16 Apr 2012

हिन्दू - धर्म का मखौल


आज हमारा हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म बन गया है जहा हिन्दू एक दुसरे का ही गला काटने में आगे रह रहे हैं, पहले कुछ पाखंडियों और नेताओ जो किसी न किसी धर्म विशेष के पालनहार बने फिर रहे थे उनकी बातो में आकार बँटे और कमोबेश आज वो स्थिति और भी भयावह हो चुकी है जो घृणा  का बिज कल बोया गया था आज उस बिज ने एक विकराल पेंड का रूप ले लिया है.....पूरा हिन्दू समाज इतना बिखर गया है की उसको बटोरना  बहुत ही मुश्किल हो रहा है या अगर व्यावहारिक शब्दों में बोलें तो खाई इतनी बड़ी हो गई की कोई मिटटी इसको भर नहीं पा रही है या कहे तो भर ही नहीं पायेगी अगर हम नहीं जागे तो.....अब एक बहुत ही बिकट सवाल उठता है की आखिर हिंदुवो को ही क्यों तोडा गया टुकडो में....किसको लाभ मिलने वाला था इस कृत्या से या किसको लाभ मिला.....क्युकी कुछ लोग जो यहाँ तक की मुस्लिम भी थे वो पंडित लगा कर आए और दिखावा पंडित वाद का किया पर हाँ काम कुछ नहीं किया पर उस बात को समझा कौन......कोई भी नहीं

आज जिस चैनल को देखो वो एक दम से कूद पड़ा है निर्मल बाबा के दुष्प्रचार में पर अगर मै गलत नहीं हु तो यही वो चैनल थे जो कल तक इनके समागम या शो को धडल्ले से दिखाते थे फिर आज अचानक ऐसा क्या हो गया की वही चैनल निर्मल बाबा के शो का और उनका चिर-फाड़ करने में लगी है|

पर ये हिंदुवो के लिए कोई नयी बात नहीं है ऐसा तो आयेदिन होता रहता है...कल बाबा रामदेव थे आज निर्मल बाबा, ये आए दिन की बात हो गई है....खुद हिन्दू आगे बढ़ कर गालिया देता है अपने ही धर्म के धर्म गुरु को.....क्या निर्मल बाबा या बाबा रामदेव ने या साध्वी प्रज्ञा या फिर आसाराम बापू जी या फिर असीमानन्द ने या ऐसे किसी बाबा या साध्वी ने क्या आपके घर आकर आपसे कहा की आप मुझे दान दें या मेरे समागम में चले....वो आपको एक सही रास्ता दिखाने की कोशिस करते हैं ना की आपको बरगलाने की....अगर वो आपसे कहते हैं की फलां मार्ग अच्छा है तो ये आपके ऊपर है की आप उस मार्ग का  अनुसरण करते हैं की नहीं.....ये जरुरी नहीं की जो आपको वो मार्ग बता रहा है वो भी उसी  रस्ते पर चल रहा है की नहीं ये जानने के बाद ही आप उस रस्ते पर चलेंगे....पर अगर आप ऐसा सोचते हैं तो सामने वाला तो सन्यासी भी बन गया है आप भी बन जाये सन्यासी...

पर यहाँ एक और सवाल उठता है जब शांति के पुरष्कार देने की बात आती है की फलां व्यक्ति ने शांति के लिए देश में काम किया है तो वो व्यक्ति अधिकांश तौर पर एक क्रिस्चियन होता है....एक हिन्दू सन्यासी कभी नहीं होता है...क्यों....क्या हमारे जो सन्यासी हैं ये देश में बवाल कटते हैं....कौन सा उधम मचाते हैं हमारे सन्यासी....क्या केवल क्रिस्चियन  ही हैं इस देश का भला सोचने वाले और इस देश के मूल निवासी देश के दुश्मन बन गए.....कभी कोई न्यूज़ चैनल धर्म परिवर्तन को मुद्दा नहीं बनता दीखता है......न्यूज़ चैनल लव जिहाद को तो बहुत ही मार्मिक तरीके से दिखाते हैं पर बात जब क्रिश्चियनिटी पर आती है तो सभी न्यूज़ चैनल चुप हो जाते हैं.....न्यूज़ चैनल किसी बाबा को ढोंगी बता कर उससे उसका बायोडाटा मांगना चालू कर देते हैं पर एक आर्च बिशप क्या कर रहा है कितने छोटे बच्चो के साथ अनैतिक कार्य में लिप्त है ये न्यूज़ दबा दी जाती है....क्यों भाई क्या हिन्दू ही गलत हैं इस देश में बाकि सब दूध के धुले हैं?

