19 Oct 2025

Jindagi


चलेंगी जब तक सांसे जिंदगी की
कहीं मिलेगी धूप तो 
मिलेगी कहीं छांव भी
कहीं मिलेगा प्यार तो 
मिलेगा कहीं टकराव भी
कहीं जुड़ेंगे लोग अंतर्मन से 
तो कहीं साधेंगे स्वार्थ भी
कहीं मिलेंगी तारीफें तो 
कहीं ठहराए जाएंगे गलत भी
कहीं मिलेगा सच्चा आशीर्वाद तो
कहीं कोई दे रहा होगा श्राप भी
कहीं बन जाएंगे पराये भी अपने तो
कहीं अपने ही गलत ठहराएंगे आपको
कहीं आपकी खुशियों की चहक होगी तो
कहीं पीठ में घाव देने वाले भी
क्यों सोच रहा उन लोगों को तू
खंजर भोंके जिनने पीठ में
तेरे घाव तो भर जाएंगे
क्या वो हैं इतने निर्लज्ज 
जो घाव दे कर भी शांत रह पाएंगे
पथरीला डगर है लेकिन तू चलाचल "विनीत"
जैसा होगा तेरा भाव मिलेगा वैसा प्रभाव
रख "विनीत" तू खुद का मन साफ,
पा सकेगा जिंदगी का मनचाहा पड़ाव
छू लेगा तब तू आसमां भी
बस दिल मे इतना हौसला रख।

झंझावात


जिंदगी बस यूँ ही बीत रही,
ग़मों की महफ़िल सींच रही,
क्या बताऊँ कब कैसे कहाँ,
उल्टी धारा में बहता "विनीत" जहां।

सोचा नहीं था कभी आएगा ऐसा,
तिरछा मोड़ मुक्कदर का,
हर जंजाल बनता पीर यहां,
दर्द की दवा मिले तो मिले कहाँ।

रिश्तों में फरेब की आंधी यहां,
कहाँ तक सँभाले "विनीत",
मिलते न सच्चे मीत जहां,
लगाएं किससे प्रीत यहां।

जिंदगी के झंझावात में अकेला,
समेट रहा दुःखों का मेला,
चाहता हूँ हो जाऊं मैं भी औरों सरीखा,
बस सीखा नहीं "विनीत" ने धोखाधड़ी।