tag:blogger.com,1999:blog-6047271198237776351.post4823925384484892328..comments2023-12-19T14:15:21.758-08:00Comments on Vineet Kumar Singh: भोजशाला के मस्जिद का सचvineet kumar singhhttp://www.blogger.com/profile/05355169460122227483noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6047271198237776351.post-67384195221742746052012-06-01T00:47:56.323-07:002012-06-01T00:47:56.323-07:00धन्यवाद दिवाकर जी ध्यान दिलाने के लिए शब्द पुष्टिक...धन्यवाद दिवाकर जी ध्यान दिलाने के लिए शब्द पुष्टिकरण के तरफ...और आपके इस खुबसूरत और एकता को उद्वेलित और एकता की जरुरत के तरफ लोगों का ध्यान खींचने के लिएvineet kumar singhhttps://www.blogger.com/profile/05355169460122227483noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6047271198237776351.post-8667239016490366032012-05-26T05:24:27.426-07:002012-05-26T05:24:27.426-07:00जिस सच्चाई को आप, हम और आम हिंदू जनमानस भली भाँति ...जिस सच्चाई को आप, हम और आम हिंदू जनमानस भली भाँति जानता है, उसे हमारे हुक्मरान वोट की शक्ति के कारण नहीं समझना चाहते।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06913170548026536624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6047271198237776351.post-19599210042985007342012-05-22T21:42:23.348-07:002012-05-22T21:42:23.348-07:00जिस सच्चाई को आप, हम और आम हिंदू जनमानस भली भाँति ...जिस सच्चाई को आप, हम और आम हिंदू जनमानस भली भाँति जानता है, उसे हमारे हुक्मरान वोट की शक्ति के कारण नहीं समझना चाहते। जब तक हम हिंदू अपने दलित-शोषित बंधुओं को गले लगाकर उन्हें अपना बना कर एकजुट नहीं होंगे, तब तक हमारी आवाज़ नक्कारखाने की तूती बन कर रह जाएगी। जरूरत है कि "संघेशक्ति कलौयुगे" को सिद्धांततः की बजाय व्यवहार में अपनाएं, और तब देखिए कि चीजें कैसे ठीक होती हैं।<br />* भाई रणधीर जी को इन वीररसात्मक पंक्तियों के लिए हार्दिक धन्यवाद और आपको इस आलेख के द्वारा दिन में सोए हुओं को जगाने का प्रयास करने के लिए भूरिशः धन्यवाद.<br /><br />** भाई विनीत जी, आपसे अनुनय है कि शब्द पुष्टिकरण (Word Verification) को हटा दें। ब्लॉग जगत में यह अब अप्रचलित है और इसे टिप्पणीकारों के लिए बेकार का रोड़ा माना जाता है।दिवाकर मणिhttps://www.blogger.com/profile/03148232864896422250noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6047271198237776351.post-33337553680989148952012-05-19T11:58:06.592-07:002012-05-19T11:58:06.592-07:00बहुत सही पंक्तियाँ लिखी हैं अपने रणधीर जी काश की य...बहुत सही पंक्तियाँ लिखी हैं अपने रणधीर जी काश की ये सभी समझ जाएँ और संगठित हो सकेंvineet kumar singhhttps://www.blogger.com/profile/05355169460122227483noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6047271198237776351.post-67593252962407415792012-05-18T06:31:38.606-07:002012-05-18T06:31:38.606-07:00वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालो
चट्टानों की छा...वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालो <br />चट्टानों की छाती से दूध निकालो <br />है रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ो <br />पीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो <br /><br />चढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रे <br />योगियों नहीं विजयी के सदृश जियो रे!Randhir Chaudhary Panipaiyahttp://www.facebook.com/randhir.deswalnoreply@blogger.com