अब सवाल उठता है की निर्मल बाबा क्यों दोषी हैं?......निर्मल बाबा किसी के पास आकर नहीं कहते हैं की आप मेरे यहाँ आओ ही नहीं तो आपका भला नहीं होगा....आप मुझे इतना चढ़ावा दो ही नहीं तो कुछ नहीं होगा आपका....ज्ञात हो समागम की फीस अलग है जो की कोई भी लेता है चाहे वो खेल का मैदान हो या कुछ और....निर्मल बाबा ये नहीं कहता है की आप इतना पूजा पाठ करिए.....निर्मल बाबा क्या कहता है की गरीबो में ये बाँट देना......गरीबो में कुछ बाँटने को बोलता है निर्मल बाबा तो इसमें आपको कुछ लगता है की इसका दूरगामी क्या फ़ायदा हो सकता है......गरीब और आमिर को पास लाने का फ़ायदा,,,,गरीब और आमिर के बिच की दिवार को गिराने का फ़ायदा.....अगर पेन्सिल ही किसी गरीब को देने को बोलता है ये निर्मल बाबा तो उससे कुछ गरीबो का भला ही होने वाला है कुछ बुरा नहीं.

आज हर न्यूज़ चैनल चैनल सुबह सुबह हमारा भविष्य बताने के लिए किसी ना किसी पंडित या असत्रोलोजिस्ट को बुलाता है तो वो सही है क्युकी वो पैसा लेकर केवल भविष्य बता कर चले जा रहे हैं पर अगर कोई व्याख्यान दे रहा है तो वो गलत है|

हर उस व्यक्ति को यहाँ गलत बताया जा रहा है न्यूज़ चैनल के द्वारा जो की हमें हमारे धर्म से थोडा भी जोड़ने की कोसिस कर रहा है| क्या अपने धर्म से अपनों को जोड़ने की कोसिस करना गलत है|

क्यों किसी न्यूज़ चैनल की हिम्मत नहीं है एक ऐसे बिज़नस का भांडा फोर करने का जो की २००२ में एक क्रिस्चियन के द्वारा अमेरिका में बनाई गई और उस संस्था का मालिक जो की क्रिस्चियन है वो भारत के इंडियन क्रिस्चियन काउन्सिल का प्रेसिडेंट भी है वो दलित फ्रीडम नेटवर्क चला रहा है अमेरिका में ही बैठ कर.....अब यहाँ कोई छोटा बच्चा भी बता सकता है की एक अमेरिकी क्रिस्टियन को दलितों में इतनी हमदर्दी क्यों है या क्यों क्रिश्चियंस को हमारे हिन्दू धर्म के अभिन्न अंग जिन्हें दलित नाम दिया गया उनमे क्यों दिलचस्पी है........सिर्फ धर्म परिवर्तन.....पर इस संस्था पर तो आज तक किसी न्यूज़ चैनल को तो क्या किसी आम आदमी तक की बोलने की हिम्मत नहीं हुई ....क्यों क्युकी वो दुसरे धर्म है और उसको बोलने से आप साम्प्रदायिकता फैलायेंगे.....अरे अपने धर्म को बचाना और गलत को गलत बोलना साम्प्रदायिकता नहीं धम्परायानता कहलाती है....और अगर कोई नहीं बोल रहा है या नहीं बोल पा रहा है या नहीं बोलना चाहता है वो सेकुलर नहीं एक कायर कहलाता है......क्युकी जो अपने मूल की रक्षा में पीछे हटता है वो अपनों की या अपने घर की क्या रक्षा करेगा...

