पतियों की पीड़ा
हमारा समाज एक पुरुष प्रधान समाज है। इस समाज मे ऐसा तानाबाना बुना गया है जिसमे पत्नी ही पीड़ित होती है। ऐसे अनगिनत दर्दनाक घटनाएँ भी रही हैं।
लेकिन भौतिकतावाद के प्रताड़ना की भेंट आज पति हो रहा है। अभी हाल में ही दो पतियों ने अपनी ईहलीला समाप्त की।
पत्नियां झूठे केसों में पतियों को फंसा रही हैं। भारत का कई देशों से चुराया हुआ कानून भी पत्नियों के पक्ष में खड़ा दिखाई देता है।
जरूरी नहीं कि शारीरिक रूप से ही प्रताड़ना हो बल्कि उससे कहीं घातक होती है मानसिक प्रताड़ना। सालों साल की मानसिक प्रताड़ना में पति अपने होशो हवास खो कर सिर्फ मौत को गले लगाना ही आसान समझ रहा है। क्योंकि कार्यस्थल की परेशानियां और वहां से घर आने पर घर के अंदर मानसिक परेशानियां कहीं न कहीं पतियों को अंदर से खोखला कर दे रही हैं।
पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास के साथ साथ आपसी समझ का ज्यादा होता है। अगर आपसी समझ खत्म तो सब खत्म।
पति खत्म, पत्नी.........