान बढ़ा रहे हैं और हमारी रक्षा करने वालो को ही टांग रहे हैं ताकि कोई उनकी ओह्देदारी को चुनौती ना दे सके........इसी लहजे पर हमारे लालू जी ने अपने जैसे कुछ कामचोरो और डकैत साथियों के साथ मिल कर हमारे जेनेरल को पद लोभी बता दिया.......क्या भ्रस्टाचार को उजागर करने वाला भारतीय पद लोलुप है........अभी तो ऐसा लग रहा है की कोई भी नेता चाहे सड़क छाप नेता (छुटभैया) या संसद में बैठा नेता कोई भी भरोषा करने लायक नहीं है...........कोई भी नेता सड़क छाप या संसद में बैठा नेता कोई भी किसी की पॉपुलरिटी अपने से ज्यादा नहीं देखना चाहता है.............पर हमें इससे क्या हमें तो सोना है.......ये परेशानी हमारे घर की थोड़े ही है.......जब हमारे घर पर आयेगी तो देखि जाएगी........अभी तो थोडा सोने दो दोस्तों........देश चाहे भांड में जाये हमें उससे क्या.......मेरे केवल आवाज उठाने से क्या होगा........इतने बड़े प्रोफाइल के लोगो से तो कुछ हो नहीं रहा है हम जैसे निरीह इंसानी खाल में छुपे जानवरों से क्या होगा.
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