क्यों नहीं किसी न्यूज़ चैनल की हिम्मत हुई सईद शाह गिलानी पर बहस करने की जो की जम्मू और कश्मीर को अलग करने में लगा हुआ है.........क्युकी नहीं हिम्मत हुई इमाम बुखारी को कटघरे में खड़ा करने की जिसने सामने से पाकिस्तान जिंदाबाद बोला और खुद को पाकिस्तान सरपरस्त बताया..........क्या यहाँ जा कर सारे न्यूज़ चैनल की हवा निकल जाती है या इनके आकावों की हवा निकल जाती है......क्यों नहीं कोई भी न्यूज़ चैनल चिल्लाया पूर्वोत्तर के आर्च बिशप पर जो की पूर्वोत्तर में धर्म परिवर्तन में लगा हुआ है और शांति के नोबल पुरष्कार के लिए नामंकित हुआ.....क्या पेर्सन्तेज है आज पूर्वोत्तर में हिंदुवो की.......कितनी न्यूज़ आती है पूर्वोत्तर की.....कितनी न्यूज़ आती है साउथ इंडिया  की क्रिस्चियन  से जुडी हुई एक भी नहीं.....आज तक जाकिर नायक के साथ तो न्यूज़ चैनल वाले हाथ पीछे बंधे खड़े रहते हैं क्यों वो शांति फैला रहा है देश में| आज सरकार तक हिन्दू कानून  में ही बदलाव लाती है केवल क्यों.....क्युकी आज जो संसद में बैठे हैं उनको पता है यही एक तबका है हिन्दू जो मरा हुआ है और मरे हुए को तो कोई भी नहीं पूछता है सिवाय मुर्दाखोरो के और मुर्दाखोर क्या करते हैं उन मुर्दा शरीरो को नोच नोच कर खाते हैं और आज हिन्दू जिन्दा ही मुर्दा बन कर खुद को और अपनों को नुचवा रहा है और अपने को ही नोचे जाने पर ताली बजा कर खुश हो रहा है. 

और इन सबके बावजूद हम क्या करते हैं.......इन न्यूज़ चैनल वालो की बाते सुनते हैं.....गाली देना चालू करते हैं......क्युकी हमारा तो विवेक ही नहीं है....हमारी सोचने समझने की छमता ही नहीं है......हम तो अभी भी गुलाम हैं पहले मुसलमानों के फिर अंगरेजो के फिर इन काले अंगरेजो के और अब इसमें एक नया नाम जुड़ गया है इन ढोंगी न्यूज़ चैनल वालो का जो अपने बिज़नस के लिए कुछ कर सकते हैं शायद अपनी माँ-बहन का सौदा भी और हम इन्ही की बातो को सही मान कर गाली बकना चालू कर देते हैं....ये न्यूज़ चैनल हवा भर देते हैं किसी हमारे धर्म से जुडी बातो का और हम उस हवा को अंधी आंधी बना देते हैं अपने प्रयासों से|

अरे मेरे बंधुवा हिन्दू भाइयो कभी तुम्हारी ये कुम्भ्करनी नींद टूटेगी भी की नहीं....कब जागोगे नींद से जब तुम्हारी पूरी दुनिया ही उजाड़ दी जाएगी तब.....या जब तुम्हारे पास कुछ करने को नहीं बचेगा तब. 

हम कुछ दोस्तों ने भी एक कोशिस करी है साथ मिल कर हिन्दू धर्म के लिए कुछ योगदान देने का...वैज्ञानिक पद्धति से साबित  हिन्दू धर्म को नजदीक से जानने का....अपने सनातन  धर्म को जानने का....अपने धार्मिक मूल्यों को जानने का......अपनी भारतीय संस्कृति और सभ्यता जो की पुरे विश्व में अग्रणी मानी जाती रही है और आज भी मानी जाती है उसके लिए.....मूल में बोलू तो हिंदुत्व के वास्तविक मूल को जानने के लिए ही हमने भी  WWW.GEETAGYAN.COM बनाने की कोशिस की है जिससे जो हिन्दू अपने मूल को जानना चाहे वो यहाँ आकर जान सके....आप सभी आजाद हैं मुझे भी कुछ भी कहने के लिए हमारे  इस प्रयास के चलते क्युकी हमने भी हिंदुत्व के लिए ही प्रयास किया है जिसका शायद हिन्दू अपने किसी हिन्दू बंधू को हक़ नहीं देते हैं। पर जो जानना चाहते हैं अपने हिन्दू धर्म को, अपने सनातन धर्म को, अपने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को वो सदर आमंत्रित हैं वैज्ञानिक पद्धति से साबित धर्म को जानने के लिए...कोरी चर्चा नहीं या आडम्बर नहीं एक प्रयास खुद को जानने का.

1 comment:

  1. सुबह का खाया शाम को हग देने के सिवाय लोगों को दुनिया मे कुछ नहीं दिखाई दे रहा है... कुएं के मेंढकों को जब गंदी नालियों की सड़ांध मे जीना पड़ेगा तभी जागेंगे... जगाया सोते हुओं को जाता है नवीन जी... जिनका ज़मीर और आत्मा मर चुकी हो उन्हें कब तक जगाओगे. जिनकी आदत दूसरों के तलवे चाटने की पड़ गयी हो उन्हें फूल की सुगंध नहीं भाएगी... मुरदों और मजारों को पूजने की जिनकी नियति बन गयी है वो भगवान श्री राम और कृष्ण के आदर्शों को कैसे समझ पाएंगे।

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