29 Mar 2012

अनाज घोटाले की तरफ बढ़ता भारत

अभी तक कहा जाता था की भारत गांवो का देश है.....गाँव मतलब किसान....किसान  मतलब  खेती......फिर भी एक और घोटाले की तरफ बढ़ता हुआ हमारा गांवो का देश भारत| 

घोटाला भी कौन सा.............अनाज घोटाला!


अब सवाल उठता है की हमारा देश तो अनाज के उत्पादन में अग्रणी देश रहा है फिर ये अनाज घोटाला कैसे होगा?


भाइयो इसका जवाब आपको एक किसान देगा| जो खाद किसानो ने धन के रोपाई के समय में ४८० रुपये (जो की बाजार में ५२० रुपये) में लेता था वो धन के बाद अगली फसल गेंहू के समय ९२० रुपये का हो गया और और अब ये खबर आ रही है की यही खाद फिर से इस समय की धन की फसल की बोवाई में १९०० रुपये से भी ज्यादा मिलने की सम्भावना है और इस वजह से किसान कम फसल बोयेगा और फसल के कम पैदा होने के वजह से अनाज को दुसरे देशो से ख़रीदा जायेगा| अब सीधा सा जवाब है की जब ये राजनेता देश की सुरक्षा उपकरणों की खरीद में दलाली कर घोटाला कर सकते हैं क्या वो गरीब जनता का ख्याल रखेंगे कभी.......या वो मनमाने ढंग से खरीद-फ़रोख्त करके एक और घोटाले को पैदा करेंगे और अपनी जेब भरेंगे|
अब दूसरा सवाल ये है की जो किसान अभी तक महंगी खाद (४८०-५२० रुपये) की वजह से आत्महत्या कर रहा था वो अब क्या करेगा........सामूहिक आत्महत्या!
और गौर तलब है की इस ओर किसी भी राजनितिक पार्टी ने ध्यान देना बंद कर दिया है और कोई प्रश्न तक नहीं पुछा जा रहा है इस बाबत|

क्या आप और हम सब भी इन्ही राजनितिक पार्टियों के जैसे हैं............क्या हम इन्ही राजनेताओ के जैसे हैं की हम जिनके कारन खा पा रहे हैं अपने घरो में बैठे हुए उनको सामूहिक आत्महत्या करने के लिए छोड़ दें.......क्या हमारा कुछ कर्तव्य नहीं बनता है हमारे किसानो के प्रति|

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