हम भूल गए सब कुछ
Root of all problems in India "Congress and Soniya family" |
हम भूल गए 2जी, 3जी, अवैध खनन, कॉमन वेल्थ, हसन के प्रपंच, कांडा के काण्ड, हम ये भी भूल गए की कैसे पड़ी थी सोते हुए लोगों पर लठियाँ, अपनी माताओं और बहनों के चीत्कारों को हमने सुना नहीं क्यूंकी हम तो ठंडी मे ठंडे पानी की बौछार और ठंड मे ठिठुरते बदन पर पड़ती गरम लाठी को आँसू गैस के गोले के आँसू मे बहा कर भूल गए, हम अब आदर्श ना रहे क्यूँकी वहाँ भी हो गया घोटाला कोई, हमे तो ये भी याद नहीं की मुंबई हमले मे मरा कौन था और कौन हुआ था शहीद, हाथ था उसके पीछे किसका, प्याज की रस मे रोते रहते हैं हम और सब कुछ यूंही सहते रहते हैं हम, विदेशों मे काले धन को काली अंधेरी रात समझ बैठे हम, दे रहे बोफोर्स के दलालों को अपने घर मे पनाह हैं तो कभी भोपाल मे गैस काण्ड के आरोपी को चार्टर प्लेन, कभी मानरेगा मन ऊबा गया हमारा तो कभी हम चौपायों का चारा ही गटक गए, हमे तो आधार कार्ड मिला नहीं पर बांग्लादेशियों को बंट रहा ये कार्ड धड़ाधड़ है, रासन कार्ड की धांधली मे भूखे मर गए तो क्या, किसान को फर्जीवाड़ा और पानी की कमी खा गई, हम पहला जीप घोटाला तो याद ही नहीं करते हैं ठीक वैसे ही जैसे हम 2002 के पहले के हर दंगे को भूल गए, 1984 के सिखों के कत्लेआम को भूल गए तो 30 जनवरी 1948 के बाद हुए मराठी पंडितों के हत्याकांड को भूल गए, कोयले की कालिख मे सफेदी कहीं गुम सी गई थी जिसे हमारी कमजोर याददास्त ने धो दिया, अविरल गंगा के मान और शान को हम भूल गए, गौ माता को हम चारा बना उनको भी भूल गए, या शायद हमे सब कुछ भूल वोटिंग के लिए ईवीएम मशीन ही इसी लिए दी गई की बटन दबाने के समय कुछ याद ही ना रहे और याद भी रहा तो फर्क क्या पड़ता है बल्ब तो वहीं जलेगा जहां मशीन चाहेगी........तिरंगे को ही हम पंजा बना तिरंगे को भुला बैठे, भगवा पर हरा रंग चढ़ाने के प्रयास मे राम को भूल विदेशी को अपना सब कुछ बना बैठे, ये तो कुछ भी नहीं डायन और उसके कपूत को हम अपना भगवान बना बैठे.......आपाधापी के इस दौड़ मे हम खुद को ही भुला बैठे.....
या शायद 1947 मे हम एम॰ के॰ गांधी की एक बात भूल गए...........
देश आजाद होने के बाद हम कॉंग्रेस को भंग करना भूल गए......
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