चलेंगी जब तक सांसे जिंदगी की
कहीं मिलेगी धूप तो
मिलेगी कहीं छांव भी
कहीं मिलेगा प्यार तो
मिलेगा कहीं टकराव भी
कहीं जुड़ेंगे लोग अंतर्मन से
तो कहीं साधेंगे स्वार्थ भी
कहीं मिलेंगी तारीफें तो
कहीं ठहराए जाएंगे गलत भी
कहीं मिलेगा सच्चा आशीर्वाद तो
कहीं कोई दे रहा होगा श्राप भी
कहीं बन जाएंगे पराये भी अपने तो
कहीं अपने ही गलत ठहराएंगे आपको
कहीं आपकी खुशियों की चहक होगी तो
कहीं पीठ में घाव देने वाले भी
क्यों सोच रहा उन लोगों को तू
खंजर भोंके जिनने पीठ में
तेरे घाव तो भर जाएंगे
क्या वो हैं इतने निर्लज्ज
जो घाव दे कर भी शांत रह पाएंगे
पथरीला डगर है लेकिन तू चलाचल "विनीत"
जैसा होगा तेरा भाव मिलेगा वैसा प्रभाव
रख "विनीत" तू खुद का मन साफ,
पा सकेगा जिंदगी का मनचाहा पड़ाव
छू लेगा तब तू आसमां भी
बस दिल मे इतना हौसला रख।
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